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मेमो जारी करने पर चार्टर्ड अकाउंटेंट की हत्या, 16 साल बाद 2 कातिलों को उम्रकैद

साल 2008 में मुंबई में एक सैलून चेन के चार्टर्ड अकाउंटेंट की हत्या के आरोप में दो कातिलों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. हत्यारों ने इस वारदात को सिर्फ इसलिए अंजाम दिया था, क्योंकि उन्हें काम में लापरवाही करने के कारण मेमो जारी किया गया था.

सीए की हत्या के आरोप में दो कातिलों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. सीए की हत्या के आरोप में दो कातिलों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 28 मई 2024,
  • अपडेटेड 9:35 PM IST

साल 2008 में मुंबई में एक सैलून चेन के चार्टर्ड अकाउंटेंट की हत्या के आरोप में दो कातिलों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. हत्यारों ने इस वारदात को सिर्फ इसलिए अंजाम दिया था, क्योंकि उन्हें काम में लापरवाही करने के कारण मेमो जारी किया गया था. उन्हें अपनी नौकरी जाने का डर था. इस मामले में कभी मृतिका का शव बरामद नहीं हो सका था, लेकिन कोर्ट ने अन्य सबूतों के आधार पर उन्हें सजा सुनाई है.

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मुंबई सेशन कोर्ट ने सजा देते हुए कहा कि मृतिका कृति व्यास एक चार्टर्ड अकाउंटेंट थी. वो अपने परिवार के लिए वित्तीय स्तंभ थी. मार्च 2018 में उसकी हत्या के बाद उसका परिवार अवसाद में चला गया. अभियोजन पक्ष ने आरोपी सिद्धेश ताम्हणकर और खुशी सहजवानी के खिलाफ मामले में प्रत्येक परिस्थिति को 'उचित संदेह से परे' साबित किया है. आखिरी बार कृति के साथ ही इन दोनों को ही देखा गया था.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने सिद्धेश ताम्हणकर और खुशी सहजवानी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 201 (साक्ष्य मिटाने) और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था. कोर्ट ने कहा कि उसके सामने पेश किए गए सभी सबूतों से यह निर्णायक रूप से स्थापित हुआ कि आरोपियों ने कार में कृति व्यास का गला घोंट दिया, जिससे धारा 302 के तहत गैर इरादतन हत्या हुई.

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इसमें कहा गया है कि खून के धब्बों की मौजूदगी और डीएनए रिपोर्ट ने इस निष्कर्ष की पुष्टि की है. कोर्ट ने कहा कि यह भी 'उचित संदेह से परे' साबित हुआ कि कृति व्यास की हत्या करने के बाद दोनों आरोपियों ने सबूत मिटाए और शव को ठिकाने लगा दिया. 

बताया गया कि सिद्धेश ताम्हणकर और खुशी सहजवानी के बीच अवैध संबंध था. दोनों मुंबई के एक मशहूर सैलून चेन में काम करते थे. कृति व्यास उनकी मैनेजर थी. दोनों की लापरवाही से नाराज होकर कृति ने उन्हें चेतावनी देते हुए मेमो जारी किया था. 

इससे ताम्हणकर और सहजवानी डर गए. उन्हें डर था कि कृति नौकरी से निकाल दे. यही वजह है कि उन दोनों ने कार में कृति की गला दबाकर हत्या कर दी. उसके शव को ठिकाने लगा दिया. एक आरोपी की कार में मिले खून के डीएनए टेस्ट के बाद मामले का खुलासा हुआ. 

दक्षिण मुंबई के ग्रांट रोड इलाके की निवासी कृति व्यास 16 मार्च, 2018 को लापता हो गई थी. उसके परिवार के अनुसार वो अंधेरी में अपने कार्यालय जाने के लिए ग्रांट रोड स्टेशन से सुबह 9:11 बजे विरार जाने वाली उपनगरीय ट्रेन में चढ़ती थी. लेकिन उस रोज घर वापस नहीं आई.

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परिजनों की शिकायत के आधार पर शुरू में डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया, लेकिन बाद में क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया. इसके बाद क्राइम ब्रांच ने लंबे समय तक चली जांच के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था. दोनों आखिरी बार उसके साथ देखे गए थे.

कोर्ट ने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ने परिस्थितियों की श्रृंखला बनाने वाली सभी कड़ियों को सफलतापूर्वक स्थापित किया. इसका कोई सीधा सूत्र नहीं है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित मामला कमजोर है और इसे कभी भी संदेह से परे साबित नहीं किया जा सकता है.

आरोपियों को सजा सुनाते समय जज ने कहा कि उन्होंने उनकी उम्र, पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके भविष्य पर सोच-समझकर विचार किया है. लेकिन कोर्ट इस बात को भी नजरअंदाज नहीं कर सकती कि 28 वर्षीय एक युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट के पीछे एक परिवार था.

कोर्ट ने कहा, "यह सच है कि उसके माता-पिता बूढ़े हैं. उसकी एक बेरोजगार बहन है. वे सभी कृति की कमाई पर निर्भर थे. इस तरह वो अपने परिवार का वित्तीय स्तंभ थी. उसके लापता होने के बाद से उसका परिवार ऐसे संकट में आ गया, जिसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.'' 

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