बुधवार को निर्भया रेप केस के आरोपी अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटिशन सुप्रीम कोर्ट में खारिज कर दी गई है. अब निर्भया रेप के चारों दोषियों को कभी भी फांसी हो सकती है. दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है. उस पर फैसला होते ही चारों दोषियों को फांसी हो सकती है. इसी संदर्भ में क्राइम तक की टीम ने फांसी देने वाले जल्लाद पवन से बात की और उनसे जाना कि फांसी पर चढ़ते समय कैदी क्या किसी तरह का ड्रामा भी करते हैं ? (Demo Photo)
इस पर पवन जल्लाद ने अपने फांसी देने के पुराने किस्से सुनाते हुए कहा, "इलाहबाद की नैनी जेल में एक रेपिस्ट को सर्दियों में फांसी दी जानी थी. उसका पूरा शरीर कांप रहा था. वह फांसी के तख्ते पर नहीं आ रहा था तो उसे जबरदस्ती पकड़कर तख्ते तक लाया गया. जल्द से उसे गोल घेरे में खड़ा कर टोपा डाला गया और लीवर के पास पहुंचकर इशारा किया. जेल अधीक्षक ने जल्द रूमाल से इशारा किया और मैंने लीवर खींच दिया."
वहीं, एक और फांसी के किस्से पर बात करते हुए पवन बोले, " एक कैदी था आगरा का जुम्मन...जैसे ही वह फांसी गेट के अंदर पहुंचा, वह बोला कि मुझे छोड़ दो, मैं अपने आप चलूंगा. उसके बाद वह अकेला फांसी के फंदे के नीचे पहुंचा और तख्ते पर खड़ा हो गया. फिर मैंने उसके पैर बांधे, टोपा डाला और इशारा मिलते ही फांसी पर चढ़ा दिया."
बता दें कि पवन कुमार के परिवार ने अभी तक 25 से ज्यादा लोगों को जल्लाद के रूप में फांसी दी है. इस जल्लाद परिवार की कहानी लक्ष्मण, कालूराम, बब्बू सिंह से होते हुए अब पवन जल्लाद पर आ गई है.
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को देश की राजधानी दिल्ली में निर्भया रेप केस की घटना हुई थी. निर्भया मामले में दोषियों की फांसी के लिए उल्टी गिनती शुरू होते ही जल्लाद की खोज शुरू हो गई है. तिहाड़ जेल प्रशासन ने जल्लाद की खोज के लिये उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन को चिट्ठी लिखी है. 9 दिसंबर को तिहाड़ जेल प्रशासन की तरफ से चिट्ठी लिखी गई थी जिसमें यूपी जेल प्रशासन से जल्लादों के बारे में ब्योरा मांगा गया.