
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नम्बी नारायण जासूसी कांड में बरी हो चुके हैं, लेकिन ये मामला एक बार फिर गरमाने वाला है. हालांकि, इस बार विवाद जासूसी को लेकर होने की संभावना है. दरअसल, सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने जासूसी कांड में घिरे पूर्व वैज्ञानिक नम्बी नारायण को 50 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया था. इसके बाद एक कमेटी बनी थी, जिसने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है. अब इसी रिपोर्ट के आधार पर आगे की सुनवाई होगी. जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते इस मामले पर सुनवाई शुरू कर सकता है.
नम्बी नारायण इसरो के क्रायोनिक डिविजन में काम करते थे. 1994 में उन पर दूसरे देशों को इसरो के सीक्रेट्स बेचने का आरोप लगा था.
क्या है पूरा मामला, 5 पॉइंट में समझते हैं...
सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने तो 1998 में ही नम्बी नारायण को जासूसों के आरोपों से बरी कर दिया था. लेकिन ये मामला लंबा खींचता रहा. सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फिर फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि जासूसी मामले में नम्बी नारायण को गिरफ्तार किया जाना गैरजरूरी था. साथ ही ये भी कहा कि ये मामला मानसिक प्रताड़ना से भी जुड़ा है. इसलिए केरल सरकार नम्बी नारायण को 50 लाख रुपए का मुआवजा दे. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि केवल मुआवजा देना काफी नहीं है. इस मामले में केरल पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच भी की जानी चाहिए. इसके लिए कोर्ट ने तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस डीके जैन ने की.
अब किस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई?
जस्टिस डीके जैन कमेटी ने करीब दो साल से भी ज्यादा वक्त तक इस मामले में केरल सरकार और केरल पुलिस की भूमिका की जांच की. इस पर कमेटी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. इसी रिपोर्ट पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.