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महिला की वीभत्स हत्या में हुई थी फांसी की सजा, इस दलील से लगी सजा पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की हत्या और उसके अंगों को निकालने के लिए दोषी एक शख्स की मौत की सजा पर रोक लगा दी. दोषी करार दिए गए शख्स की मौत की सजा के खिलाफ उसकी अपील सुनवाई के लिए शीर्ष कोर्ट सहमत हो गया है.

सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने पर राजी सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने पर राजी
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 7:55 AM IST
  • दोषी शख्स की मौत की सजा पर रोक
  • हत्या और सबूत मिटाने का है आरोप
  • राजस्थान HC ने सजा रखी थी बरकार

सुप्रीम कोर्ट ने महिला की हत्या और उसके अंगों को निकालने के मामले में दोषी करार दिए गए एक शख्स की मौत की सजा पर रोक लगा दी. दोषी करार दिए गए शख्स की मौत की सजा के खिलाफ उसकी अपील पर सुनवाई के लिए शीर्ष कोर्ट सहमत हो गया है. 

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'हमने कभी ऐसा केस नहीं देखा.' एक बिल्डिंग कॉम्पलेक्स में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर नौकरी करने वाले मोहन सिंह को एक महिला की हत्या और सबूत मिटाने का दोषी करार दिया गया है. महिला की हत्या के बाद उसके पेट में कपड़ा भर दिया गया था और फिर पेट को तार से सील दिया गया था.

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फॉरेंसिक रिपोर्ट में पाया गया कि महिला के कई अंग भी गायब थे. राजस्थान हाई कोर्ट ने मौत की सजा को 9 अगस्त को बरकरार रखा था.

आरोपी के लिए कानूनी सहायक वकील के रूप में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से पीठ ने पूछा, 'आपके मुवक्किल ने बहुत ही अप्रिय काम किया है. उसने पेट क्यों फाड़ा और उसमें कपड़ा भर दिया. क्या वह कोई सर्जन है?' 

सिद्धार्थ लूथरा ने अपनी दलील में कहा कि मोहन सिंह को 'गलत फंसाया' गया है. पीड़ित महिला को अंतिम बार सिक्योरिटी गार्ड से बात करते हुए देखा गया था तो तो क्या 'अंतिम बार' देखे जाने को ही सबूत के तौर पर मान लिया जाएगा.   

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वकील ने अपील में यह भी दलील दी कि निचली अदालत ने कभी DNA एक्सपर्ट से जांच नहीं कराई और पुलिस ने उस एरिया के सीसीटीवी फुटेज को भी कभी खंगालने की जरूरत नहीं समझी. 

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दलील सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे, एएस बोपन्ना और वी राम सुब्रमण्यम की पीठ ने फिलहाल मौत की सजा पर रोक लगा दी. पीठ दोषी की अपील पर सुनवाई को राजी हो गई और पिछले सभी रिकॉर्ड जांच के लिए मंगाए हैं.

 

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