
रक्त से सने, रंगबाजी से रंगे और थ्रिलर की कंपकंपी देने वाले माफिया, डॉन और अंडरवर्ल्ड जैसे शब्दों का सफर शुरू होता है भूमध्य सागर में बसी आईलैंड सिटी सिसली से. उत्तरी अफ्रीका और यूरोप के बीच बसा सिसली खूबसूरत समुद्री तटों वाला एक शहर है. लेकिन इस शहर की जमीन से संगठित अपराध की वो कहानी शुरू हुई जिसने दुनिया को माफिया शब्द दिया. वो माफिया जो क्राइम की अंतहीन दुनिया का बेताज बादशाह था और जिसकी हनक को चुनौती देने का मतलब था सीधा मौत से टकराना.
भारत के गुंडे दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, अतीक अहमद, अशरफ, मुख्तार, बृजेश, बजरंगी और न जाने कितने टुटपूंजिए क्रिमिनल इसी सिसली शहर के गैंगवार से पैदा हुए माफिया, डॉन और अंडरवर्ल्ड जैसे शब्दों का टाइटल अपने नाम के आगे पीछे लगाकर भौकाल बनाते रहे हैं. एक दौर था, जब प्रयागराज में अतीक और अशरफ के शूटआउट जैसी घटनाएं सिसली और अमेरिका के न्यूयॉर्क, बफैलो जैसे शहरों में आम थीं.
क्या है माफिया की कहानी? सिसली से निकलकर अमेरिका तक कैसे पहुंचा ये गिरोह? अपराधियों के इस साम्राज्य ने कैसे दो विश्व युद्धों के दौरान दो देशों इटली और अमेरिका में अपनी सामानांतर सरकार बना ली? और कैसे एक समय इस माफिया की मुट्ठी में जज, नेता, सीनेटर, पत्रकार, बिल्डर, गैम्बलर, वेश्याघरों के मालिक कैद रहते थे.
कैसे पनपा माफिया?
माफिया दरअसल संगठित अपराध को अंजाम देने वाले एक गिरोह का नाम है. सबसे पहले माफिया ने अपने पैर इटली में जमाए. सिसली में माफिया फलने-फूलने की कहानी कई साल पुरानी है. 19वीं सदी के मध्य तक सिसली पर कई विदेशी ताकतों ने शासन किया. कहा जाता है कि सिसली पर रोमन, अरब, फ्रेंच और स्पैनिश शक्तियों ने कई सौ साल तक शासन किया. इस दौरान स्थानीय लोगों का जीवन संघर्षों से भरा था. इन्हीं संघर्षों को चुनौती देते हुए सिसली के लोग एकजुट हुए और अपना एक संगठन बना लिया. इस संगठन का काम अपने सदस्यों की स्थानीय लैंडलॉर्ड और विदेशी ताकतों से रक्षा करना, उन्हें न्याय देना और दिलवाना था. ये ग्रुप खानदान और परिवार के आधार पर अपनी पहचान बना रहे थे.
माफिया का मतलब क्या?
सिसली में इन समूहों को Mafiusu कहा जाने लगा. अंग्रेजी में इसे swagger यानी कि अकड़ दिखाने वाला कहते हैं. लेकिन इसका और अनुवाद 'boldness' या 'bravado' भी है. हिन्दुस्तानी जुबान में देखें तो इसका मतलब दबंग या बाहुबली जैसा निकलता है. 19वीं सदी में Mafiusu (इतालवी में Mafioso) को बैखौफ, अभिमानी और मेहनतकश लोगों से जोड़कर देखा जाने लगा.
हालांकि माफिया शब्द कहां से निकला इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन माना जाता है माफिया सिसली-अरबी बोली से निकला है जिसका सामान्य अर्थ होता है- शक्तिशाली के घमंड के खिलाफ रक्षक बनकर काम करने वाला.
माफिया शब्द की उत्पत्ति को लेकर कई किंवदंतियां हैं. ये कहानी 700 साल से भी पहले की है. इसके अनुसार जब फ्रांस ने 1282 में सिसली पर कब्जा किया तो यहां के नागरिकों ने बगावत कर नारा दिया- Morte alla Francia, Italia anela! यानी कि Death to France is Italy cry. इसका मतलब है कि फ्रांस का विनाश इटली की पुकार है. इस नारे को संक्षिप्त में MAFIA कहा जाने लगा.
इस तरह से देखें तो शुरुआत में सिसिली में Mafioso अथवा माफिया मेंबर से कोई आपराधिक अर्थ का बोध नहीं होता है. इस शब्द का इस्तेमाल वैसे व्यक्ति के लिए किया जाता था जो केंद्रीय सत्ता को प्रतिशोध के नजरिये से देखता था.
लेकिन धीरे-धीरे ये ग्रुप अपनी निजी सेना (Mafie) बनाने लगे. यहां से माफिया अपराध के दलदल में धंसने लगा. इन निजी सेनाओं का काम रंगदारी लेना, जमींदारों से प्रोटेक्शन मनी वसूलना था. इस काम में निश्चित रूप से बंदूक-गोली, हत्या और हमले की वारदात को अंजाम दिया जाने लगा. इसके साथ ही सिसलियन माफिया का आधुनिक रूप सामने आया.
माफिया का ये रूप इतना टेरर पैदा करने वाला था कि पूरी दुनिया में संगठित अपराध को अंजाम देने वाले समूहों को माफिया कहा जाने लगा.
राजनीति और इकोनॉमी में ऐसे बनाई घुसपैठ
1861 में जब गैरीबाल्डी के नेतृत्व में इटली का एकीकरण हुआ तो सिसली को इटली में शामिल किया गया. इस दौर में सिसली में भयंकर राजनीतिक अस्थिरता थी. एक समय ऐसा आया जब इटली में लॉ एंड ऑर्डर कायम करने के लिए रोमन अधिकारियों ने सिसलियन माफिया की मदद लेना शुरू कर दिया और उन्हें सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को कुचलने का निर्देश दिया.
माफिया को तो मानो इसी पल का इंतजार था. माफिया ने रोमन अधिकारियों के मिशन को अंजाम तो दिया लेकिन इसके बदले इन्होंने जमकर रंगदारी वसूली. जमींदार, फल बागान मालिक, वेश्यालयों के मालिकों से इन्होंने खूब पैसा कमाया. उधर इटली सरकार को लग रहा था कि राज्य की स्थिति सुधरने के बाद माफिया को किनारे कर दिया जाएगा, लेकिन ये उसकी भूल साबित हुई.
अबतक माफिया परिवार अवैध वसूली के अलावा अपने धंधे को राजनीति और इकोनॉमी में फैला चुका था और इसे कानूनी जामा भी पहना चुका था. सिसली में माफिया ने राजनीतिक भ्रष्टाचार की इंतेहा कर दी. वे अपने पसंद के उम्मीदवार को जिताने के लिए दबाव बनाने लगे. इस तरह जीतकर प्रशासन में शामिल हुए राजनीतिक लोग माफिया से सहानुभूति रखते. इस तरह माफिया ने चारों ओर अपने पैर पसार लिए.
एक समय ऐसा आया कि कैथोलिक चर्च भी अपनी संपत्ति पर निगरानी रखने के लिए माफिया का सहारा लेने लगा. माफिया अब न सिर्फ लोगों के झगड़े सुलझा रहा था बल्कि उसकी देख-रेख में जुआ, वेश्यालय, लेबर यूनियन जैसे कई वैध-अवैध काम हो रहे थे. इस धंधे में जो आड़े आ रहे थे उनका बेरहमी से कत्ल किया जा रहा था.
भारत में भी अगर मुंबई और पूर्वांचल में माफिया के पनपने और उगने की कहानी पर नजर डालें तो घटनाक्रम बहुत हद तक मिलता-जुलता है.
सिसली माफिया के इस प्रसार और विस्तार में एक कोड का अहम रोल था. इस कोड का नाम था OMERTA. क्या था ये कोड हम आगे बताएंगे?
मुसोलिनी ने माफिया को रौंद डाला
सिसली में 1920 ईस्वी तक माफिया की फसल लहलहाती रही. लेकिन अबतक इटली की राजनीति में फासिस्ट ताकत बेनिटो मुसोलिनी का उदय हो चुका था. मुसोलनी माफिया को अपनी ताकत के खिलाफ चुनौती और खतरा समझता था. लिहाजा उसने इनके खिलाफ अभियान चलाया और उन्हें रौंद डाला. यही वो समय था जब कई माफिया सिसली से भागकर अमेरिका की ओर आए.
1945 में सेकेंड वर्ल्ड वार खत्म होने के बाद 1950 तक माफिया का सितारा फिर बुलंद हुआ. विश्व युद्ध की तबाही के बाद सिसली में कंस्ट्रक्शन बूम आया. अगले कुछ दशकों तक सिसलियन माफिया ने यहां खूब कमाई की और अपने आपराधिक साम्राज्य का विस्तार किया. 1970 आते-आते इंटरनेशनल ड्रग्स के धंधे में माफिया अहम किरदार बन चुका था.
जब Cosa Nostra ने मुकदमा सुनने वाले जज को पत्नी समेत मार डाला
जिस तरह भारत में दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, अरुण गवली, छोटा शकील, मुख्तार कुख्यात माफिया हैं, उसी तरह सिसली के बदनाम माफिया में नाम आता है- La Cosa Nostra, La stidda, Campanian Mafia जैसे संगठनों का.
इनमें La Cosa Nostra कभी सबसे दुर्दांत रहा है. नशीली दवाओं के धंधे में इस संगठन की सिसली से लेकर अमेरिका तक धमक थी. इटली के मजिस्ट्रेट गिवोनी फॉल्कन माफिया के खिलाफ चल रहे मुकदमों में डायरेक्टर ऑफ प्रॉसिक्यूशन थे. माफिया के टॉप लीडरशिप के गुनाहों की लिस्ट तैयार कर ली गई. इसी दौरान 23 मई 1992 को माफिया संगठन La Cosa Nostra ने गिवोनी फॉल्कन के काफिले पर बमों से हमला किया. इस हमले में मजिस्ट्रेट गिवोनी फॉल्कन, उनकी पत्नी और उनके तीन बॉडीगार्ड मारे गए. उन्होंने जहां हमला किया था वहां 33 फीट गहरा गड्ढा हो गया था.
कोसा नोस्ट्रा के एक कुख्यात डॉन माटेयो मेस्सिना डेनारो को इटली पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार किया है. इसने 12 साल के एक बच्चे को तेजाब में डुबो कर मार डाला था.
अमेरिका में माफिया
बात अमेरिकन माफिया की हो और मारियो पूजो के उपन्यास द गॉडफादर की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता. इस उपन्यास के जरिये मारियो पूजो ने न्यूयॉर्क में माफिया की दुनिया को सजीव कर दिया. इस किताब का हर पात्र अपने आप में एक मुकम्मल किरदार था.
अमेरिका में माफिया के धंधे में लिप्त कैरेक्टर सिसली से अलहदा हैं, लेकिन अमेरिका में पनपे संगठित अपराध का एक सिरा सिसली से ही जाकर मिलता है.
19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में इटली से बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन अमेरिका की ओर हुआ. इनमें ज्यादातर अनपढ़ किसान, मजदूर, कारपेंटर और अकुशल लेबर थे. सिसली के पर्लेमो पोर्ट में जैसे तैसे चढ़कर ये युवा अच्छी जिंदगी के सपने लेकर अमेरिका के न्यूयॉर्क आ गए. 1910 में न्यूयॉर्क में 5 लाख इटालियन प्रवासी और पहली पीढ़ी के इटली-अमेरिकी रह रहे थे.
हर चमकते भाग्य के पीछे छिपा है एक क्राइम
जैसा कि हर सोसायटी के साथ होता है. बड़े सपने, फास्ट जिंदगी की उम्मीद में आए कुछ इतावली युवाओं ने कामयाबी के लिए शॉर्टकट का रास्ता चुना और अपराध की दुनिया में शामिल हो गए. मारियो पूजो की किताब गॉडफादर की पहली ही पंक्ति है- Behind every fortune there is a crime. यानी कि हर चमकते भाग्य के पीछे एक अपराध छिपा होता है.
1920 में अमेरिका ने अवैध शराब के धंधे पर रोक लगा दी. इसके साथ ही अल्कोहलिक पेय पदार्थों की बिक्री, निर्माण और ट्रांसपोर्टेशन अवैध हो गया. लेकिन लोगों को कच्ची शराब तो चाहिए थी. लिहाजा इस धंधे में अवैध ताकतें कूद पड़ीं और अंधाधुंध डॉलर बटोरने लगीं. इटली से आकर बेरोजगार पड़े युवकों के लिए ये एक मौका था, वे इस धंधे में खुब मुनाफा कमाने लगे. इसी दौरान सिसिली से मुसोलनी माफिया को खदेड़ रहा था. वे भी न्यूयॉर्क आए और इस धंधे में शामिल हो गए.
जहां अवैध पैसा, वहीं अपराध
माफिया का अवैध स्वरूप अमेरिका में पनपने लगा था. कहावत है कि जहां अवैध पैसा, वहीं अपराध. यही फलसफा यहां भी लागू हुआ और इस धंधे पर कब्जा करने के लिए न्यूयॉर्क में इटली से आकर अमेरिका में पनपे दो गैंग के बीच भयानक माफिया वार शुरू हो गया.
1931 में सिसली में पैदा हुए क्राइम बॉस सल्वाटोर मरान्जो ने न्यूयॉर्क में खुद को capo di tutti capi यानी कि सभी बॉस का बॉस घोषित कर दिया. माफिया पर कंट्रोल की इस कोशिश से न्यूयॉर्क में खलबली मच गई. ये बात एक दूसरे गुंडे लकी लूसियानो को नागवार गुजरी उसने मरान्जो की हत्या कर दी. न्यूयॉर्क में माफियागीरी में खून खराबा बढ़ रहा था. इसका सभी माफिया फैमिली ने एक समाधान निकाला. एक कमीशन बनाया गया.
दिखने-सुनने में कानूनी और सभ्य लगने वाले इस कमीशन में सभी माफिया के प्रतिनिधि थे. तय किया गया कि धंधे में बने रहना है तो मिल बांटकर खाना होगा. ये फॉर्मूला काम कर गया. इस कमीशन का काम परिवारों के बीच पैदा हुई असहमति को मध्यस्थता के जरिए सुलझाना था.
तब इस कमीशन में 20 माफिया परिवार मिलकर काम कर रहे थे. सभी के लिए एरिया तय कर दिया गया. हर एरिया में एक आपराधिक परिवार का वर्चस्व था. न्यूयॉर्क जो तबतक अमेरिका का क्राइम कैपिटल बन चुका था. यहां पांच परिवारों को अपना गैंग चलाने की अनुमति मिली. अब तक माफिया इत्मीनान पूर्वक अमेरिकी समाज में अपना सिक्का जमा चुका था. जज इनके पक्ष में फैसले कर रहे थे. सीनेटर जरूरत पड़ने पर इनकी पैरवी कर रहे थे. बदले में उन्हें डॉलर के तगड़े बिल्स मिलते थे. कुछ ऐसे पत्रकार माफिया के पे-रोल पर थे जो इनके पक्ष में प्रोपगैंडा खबरें प्लांट करते थे.
माफिया अपना धंधा अब शराब से आगे बढ़ा चुका था. न्यूयॉर्क के डिस्को, नाइट क्ल्ब, रेस्त्रां जुआघर, ब्राथेल, कूड़ा और कबाड़ बिजनेस में माफिया मोटी कमाई कर रहा था.
माफिया की Hierarchy
अमेरिका से लेकर इटली तक प्रत्येक माफिया परिवार एक संगठित और व्यवस्थित गिरोह की तरह चलता था. अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के अनुसार इस माफिया गिरोह का चीफ होता था डॉन. उसे बॉस भी कहते थे. उसकी सत्ता सवालों से परे थी और माफिया फैमिली का कोई भी कहीं से भी किसी तरह की कमाई करता था तो इसका हिस्सा डॉन को जाता था.
दूसरे नंबर पर था अंडरबॉस. ये माफिया के पावर बैलेंस में दूसरे नंबर पर था. ये आम तौर पर माफिया का बेटा होता था जिसे एक दिन परिवार का पूरा काला बिजनेस देखने के लिए ग्रूम किया जाता था.
डॉन और अंडरबॉस के बीच एक और पद होता था जो कि डॉन के सलाहकार का होता था. ये शख्स बेहद पारखी और नाजुक मौके पर बड़ी तेजी से और सटीक फैसले लेने वाला होता था. ये वरीयताक्रम में तीसरे नंबर पर होता था. इतालवी में इस शख्स को Consigliere कहते हैं.
इसके बाद नंबर आता है Capo यानी कैप्टन का. ये वो व्यक्ति था जो माफिया फैमिली के गनमैन या हिटमैन यानी कि Soldier को लीड करता था. इसकी भूमिका मिलिट्री कैप्टन जैसी होती थी.
इसके बाद सोल्जर का नंबर आता है. सोल्जर यानी कि सैनिक. इन्हें Made man भी कहा जाता है. ये क्राइम फैमिली के पदानुक्रम में सबसे निचले पायदान पर होते थे. लेकिन संगठन में इनका बड़ा सम्मान था. Made man बनने के लिए इन्हें वफादारी और हर कीमत पर चुप्पी निभाने की कसम लेनी पड़ती थी. जिसे ओमेर्टा कहा जाता है. मैड मैन बनने के लिए कई परिवारों ने एक और शर्त रखी थी जिसके तहत उन्हें दुश्मन के किसी शख्स का कत्ल करना पड़ता था.
माफिया में सबसे नीचे होते थे एसोसिएट. ये वैसे लोग थे जो माफिया फैमिली के लिए काम करते थे और अपनी अवैध आय का एक हिस्सा भी भेजते थे. लेकिन ये औपचारिक रूप से परिवार से नहीं जुड़े होते थे.
साइलेंस का गोल्डन कोड Omerta
आपराधिक संगठन होने के बावजूद माफिया की कामयाबी के पीछे कमिटमेंट का बड़ा रोल था. इस कमिटमेंट को तोड़ने का मतलब था मौत की सजा. माफिया सदस्य बनना जीवन भर की प्रतिबद्धता थी. प्रत्येक माफिया सदस्य को वफादारी और चुप्पी के कोड ओमेर्टा का पालन करने की शपथ लेनी पड़ती थी.
आम हिन्दुस्तानी जुबान में कहें तो ओमेर्टा का अर्थ है जुबान नहीं खोलूंगा. ओमेर्टा माफिया फैमिली के प्रति वफादारी का चरम रूप है. ये स्थिति तब पैदा होती है जब माफिया का कोई सदस्य पकड़ा जाता है. ऐसी स्थिति में उससे उम्मीद की जाती है कि वो सरकारी एजेंसियों द्वारा तमाम टॉर्चर सहने के बावजूद जुबान नहीं खोलेगा, न ही वो अपने धंधे का कोई राज जांच एजेंसियों को बताएगा. इसके अलावा न ही वो अपने दुश्मन की कोई जानकारी पुलिस को देगा. इसकी वजह से माफिया से जुड़े केस कभी भी सॉल्व नहीं हो पाते थे. इस शपथ को तोड़ने वाला माफिया से बहिष्कृत हो जाता था और उसकी जिंदगी के दिन कम हो जाते थे.
ओमेर्टा को लेकर एक मशहूर सिसिलियन कहावत है- "वो व्यक्ति जो बहरा, अंधा और गू्ंगा है वो शांति से 100 साल तक जीएगा."
माफिया सदस्यों से अन्य नियमों का पालन करने की भी अपेक्षा की गई थी. जैसे वे कभी भी, किसी भी सूरत में एक-दूसरे पर हमला नहीं करेंगे. इसके अलावा माफिया का कोई भी सदस्य किसी की प्रेमिका या पत्नी के साथ कभी धोखा नहीं करेगा.