
उत्तराखंड में इन दिनों सत्तापक्ष के विधायकों और नेताओं का दखल पुलिस डिपार्टमेंट में साफतौर पर देखने को मिल रहा है. एक तरफ रूटीन में होने वाले ट्रांसफर को रोका जाता है, दूसरी तरफ उत्तराखंड के चौकी थाने भी अब विधायक मंत्री बांटने में लगे हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि हाल ही में भाजपा विधायक का मसूरी में चालान काटने वाले दरोगा का अगले ही दिन देहरादून के एक अन्य थाने में ट्रांसफर कर दिया गया.
हालांकि इस दौरान 100 से अधिक दरोगाओं के ट्रांसफर हुए हैं, जो पिछले 3 साल से अधिक समय से एक ही थाने में जमे हुए थे. दरअसल, मार्च महीने में पुलिस विभाग में निरीक्षकों और उपनिरीक्षकों के करीब 108 तबादले गढ़वाल रेंज में हुए थे, जिस पर पहले रोक लग गई थी.
बता दें कि राज्य के दो बड़े जिले उधम सिंह नगर और देहरादून में ऐसा ही कुछ देखने को मिला है. जहां मंत्री नेता के हस्तक्षेप के बाद पुलिस के ट्रांसफर हो रहे हैं. मसूरी में मास्क को लेकर विधायक का चालान करने वाले पुलिस दारोगा को जिले के कालसी थाने में भेज दिया गया है.
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साथ ही उधम सिंह नगर में लिखित स्थानांतरण मामला भी चर्चाओं में हैं, जो बीजेपी विधायक की वजह से हुआ है. इन मामलों का संज्ञान पुलिस मुख्यालय द्वारा लिया गया है. पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता डीआईजी निलेश भरने का कहना है कि उधम सिंह नगर में हुए सभी ट्रांसफर निरस्त कर दिए गए हैं. जिस पर आईजी कुमाऊं को जांच के भी आदेश दिए गए हैं. अन्य जिलों से भी ऐसे तबादलों की जानकारी जुटाई जा रही है.
यह कोई पहला मौका नहीं है, जब सरकार के मंत्री और विधायक के हस्तक्षेप से पुलिसवालों के ट्रांसफर हो रहा हो. इससे पहले भी कई बार ऐसे प्रकरण सामने आए हैं. लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे ही पुलिस जवानों के ट्रांसफर होते रहे, तो उनका मनोबल भी टूटता रहेगा.
विधायक, मंत्री के हस्तक्षेप के बाद हो रहे तबादलों पर अब उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने संज्ञान लिया है और कुमाऊं आईजी से इस मामले में पूरी जानकारी मांगी गई है. साथ ही राजधानी देहरादून में हुए तबादलों की भी जांच की जा रही है. सभी तथ्य सामने आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.