देश भर को हिलाने वाले निर्भया मामले में चारों आरोपियों का मंगलवार को पटियाला कोर्ट से डेथ वारंट जारी हो गया है. इन चारों को 22 जनवरी सुबह 7 बजे से पहले फांसी दे देनी होगी. 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली की एक छात्रा के साथ 6 लोगों ने चलती बस में गैंग रेप की घटना को अंजाम दिया था, उसी निर्भया केस में चार आरोपियों का डेथ वारंट जारी हुआ है. इनमें से एक आरोपी पहले ही मर चुका है और एक नाबालिग था.
निर्भया मामले में क्राइम तक की टीम ने कुछ समय पहले एक ऐसे ही जल्लाद से बात की, जिनका फांसी देना खानदानी काम है. इस परिवार ने अभी तक 25 से ज्यादा लोगों को जल्लाद के रूप में फांसी दी है और आजाद भारत में अभी तक 57 फांसी हुई हैं. आखिरी फांसी याकूब मेमन को नागपुर सेंट्रल जेल में दी गई थी.
इस जल्लाद परिवार की कहानी लक्ष्मण, कालूराम, बब्बू सिंह से होते हुए अब पवन कुमार तक आ गई है. उनसे ही जानते हैं कि फांसी घर में फांसी से पहले इशारों में क्यों बात की जाती है?
फांसी घर के बारे में बात करते हुए पवन ने बताया था, "फांसी देते समय 4-5 सिपाही होते हैं, वह कैदी को फांसी के तख्ते पर खड़ा करते हैं. वह कुछ भी बोलते नहीं हैं, केवल इशारों से काम होता है. इसके लिए एक दिन पहले हम सब की जेल अधीक्षक के साथ एक मीटिंग होती है. इसके अलावा फांसी घर में जेल अधीक्षक, डिप्टी जेलर और डॉक्टर भी वहां मौजूद रहते हैं."
फांसी देते समय वहां मौजूद लोग कुछ भी बोलते नहीं हैं, सिर्फ इशारों से काम होता है. इसकी वजह बताते हुए पवन ने कहा, "इसकी वजह है कि कैदी कहीं डिस्टर्ब न हो जाए, या फिर वह कोई ड्रामा न कर दे. इसीलिए सभी को सब कुछ पता होता है लेकिन कोई भी कुछ बोलता नहीं है."
बता दें कि साल 2012 के निर्भया गैंगरेप मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को चारों दोषियों का डेथ वॉरंट जारी कर दिया गया है. इन चारों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे से पहले फांसी पर लटकाया जाएगा. इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट के जज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चारों दोषियों से बात की. इस दौरान मीडिया को भी अंदर नहीं जाने दिया गया. सुनवाई के दौरान निर्भया की मां और दोषी मुकेश की मां कोर्ट में ही रो पड़ीं. गौरतलब है कि निर्भया मामले में चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, विनय और पवन को पहले ही फांसी की सजा दी जा चुकी है.
इस मामले में अब निर्भया केस से जुड़ा कोई भी केस दिल्ली की किसी भी अदालत में लंबित नहीं है. पिछले 1 महीने के दौरान तकरीबन 3 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और पटियाला हाउस कोर्ट से खारिज हो चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट एक दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर चुका है जबकि दिल्ली हाई कोर्ट ने एक और दोषी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने खुद को जुवेनाइल बताकर मामले की सुनवाई जेजे एक्ट के तहत करने की गुहार लगाई थी.