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तीस हजारी कोर्ट ने विभव कुमार को 5 दिन की हिरासत में भेजा, पुलिस ने लगाया मोबाइल फॉर्मेट करने का आरोप

Swati Maliwal Assault Case: आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट करने के आरोपी विभव कुमार को तीस हजारी कोर्ट में पेश किया गया. दिल्ली पुलिस ने उनकी सात दिन की हिरासत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उनको 5 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है.

केजरीवाल के निजी सचिव विभव कुमार पर सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट का आरोप. केजरीवाल के निजी सचिव विभव कुमार पर सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट का आरोप.
संजय शर्मा/पीयूष मिश्रा
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  • 18 मई 2024,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट करने के आरोपी विभव कुमार को तीस हजारी कोर्ट ने पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. उन्हें शनिवार दोपहर को हिरासत में लिया गया था. इसके बाद सिविल लाइन पुलिस स्टेशन में पूछताछ के बाद शाम 4.15 बजे अरेस्ट कर लिया गया. तीस हजारी कोर्ट में उन्होंने अंतरिम जमानत याचिका भी दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था.

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दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि विभव के फोन को मुंबई में फॉर्मेट किया गया है. फोन फॉर्मेट करने से पहले डाटा क्लोन किया जाता है. इसलिए विभव को मुंबई लेकर जाना होगा. पुलिस ने कहा कि उन्होंने अभी तक अपने फोन का पासवर्ड भी नहीं दिया है, इसलिए मोबाइल ओपन करने के लिए एक्सपर्ट को देना होगा. बिना विभव की मौजूदगी के यह संभव ही नहीं है. महिला सांसद को पीटने की क्या वजह थी, यह पता लगाने के लिए भी हिरासत जरूरी है.

विभव कुमार के वकील राजीव मोहन ने कहा मोबाइल को फार्मेट की बात सही भी है तो भी उसका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है. शिकायत में कहीं यह नहीं कहा गया कि विभव व्हाट्सएप या कॉल करके बुलाते या धमकी देते थे. जहां तक पासवर्ड की बात है, तो ऐप्पल कभी अपने उपभोगता के मोबाइल का पासवर्ड नहीं देता. ये गिरफ्तारी ही जस्टिफाई नहीं है. पुलिस हिरासत का तो सवाल ही नहीं उठता. गिरफ्तारी का सिर्फ एक मकसद था कि अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कराया जा सके. जल्दबाजी में गिरफ्तारी की गई. एफआईआर की कॉपी भी नहीं दी गई, जबकि पूरे मीडिया में है. 

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उन्होंने कहा कि स्वाति मालिवाल बिना पूर्व अपॉइंटमेंट के मुख्यमंत्री आवास पर पहुंची थी. वो अपनी मर्जी से वहां पहुंची थी. वो अब ये भी बताएं कि इससे पहले कब बिना अपॉइंटमेंट के सीएम से मिलने गई थीं? इनका सीएम आवास पर जाने का मकसद क्या था? मीडिया में स्वाति के मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकलने का वीडियो चल रहा है. उसमे वो शर्ट नहीं कुर्ती पहने हैं. लिहाजा बटन खुलने या टूटने की बात भी सही नहीं है.

वकील राजीव मोहन ने कोर्ट में कहा कि स्वाति मालीवाल के सिर को सेंट्रल टेबल पर मारने की बात भी सही नहीं है. उनके सिर पर चोट नहीं दिख रही. दिल्ली पुलिस तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रही है. एफआईआर तीन दिन तक दर्ज न कर पाने के पीछे क्या बाधा थी? उसी दिन मेडिकल जांच क्यों नहीं कराई? इतनी ही चोट लगी थी तो उसी दिन प्राथमिक उपचार के लिए क्यों नहीं गईं? 112 की कॉल पर दिल्ली पुलिस तुरंत रिस्पॉन्स करती है. पुलिस को कॉल पर जो बताया गया उस पर तुरंत एफआईआर क्यों दर्ज नहीं कराई गई? इतना ही नहीं मेडिकल हेल्प भी नहीं मांगी गई.

गिरफ्तारी के बाद अंतरिम जमानत याचिका कोर्ट में खारिज

इससे पहले तीस हजारी कोर्ट में विभव की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील अनुज त्यागी ने कहा कि एडिशनल पब्लिक प्रासीक्यूटर ने बताया कि विभव को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. ऐसे में उनकी अंतरिम जमानत पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है. विभव के वकील एन हरिहरन ने कहा कि उनके मुवक्किल को गिरफ्तारी से पहले सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस नहीं दिया गया था.

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वकील एन हरिहरन ने स्वाति की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर पढ़ कर कोर्ट को सुनाया. इसी दौरान वरिष्ठ वकील राजीव मोहन भी विभव की पैरवी करने कोर्ट में पहुंचे. उन्होंने दलील दी कि सीएम आवास पर कोई ऐसी हरकत क्यों करेगा. स्वाति के आरोप समझ से परे हैं. विभव किसी के साथ ऐसे मारपीट क्यों करना शुरु कर देगा? वहां सैकड़ों लोग मौजूद थे. यदि वाकई मारपीट हुई होती, तो वो चिल्लाती, कोई ना कोई जरूर सुनता.

विभव के वकील ने कहा- सीएम की सुरक्षा में सेंध लगाया

उन्होंने कोर्ट में कहा कि सीएम से मुलाकात के लिए पहले अपॉइंटमेंट लिया जाता है, लेकिन स्वाति मालीवाल सीधे उनके आवास पर पहुंच गई. ये तो सीधा सीएम की सुरक्षा में सेंध है. वकीलों की ओर से कोर्ट को कुछ वीडियो क्लिप भी दिखाए गए. ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि मालीवाल के साथ कोई मारपीट नहीं हुई थी. उन्होंने कहा कि इसमें स्वाति सोफे पर बैठी नजर आ रही हैं. उस समय तक वो पुलिस को 112 पर कॉल कर चुकी थी. 

इसके बाद कोर्ट में विभव कुमार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की गई, तो जज सुशील अनुज त्यागी ने कहा कि दूसरे पक्ष को सुने बिना इस मामले में कोई भी राहत देना संभव नहीं है. दिल्ली पुलिस के वकील ने भी कहा कि बिना जांच अधिकारी का जवाब आए, कोर्ट को कोई राहत देने का फैसला नहीं लेना चाहिए. विभव की तरफ से एकतरफा तस्वीर पेश की गई है. हालांकि, इसके बावजूद विभव के वकीलों की तरफ से उनके लगातार जमानत की मांग की गई.

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13 मई की सुबह सीएम केजरीवाल के घर में क्या हुआ था?

स्वाति मालिवाल की ओर से दर्ज करवाई गई एफआईआर के मुताबिक वो सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलने सुबह सवेरे उनके घर पहुंची थी. वो सबसे पहले सीएम के कैंप ऑफिस में गईं. इसके बाद उन्होंने सीएम के पीएस विभव कुमार को कॉल किया, लेकिन बात नहीं हुई. उन्होंने विभव के मोबाइल नंबर पर व्हाट्स एप मैसेज भी भेजा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद वो हमेशा की तरह ही मुख्य दरवाजे से होकर सीएम केजरीवाल के घर में चली गईं.

गाली गलौज से शुरूआत, फिर बेहरमी से पीटने का आरोप

वहां उन्हें ड्राइंग रूम में बैठने को कहा गया और बताया गया कि मुख्यमंत्री घर में ही मौजूद हैं और वो जल्द उनसे मिलने आएंगे. लेकिन इससे पहले कि सीएम उनके पास आते, उनके पीएस विभव कुमार धक्के के साथ कमरे में घुस आए और बिना किसी उकसावे के उनके साथ गाली गलौज की शुरुआत कर दी. यहां तक कि बगैर किसी उकसावे के उन पर हमला कर दिया और उनके साथ मारपीट भी शुरू कर दी. उन्होंने पहले उन्हें लगातार 7-8 थप्पड़ मारे, जिससे वो बुरी तरह घबरा गईं और मदद के लिए चीखने चिल्लाने लगीं. उन्होंने किसी तरह अपने पैरों से विभव को खुद से दूर करने की कोशिश करने लगीं.

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स्वाति ने कहा- मेरे सीने और पेट के निचले हिस्से पर मारा

इसके बाद विभव कुमार फिर उन पर झपट पड़ा और उन्हें घसीटने लगा. उसने जानबूझ कर उसकी शर्ट ऊपर कर दी, जिससे शर्ट के बटन खुल गए. स्वाति इस मारपीट में जमीन पर गिर पड़ीं और उनका सिर ड्राइंग रूम में रखे सेंटर टेबल में जाकर लगा. वो मदद के लिए चिल्ला रही थी, लेकिन वहां उनकी मदद के लिए कोई नहीं था. विभव ने स्वाति के सीने, पेट, पेट के निचले हिस्से में लातों से मारा. बकौल स्वाति उन्हें इस मारपीट से भयानक दर्द हो रहा था और वो विभव को बार-बार रुकने के लिए कह रही थीं, लेकिन वो इसके लिए तैयार ही नहीं था. वो तो लगातार उन्हें बुरी तरह से मारता जा रहा था.

दिल्ली पुलिस को फोन पर स्वाति मालीवाल ने क्या कहा था?

इसके बाद में किसी तरह स्वाति खुद को विभव के कब्जे से छुड़ाने में कामयाब रही और जमीन पर गिर चुके अपने चश्मे को उठा कर वो सोफे पर ही बैठ गईं और उन्होंने वहीं से बैठे-बैठे दिल्ली पुलिस को 112 पर फोन कर इस वारदात की शिकायत की. लेकिन विभव ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी. इसी के साथ जब उसने देखा कि स्वाति ने पुलिस को फोन कर दिया है, तो फिर वो कमरे से बाहर चला गया. इसे खौफ कहें या फिर कुछ और इतना सबकुछ होने के बावजूद स्वाति ने उस रोज़ पुलिस में इसकी कोई शिकायत ही दर्ज नहीं करवाई. यहां तक कि वो पुलिस स्टेशन भी गई, लेकिन वहां से वापस लौट आईं.

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इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ है केस, सजा मिलनी तय

तीन दिन बाद जाकर उन्होंने दिल्ली पुलिस को अपना बयान दिया और तब पुलिस ने इस मामले में विभव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. फिलहाल इस एफआईआर में पुलिस विभव कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या की कोशिश), 323 (मारपीट करना), 341 (गलत तरीके से रोकना), 354 (शीलभंग की नीयत से हमला), 354B (महिला को निर्वस्त्र करने की कोशिश), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (महिला के शील हरण की कोशिश) लगाई है. सुप्रीम कोर्ट के वकील अनुराग किशोर की मानें तो ये आपराध गंभीर हैं. इसमें जुर्म साबित होने पर कड़ी सजा मिलनी तय है.

यह भी पढ़ें: स्वाति मालीवाल से विभव कुमार ने क्यों की बदसलूकी... ये है सीएम हाउस में हुई मारपीट की Inside Story

पुलिस को दी गई तहरीर में स्वाति ने क्या लिखा है...

''मैं दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने गई उनके कैंप ऑफिस गई थी. ऑफिस जाने के बाद सीएम के पीएस बिभव कुमार को फोन किया, लेकिन मुझसे संपर्क नहीं हो सका. फिर मैंने उसके मोबाइल नंबर पर (वॉट्सएप के जरिए) एक मैसेज भेजा. हालांकि कोई जबाब नहीं आया. उसके बाद मैं घर के मुख्य दरवाजे से अंदर गई, जैसा कि मैं पिछले सालों से हमेशा से करती आई हूं. चूंकि विभव कुमार वहां मौजूद नहीं थे, इसलिए मैं घर के अंदर दाखिल हुई और वहां मौजूद कर्मचारियों को सूचित किया कि वो सीएम से मिलने के बारे में बताएं. मुझे बताया गया कि वो घर में मौजूद हैं. मुझे ड्राइंग रूम में जाने के लिए कहा गया. मैं ड्राइंग रूम में जाकर सोफे पर बैठ गई और मिलने का इंतजार करने लगी. एक स्टाफ ने आकर मुझे बताया कि सीएम मुझसे मिलने आ रहे हैं. 

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इतना कहने के बाद सीएम के पीएस विभव कुमार कमरे में घुस आए. वो बिना किसी उकसावे पर चिल्लाने लगा और यहां तक ​​कि मुझे गालियां भी देने लगा. मैं इस अचानक घटना से स्तब्ध रह गई. मैंने उससे कहा कि वो मुझसे इस तरह बात करना बंद करें और सीएम को फोन करें. उसने कहा तू कैसे हमारी बात नहीं मानेगी? इसके बाद उसने मुझे थप्पड़ मारना शुरू कर दिया. उसने मुझे कम से कम 7-8 बार थप्पड़ मारे. मैं चिल्लाती रही. मैं बिल्कुल सदमे में थी और बचाव के लिए उसे धकेलने की कोशिश की. वो मुझ पर झपटा और बुरी तरह मेरी शर्ट को ऊपर खींच लिया. मेरी शर्ट के बटन खुल गए. मैं नीचे गिर गई. 

सेंटर टेबल पर मेरा सिर मार दिया. मैं लगातार मदद के लिए चिल्लाती रही. विभव कुमार नहीं माना और अपने पैरों से मेरी छाती, पेट और शरीर के निचले हिस्से पर लात मारकर मुझ पर हमला किया. मुझे पीरियड्स हो रहे थे. मैंने उससे कहा कि मुझे जाने दें. क्योंकि मैं बहुत दर्द में हूं. हालांकि, उसने बार-बार पूरी ताकत से मुझ पर हमला किया. मैं कोशिश कर रही थी कि किसी तरह से बाहर निकल जाऊं. फिर मैं ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठ गई और हमले के दौरान चश्मा नीचे गिर गया. इस हमले से मैं भयानक सदमे की स्थिति में थी. मुझे गहरा सदमा लगा और मैंने 112 नंबर पर फोन किया और घटना की सूचना दी. 

विभव ने मुझे धमकी देते हुए कहा, कर ले जो तुझे जो करना है. तू हमारा कुछ नहीं कर पाएगी. ऐसी जगह गाड़ देंगे किसी को भी पता नहीं चलेगा. फिर जब उसे एहसास हुआ कि मैं 112 नंबर पर हूं तो वो कमरे से बाहर चला गया. कुछ देर बाद विभव सीएम कैंप कार्यालय के मैन गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों के साथ वापस आ गया. विभव के कहने पर सुरक्षाकर्मियों ने मुझसे चले जाने के लिए कहा. मैं उनसे कहती रही कि मुझे बेरहमी से पीटा गया है और उन्हें मेरी हालत देखनी चाहिए और पीसीआर पुलिस के आने तक इंतजार करना चाहिए. हालांकि, उन्होंने मुझे कैंपस छोड़ने के लिए कहा. 

मुझे सीएम आवास के बाहर ले जाया गया और मैं कुछ देर के लिए उनके घर के बाहर फर्श पर बैठी, क्योंकि मैं गहरे दर्द में थी. बाद में पीसीआर पुलिस आई. मैं ऑटो में बैठकर जाने के लिए निकली. क्योंकि मुझे बहुत दर्द था. पूरी तरह से सदमे में थी और टूट गई थी. किसी तरह मैंने हिम्मत जुटाई और ऑटो को वापस जाने के लिए कहा और मामले की रिपोर्ट करने के लिए सिविल लाइंस थाने पहुंची. मैंने एसएचओ को घटना के बारे में बताया. मेरे मोबाइल पर भी मीडिया के खूब कॉल आने लगे. मैं लिखित शिकायत दर्ज किए बिना पुलिस स्टेशन से चली गई. मेरे हाथ-पैर और पेट में हमले के कारण बहुत दर्द हो रहा था.''

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