
पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी और मोगा के पूर्व एसएसपी चरणजीत सिंह शर्मा ने कोटकपूरा फायरिंग मामले (Kotkapura firing case) के संबंध में लाई-डिटेक्टर टेस्ट कराने से इनकार कर दिया है. जबकि निलंबित आईजी परमराज सिंह उमरानंगल ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए लाई-डिटेक्टर टेस्ट के लिए सहमति दे दी है.
चर्चित कोटकपूरा फायरिंग मामले की जांच एसआईटी कर रही है. एसआईटी ने पिछले महीने एक अदालत में एक आवेदन दायर कर सैनी, उमरानंगल और शर्मा का नार्को-एनालिसिस, पॉलीग्राफ टेस्ट और ब्रेन इलेक्ट्रिकल एक्टिवेशन प्रोफाइल (बीईएपी) कराने की अनुमति मांगी थी.
बता दें कि कोटकपूरा गोलीकांड मामले में नई एसआईटी का गठन हुआ था. एसआईटी की तरफ से पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सैनी, पूर्व एसएसपी चरनजीत शर्मा और आईजी परमराज उमरानंगल के नार्को टैस्ट की इजाज़त मांगी गई थी. इसके लिए अर्जी भी दी गई थी.
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अब इस मामले में सुमेध सैनी और चरनजीत शर्मा ने टेस्ट कराने इनकार कर दिया. जबकि आईजी परमराज उमरानंगल ने टेस्ट के लिए अपनी सहमति जताई. इसी के चलते शुक्रवार को उन्होंने खुद अदालत में पेश होकर अपने वकील के माध्यम से सहमति पत्र दर्ज़ करवाया है.
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ये था मामला
दरअसल, 1 जून, 2015 को जिले के गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला के गुरुद्वारा से गुरु ग्रंथ साहिब की चोरी हो गई थी. उसी गांव में 25 सितंबर को आपत्तिजनक पोस्टर लगा दिए गए थे. 12 अक्टूबर को चोरी हुए गुरु ग्रंथ साहिब के पन्ने गांव बरगारी की गलियों में मिले थे. इस मामले में 13 अक्टूबर को सिखों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कोटकपूरा चौक पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था. लेकिन 14 अक्टूबर को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी थी. जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में डेरा सच्चा सौदा का नाम भी आया था. उस वक्त प्रकाश सिंह बादल पंजाब के मुख्यमंत्री थे.