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उदयपुर पेपर लीक मामला: 41 आरोपियों को मिली जमानत, पुलिस की धाराओं पर वकील ने उठाए सवाल

उदयपुर पेपर लीक मामले में गोगुंदा टोल नाके से पकड़ी गई बस में सवार 33 आरोपित और होटल से पकड़े गए 10 लोगों में से 8 को जमानत मिल गई है. वहीं, इस मामले के मास्टरमाइंड सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. आरोपियों पर लगाई गई धाराओं पर वकीलों ने सवाल उठाए हैं.

पेपर लीक केस के मास्टरमाइंड अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. पेपर लीक केस के मास्टरमाइंड अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.
aajtak.in
  • उदयपुर,
  • 19 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:03 AM IST

आरपीएससी पेपर लीक मामले में 22 दिन बाद 41 आरोपितों को जमानत मिल चुकी है. उदयपुर पेपर लीक मामले में गोगुंदा टोल नाके से पकड़ी गई बस में सवार 33 आरोपित और होटल से पकड़े गए 10 लोगों में से 8 को जमानत मिल गई है. इस तरह से इस पूरे प्रकरण में अब तक कुल 41 लोगों को जमानत मिल चुकी है. 

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बाकी आरोपियों को भी जमानत मिलने की संभावना 

बाकी आरोपियों को भी जल्द ही जमानत मिलने की संभावना है. वकीलों ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. वकीलों का कहना है कि जिस तरीके से पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ जिन धाराओं का मामला दर्ज किया है, उसी के माध्यम से आरोपितों के वकीलों ने उन्हें जमानत दिला दी है. 

पैसों के दम पर नौकरी पाने का ख्वाब था 

जिन 41 आरोपितों को जमानत मिली है, वे सभी परीक्षार्थी थे जिन्होंने पेपर का सौदा किया था. वे बिना पढ़े लिखे हैं और पैसों के दम पर चंद घंटे पहले पेपर खरीद कर उसे पढ़कर नौकरी पाने का सपना देख रहे थे.

मामले के मास्टरमाइंड पुलिस की गिरफ्त से बाहर 

हालांकि, इस पूरे प्रकरण में जो मुख्य आरोपी सुरेश ढाका का साला सुरेश बिश्नोई है. वह अभी भी जेल के अंदर है. वहीं, सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण इस पूरे कांड के मास्टरमाइंड थे. उन्होंने यहां तक पेपर पहुंचाया था, लेकिन वे अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. 

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आरोपियों पर NSA लगाने की बात डीजीपी ने कही थी 

पेपर लीक को लेकर राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (DGP) उमेश मिश्रा ने कहा कि इस मामले में जो लोग संलिप्त पाए जाएंगे, उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने राज्य सरकार को ये सुझाव भी दिया कि इस तरह के मामलों में दोषी अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का कानून भी बनाया जाना चाहिए.

(इनपुट- महेंद्र बांसरोटा)

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