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ठाणे: मृत डॉक्टर की डिग्री लेकर 10वीं पास करता रहा लोगों का इलाज, ऐसे पकड़ा गया

महाराष्ट्र के ठाणे में पुलिस ने एक फर्जी डॉक्टर को अरेस्ट किया है. उन्हें शिकायत मिली थी कि यह फर्जी डॉक्टर किसी मृत डॉक्टर की डिग्री का इस्तेमाल करके लोगों का इलाज करता है. जिस डॉक्टर की डिग्री का यह फर्जी डॉक्टर इस्तेमाल कर रहा था, उनकी मौत साल 2019 में हो चुकी है. फिलहाल इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है.

सांकेतिक फोटो (Getty Images) सांकेतिक फोटो (Getty Images)
aajtak.in
  • ठाणे,
  • 13 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:17 PM IST
  • मृत डॉक्टर की डिग्री का इस्तेमाल करके कर रहा था इलाज
  • शिकायत के बाद पुलिस ने फर्जी डॉक्टर के खिलाफ किया मामला दर्ज

महाराष्ट्र के ठाणे में एक बेहद अजीबोगरीब मामला देखने को मिला. यहां पुलिस ने एक ऐसे फर्जी डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया है जो कि मृत डॉक्टर की डिग्री इस्तेमाल करके लोगों का इलाज करता था. रविवार को उल्हासनगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक मधुकर कद ने खुद इसकी जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि आरोपी विनोद राय ने केवल 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी और पिछले दो सालों से उल्हासनगर शहर के एक अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहा था. इसके लिए वह उस डॉक्टर की डिग्री का इस्तेमाल कर रहा था जिनकी मौत साल 2019 में हो चुकी है.

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मधुकर कद ने बताया कि उल्हासनगर नगर निकाय के एक चिकित्सा अधिकारी को निरीक्षण के दौरान इस धोखाधड़ी का पता चला. जिसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने शुक्रवार को आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया और उसे नोटिस जारी किया. पुलिस अधिकारी ने कहा कि अब तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

फर्जी डिग्री बनाने वाले गैंग का भंडाफोड़

वहीं, इससे पहले राजस्थान के अलवर जिले से पुलिस ने फर्जी डिग्री बनाने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया था. इस मामले में पुलिस ने तीन शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया. तीनों आरोपी बिहार के रहने वाले हैं. इनके पास से पुलिस को फर्जी मार्कशीट, फर्जी टीसी, माइग्रेशन, प्रोविजनल, परीक्षा की खाली और भरी कॉपियां सहित अन्य दस्तावेज बरामद किए. कड़ी पूछताछ के बाद आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया.

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कई विश्वविद्यालयों के साथ गठजोड़

अलवर की पुलिस अधीक्षक तेजस्वनी गौतम ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में सुधीर कुमार यादव (35), सुजीत कुमार मिश्रा (23) व सचिन कुमार सिंह (31) शामिल हैं. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार जालसाजों से पूछताछ में सामने आया कि वे निजी विश्वविद्यालयों से संबंध  स्थापित करके प्रवेश से लेकर परिणाम तक की सारी व्यवस्थाएं खुद ही करते हैं. उन्होंने बताया कि उत्तर भारत के कई राज्यों के निजी विश्वविद्यालयों से इनका 'गठजोड़' पाया गया हैं.

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