निर्भया केस के दोषियों को कभी भी फांसी दी जा सकती है. दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है. उस पर फैसला होते ही चारों दोषियों को फांसी हो सकती है. इसके लिए फांसी की स्पेशल रस्सी भी बनवाई जा रही है और जल्लाद की भी खोज शुरू हो गई है.
फांसी देने का समय क्या होता है, कैसी पूरी प्रक्रिया संपन्न होती है, फांसी देने पर जल्लाद को कितने पैसे मिलते हैं, इन सब सवालों के जवाब पाने के लिए क्राइम तक की टीम ने पवन जल्लाद से बात की, जिनका पूरा खानदान ही फांसी देने के काम में लगा रहा.
जब क्राइम तक की टीम ने पवन जल्लाद से पूछा कि फांसी देने के काम में आपको कितने पैसे मिलते हैं, तब पवन ने जवाब दिया, "पहले तो इस काम के पुराने समय के हिसाब से बहुत पैसे मिलते थे. उस समय 100 रुपये मिला करते थे, जो पुराने समय में एक बड़ी रकम होती थी. 2013 तक यह बढ़कर 3 हजार रुपये हो गई थी, लेकिन यह राशि आज के हिसाब से बहुत कम थी. फिर इसके लिए हमने आवाज उठाई. अब फांसी लगाने के 5 हजार रुपये मिलते हैं."
बता दें कि पवन कुमार के परिवार ने अभी तक 25 से ज्यादा लोगों को जल्लाद के रूप में फांसी दी है. इस जल्लाद परिवार की कहानी आजादी के बाद से लक्ष्मण, कालूराम, बब्बू सिंह से होते हुए अब पवन जल्लाद पर आ गई है.
गौरतलब है कि निर्भया मामले में दोषियों की फांसी के लिए उल्टी गिनती शुरू होते ही जल्लाद की खोज शुरू हो गई है. तिहाड़ जेल प्रशासन ने जल्लाद की खोज के लिये उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन को चिट्ठी लिखी है. 9 दिसंबर को तिहाड़ जेल प्रशासन की तरफ से चिट्ठी लिखी गई थी जिसमें यूपी जेल प्रशासन से जल्लादों के बारे में ब्योरा मांगा गया. तिहाड़ जेल प्रशासन ने जल्लादों को जल्द से जल्द देने की बात भी इस चिट्ठी में कही थी.
निर्भया केस मे दोषियों को फांसी देने के लिए जल्लादों की जरूरत पड़ेगी. यूपी में दो जल्लाद मौजूद हैं. दोनों में से किसी एक को यूपी जेल प्रशासन तिहाड़ जेल भेजेगा. इस काम के लिये तिहाड़ जेल प्रशासन जल्लादों के सारे खर्चों और यात्रा का खर्च वहन भी करता है.