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You tube देखकर बना ली फर्जी सरकारी वेबसाइट, प्रतियोगी छात्रों से करता था ठगी

26 साल के आरोपी नरेश कुमार ने सरकारी वेबसाइट की हू बहू कॉपी बना ली और शिक्षा विभाग और पंचायती राज विभाग की परीक्षाओं में शामिल होने के नाम पर टेस्ट पेपर बेचने लगा. इसके बदले वो हर बेरोजगार से अपने ई वॉलेट में 210 रुपये ट्रांसफर करा रहा था.

आरोपी नरेश कुमार (फाइल फोटो) आरोपी नरेश कुमार (फाइल फोटो)
शरत कुमार
  • टोंक ,
  • 22 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:58 AM IST
  • शिक्षा और पंचायत विभाग की फर्जी वेबसाईट बनाई
  • छात्रों को नौकरी के नाम पर ठगता था
  • अपने ई-वॉलेट में कराता था पैसे
  • स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने किया अरेस्ट

देश में बेरोजगारी की स्थिति ये है कि उन्हें कहीं भी कोई उम्मीद दिखती है तो झांसे में आ जाते हैं, इसका फायदा उठाते हैं ऑनलाइन ठगों के गिरोह. ऐसे ही एक ठग का राजस्थान पुलिस ने पर्दाफाश किया है. राजस्थान में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने शिक्षा विभाग और पंचायती राज विभाग की वेबसाइट बनाकर बेरोजगारों से ठगी करने वाले एक जालसाज को गिरफ्तार कर लिया है.

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26 साल के नरेश ने सरकारी वेबसाइट की हूबहू कॉपी बना ली थी, नरेश शिक्षा विभाग और पंचायती राज विभाग की परीक्षाओं में शामिल होने के नाम पर टेस्ट पेपर बेच रहा था और अपने ई वॉलेट में हर बेरोज़गार से 210 रूपये ट्रांसफर करा रहा था.

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स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के ADG अशोक राठौड़ ने आजतक को बताया कि शिक्षा विभाग ने 18 अगस्त 2020 को साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी थी, रिपोर्ट में बताया गया था कि अधिकृत वेबसाइट के हूबह फर्जी वेबसाईट रजिस्टर्ड कर ली गई है. फर्जी वेबसाइट के टाइटल में वेलकम टू राजस्थान BSTC 2020 लिखा दिखाया जा रहा है. जबकि इस वेबसाइट का नोडल एजेंसी से कोई लेना देना नहीं है.

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ADG ने आगे बताया कि पूरे मामले की जांच की गई तो पता चला कि टोंक के पीपलू रुके इनायत गंज में रहने वाला नरेश कुमार मीणा इस वेबसाइट को चलाता है और अब तक ढाई हजार से ज्यादा बेरोजगारों से ठगी कर चुका है. वह छह सौ प्रश्नों की टेस्ट कॉपी भेजकर सभी बेरोजगारों से 210 रुपये अपने ई वॉलेट में डलवा रहा था.

जांच अधिकारी ने बताया कि अब तक पांच लाख रुपये की रकम के बारे में अभी पता चला है. मगर ये ठगी इससे भी ज्यादा हो सकती है, अभी जांच जारी है. बेरोजगार छात्र इसे सरकारी वेबसाइट मानकर पैसे डाल रहे थे क्योंकि इसमें बताया जा रहा था की जो यहां पर टेस्ट में भाग लेगा उसे ही सरकारी परीक्षा में बैठने दिया जाएगा.

इस मामले में एक और खास बात ये है कि आरोपी ने कभी भी कंप्यूटर की कोई पढ़ाई नहीं की है कोई डिप्लोमा कोर्स नहीं किया है, उसने सब कुछ यूट्यूब पर ऑनलाइन देखकर ही वेबसाइट बनाना सीखा है.

 

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