
नवाबों के शहर लखनऊ से सटा काकोरी एक बार फिर सुर्ख़ियों में है. 94 साल पहले इसी काकोरी इलाके में अंग्रेजी हुकूमत से लड़ने के लिए क्रांतिकारियों ने सरकारी खजाना लेकर जा रही ट्रेन को लूटने का काम किया था. काकोरी और काकोरी कांड का नाम स्वतंत्रता संग्राम में किसी तीर्थ स्थान की तरह लिया जाता रहा है.
हालांकि बीते कई सालों से काकोरी का नाम आतंकी घटनाओं और आतंकियों की पनाहगाह के तौर पर सामने आने लगा है. आखिर क्यों काकोरी और उसके आसपास का इलाका आईएसआईएस और अलकायदा जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों का ठिकाना बनता जा रहा है? यह सवाल सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी परेशान करने वाला है.
5 मार्च 2017 लखनऊ में यूपी एटीएस ने 36 घंटों के ऑपरेशन के बाद दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस के खुरासान मॉड्यूल के आत्मघाती आतंकी सैफुल्ला को मार गिराया था. ठीक 4 साल 4 महीने 5 दिन बाद लखनऊ के इसी इलाके से अलकायदा के गजवातुल हिंद से जुड़े दो संदिग्ध आतंकी पकड़े जाते हैं.
इनके पास से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद होती है. सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया कि आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश को दहलाने की साजिश थी. 2017 में मारा गया सैफुल्ला ठाकुरगंज की हाजी कॉलोनी में रहकर आईएसआईएस के मंसूबों को खतरनाक अंजाम देने की फिराक में था. अब पकड़े गए मिनहाज अहमद और नसीरुद्दीन भी इसी इलाके में रहते हैं.
यही इलाका संदिग्धों के लिए पनाहगाह क्यों बन रहा?
मिनहाज काकोरी थाना क्षेत्र के दुबग्गा इलाके में अपने परिवार के साथ रहता था तो वही दूसरी तरफ नसीरुद्दीन दुबग्गा से सटे मड़ियाव में रहता था. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि आखिर यही इलाका संदिग्धों के लिए पनाहगाह क्यों बन रहा है. दरअसल ये वो इलाके हैं जो लखनऊ से किसी भी तरफ जाने वाले हाईवे या अन्य मार्गो से जुड़े हैं.
काकोरी का दुबग्गा इलाका हो या ठाकुरगंज की हाजी कॉलोनी, यहां से लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, लखनऊ हरदोई रोड, लखनऊ कानपुर रोड सबसे करीब है. यह लखनऊ के पुराने शहर से भी करीब है. ऐसे में इन इलाकों में पनप रही नई बस्तियां जहां पर कोई किसी को पुश्तैनी ढंग से नहीं जानता, सब अपने गांव कस्बे को छोड़कर बसे हैं.
पुलिस की पेट्रोलिंग और निगरानी भी इन विकसित हो रही बस्तियों में कम है. कुछ ऐसा ही लखनऊ का मड़ियाव के आईआईएम रोड से सटा मोहिबुल्लापुर इलाका भी है. इस इलाके से सीतापुर रोड, आईआईएम रोड से हरदोई रोड, लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे और कानपुर रोड पर पहुंचना सबसे आसान है.
यह तमाम भौगोलिक परिस्थितियां और नई बस्तियों से इंटेलिजेंस एजेंसियों की कमी ही इन इलाकों देश विरोधी ताकतों और संगठनों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया करा रही है. हालांकि इस संबंध में पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर का कहना है कि यह कहना थोड़ा जल्दबाजी है, लेकिन नई बस्तियों में एक-दूसरे को जानने वाले कम हैं.