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जेल से रिहा वॉर्डन का स्वागत कर घिरे DMK विधायक, छात्रा को सुसाइड के लिए उकसाने का है आरोप

छात्रा आत्महत्या मामले की आरोपी का डीएमके विधायक ने दिल खोलकर स्वागत किया है. उन्हें शॉल पहनाई गई है और जमकर उनकी तारीफ हुई है. इस मामले में अभी सीबीआई की जांच जारी है.

तमिलनाडु छात्रा आत्महत्या केस ( सांकेतिक फोटो) तमिलनाडु छात्रा आत्महत्या केस ( सांकेतिक फोटो)
प्रमोद माधव
  • चेन्नई,
  • 15 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:07 AM IST
  • पिछले महीने जनवरी में जहर खाकर आत्महत्या
  • आरोपी पर लगाया गया था टॉर्चर का आरोप
  • बीजेपी ने निकाला था धर्म परिवर्तन का एंगल

तमिलनाडु के छात्रा आत्महत्या मामले को लेकर बवाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है, केस की सुनवाई अदालतों में चल रही है, लेकिन फिर भी विवाद खत्म होने के बजाय बढ़ता जा रहा है. अब हाल ही में इस मामले की आरोपी सजाया मैरी को जेल से रिहा किया गया. इस मौके पर डीएमके विधायक इनिगो इरुदयराज ने उनका दिल खोलकर स्वागत किया और  उन्हें शॉल तक पहनाई.

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बता दें कि पिछले महीने जनवरी 19 को एक छात्रा ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. तब उसने आरोप लगाया था कि हॉस्टल की वॉर्डन सजाया मैरी ने उसे टॉर्चर किया. तब बीजेपी के तमिलनाडु अध्यक्ष Annamalai ने छात्रा का एक वीडियो जारी कर दावा किया था कि 'धर्म परिवर्तन' को लेकर दवाब बनाया जा रहा था, जिस वजह से छात्रा ने आत्महत्या कर ली.

ये मामला जब मद्रास हाई कोर्ट पहुंचा था, तब इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई. लेकिन विपक्ष का आरोप रहा कि राज्य की डीएमके सरकार जांच एजेंसी का सहयोग नहीं कर रही है और आरोपी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. अब उस विवाद के बीच ही डीएमके विधायक इनिगो इरुदयराज ने आरोपी सजाया मैरी का स्वागत किया.

फेसबुक पोस्ट में विधायक ने यहां तक लिख दिया कि गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए उनकी तरफ से कईं कुर्बानियां दी गईं. विधायक की तरफ से इस बात की भी तारीफ की गई कि सजाया मैरी ने एक बार भी हार नहीं मानी और इस मामले के दौरान भी देश की अदालत पर अपना पूरा भरोसा दिखाया. उनकी मानें तो वे सिर्फ उनकी सेहत का हालचाल लेने गए थे.

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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार को यहां तक कहा था कि उन्हें ऐसे मामलों को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाना चाहिए. तब सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से भी इनकार कर दिया था.

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