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नक्सलियों के गढ़ में अमित शाह की चुनौती, बोले- 2026 तक नक्सलवाद खत्म कर देंगे!

कुछ वर्ष पहले तक सुरक्षा बलों के खिलाफ गुरिल्ला वॉर का मिशन और अपना अलग गणतंत्र बनाने के लिए नक्सली कुचक्र का हिस्सा बने कई पूर्व नक्सली अब सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण जिम्मा उठा रहे हैं. सरेंडर कर चुके नक्सली अब नक्सलियों के खिलाफ अहम जानकारी मुहैया करा रहे हैं.

पूर्व नक्सली महिलाओं और पुरुषों का दल रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिला. पूर्व नक्सली महिलाओं और पुरुषों का दल रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिला.
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • रायपुर,
  • 15 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:37 PM IST

कुछ वर्ष पहले तक सुरक्षा बलों के खिलाफ गुरिल्ला वॉर का मिशन और अपना अलग गणतंत्र बनाने के लिए नक्सली कुचक्र का हिस्सा बने कई पूर्व नक्सली अब सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण जिम्मा उठा रहे हैं. सरेंडर कर चुके नक्सली अब नक्सलियों के खिलाफ अहम जानकारी मुहैया करा रहे हैं. बड़े-बड़े ऑपरेशन में शामिल हो रहे हैं. कई जगहों पर वे अहम रणनीतिक मोर्चों पर आगे खड़े नजर आ रहे हैं. 

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हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हुए छत्तीसगढ़ के बस्तर, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के कई पूर्व नक्सली महिलाओं और पुरुषों का दल रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए छत्तीसगढ़ जगदलपुर सर्किट हाउस आया तो सभी चेहरे पर सुकून का भाव झलक रहा था. उनका कहना था कि अब वे सही रास्ते पर हैं. केंद्र और राज्य सरकार से हर संभव उन्हें मदद मिल रही है.

आजतक की टीम ने कई पूर्व नक्सलियों से बात किया, जो अब खेती, स्वरोजगार, नौकरी से लेकर सुरक्षा बल का हिस्सा बनकर मुख्यधारा का जीवन जी रहे हैं. 5 लाख की इनामी नक्सली जयमती बंजम 35-36 साल की महिला हैं. साल 2007 में नक्सल सलवा जुडुम से प्रेरित होकर नक्सलवाद से जुड़ गई. करीब आठ साल नक्सलियों के साथ मिलकर सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ कई बड़े ऑपरेशन किए हैं.

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जयमती बंजम ने कहा कि हमने कई सुरक्षा कर्मियों पर हमले किए हैं, लेकिन साल 2016 में वो नक्सल नेताओं के दोहरे चरित्र से ऊबकर नक्सल हिंसा से बाहर आईं और अब डीआरजी में शामिल हो गई हैं. उन्होंने जब सरेंडर किया तो उन्हें पांच लाख का इनाम और नौकरी मिली थी. छत्तीसगढ़ में जब भी कोई नक्सल ऑपरेशन होता है, उसमें डीआरजी यानी डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड सबसे आगे होते हैं. 

ये गार्ड टैक्टिकल ऑपरेशन में माहिर होते हैं. इन्हें नक्सलियों की भाषा, उनकी भौगोलिक परिस्थिति और रणनीति का बेहतर पता होता है. ये केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नक्सलियों के खात्मे की डेडलाइन 2026 में अहम किरदार बनने को पूरी तरीके से तैयार हैं. नक्सल एरिया कमिटी की मेंबर रही जैमिती कहती हैं कि असली पिक्चर अभी बाकी है. वे अब नक्सल से लड़ने को तैयार हैं.

नक्सल कमांडरों की जिला कमेटी में शामिल धनंजय अब प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं. कलेक्टर के कहने पर उन्हें नौकरी मिली. अब वे मलकानगिरी में पुलिस क्वार्टर के पास ही रहते हैं. सुरक्षा बलों की भी मदद करते हैं. धनंजय ने कहा कि वो जब नक्सली ग्रुप में थे तो एके-47, एलएमजी, एसएलआर और इंसास राइफल सहित कई तरह के हथियार चलाते थे. 

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उन्होंने बताया कि नक्सल नेता दोहरी बात करते हैं. थोड़ी सी चूक पर आदिवासियों को मार देते हैं. पैसा के लिए कुछ भी करते हैं. पहले रणनीति, रणकौशल और गणतंत्र की बात होती थी. अब केवल उगाही होती है. इसी तरह भीमासोडी भी नक्सली रह चुके हैं. उन्होंने बताया कि उसने नक्सल कैम्प में भर्ती होने पर 15 दिन की ट्रेनिंग ली थी. 2 साल बाद 25 दिन की ट्रेनिंग करवाई गई. 

उन्होंने कहा अब आदिवासी इलाकों में बहुत काम हो रहा है. जो चाहिए वो सब मिल रहा है. आखिर नक्सली बनकर अपने ही लोगों को मारकर क्या फायदा मिलेगा. एक अन्य पूर्व नक्सली रूसी ने कहा कि विकास का बहुत असर हो रहा है. सरकार ने पुनर्वास के लिए पैसा दिया है. नौकरी दिलाने में भी मदद कर रही है. हक के लिए अब उन्हें हथियार नहीं सरकार पर भरोसा है.

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 31 मार्च, 2026 से पहले देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाएगा. पिछले एक साल में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों ने 287 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज़ किया गया. 1000 को गिरफ्तार किया गया. 837 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. नक्सलमुक्त और नशामुक्त भारत बनाना है.

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इस सपने को साकार करने की दिशा में छत्तीसगढ़ पुलिस ने जुनून, विश्वास और समर्पण के साथ अपनी भूमिका को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. प्रधानमंत्री मोदी के साल 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण में छत्तीसगढ़ का भी बहुत बड़ा योगदान स्वर्णिम अक्षरों में अंकित होगा. नक्सलवाद के खिलाफ मोदी सरकार की सख्त नीति के कारण सुरक्षाबलों की मौत का आंकड़ा कम हुआ है.

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