हरियाणा के सोनीपत में दो पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में 6 में से एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया जबकि एक को मुठभेड़ में मार गिराया गया. इस मामले में एक पुलिसकर्मी के हाथ में आरोपियों की कार का नंबर लिखा मिला, जिससे इस मामले का इतनी जल्दी खुलासा हो सका.
सोनीपत में दो पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में मंगलवार को एसपी जशनदीप सिंह रंधावा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पूरे मामले की जानकारी दी. एसपी जश्नदीप सिंह रंधावा ने बताया कि इस वारदात को अंजाम देने वाले छह आरोपी हैं, जिसमें अमित नाम के बदमाश को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया है, जबकि संदीप नाम के बदमाश को गिरफ्तार किया है, विकास नाम का शख्स जींद में मुठभेड़ के बाद फ़रार हो गया. सभी बदमाश शराब पीने यहां आए थे. सभी को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा. (प्रतीकात्मक फोटो)
एसपी के अनुसार दोनों पुलिसकर्मियों ने बखूबी ईमानदारी से ड्यूटी निभाई है. वहीं, हत्या के बाद सुबह तक उनके शव पड़े होने के बावजूद चौकी व थाने की पुलिस के ध्यान नहीं देने के मामले में किसी तरह की कोई लापरवाही है तो उसकी जांच कराई जाएगी.
एसपी जश्नदीप सिंह ने बताया कि जब सिपाही रविंद्र व एसपीओ कप्तान गश्त करते हुए हरियाली सेंटर के पास पहुंचे तो वहां खड़ी गाड़ी को देखकर सिपाही ने अपने हाथ पर उसका नंबर लिख लिया. वह इसलिए किया गया, जिससे उसमें अपराधी होने पर अगर वह भागते हैं तो उनको गाड़ी के नंबर के आधार पर पकड़ा जा सके लेकिन वहां आरोपियों ने उनपर हमला कर दिया. उस समय भी डंडे के सहारे ही सिपाही व एसपीओ ने धारदार हथियार ले रहे आरोपियों से काफी देर तक संघर्ष किया.
एसपी के अनुसार, सिपाही के हाथ पर लिखा गाड़ी का नंबर ही घटना के खुलासे की सबसे अहम कड़ी रही. उस गाड़ी के नंबर को ट्रेस किया गया तो वह जींद के गुरमीत के नाम पर निकली. उससे पूछताछ करने पर पता चला कि उसने वह गाड़ी संदीप को बेची थी जिसके बाद संदीप की तलाश शुरू की गई और उसे सर्विलांस के सहारे पकड़ लिया गया. उसने पुलिस को पूरी घटना बताई और उसके बाद अमित व विकास को पकड़ने जाने पर पुलिस पर हमले के अलावा अमित की गोली लगने से मौत हुई.
एसपी जश्नदीप रंधावा ने खुद माना कि जहां सिपाही रविंद्र ने हत्यारोपियों से लड़ते हुए संघर्ष किया, वहीं उसने हाथ पर गाड़ी का नंबर लिखकर ड्यूटी का फर्ज भी निभाया. उसके हाथ पर गाड़ी का नंबर लिखने के कारण ही पूरे मामले का खुलासा हो सका है.
बता दें कि सिपाही रविंदर और एसपीओ कप्तान सिंह जब बुटाना चौकी के अंतर्गत गश्त पर थे तो वहां पर पहले से ही मौजूद अमित, संदीप उसके अन्य 4 साथी गाड़ी में बैठकर शराब पी रहे थे. सिपाहियों ने उन सभी को शराब पीने से रोका तो अमित ने अपने साथियों के साथ मिलकर दोनों पर चाकू से हमला किया और दोनों को मौत के घाट उतार दिया.(प्रतीकात्मक फोटो)
बाद में जब इस पूरे मामले की जांच हुई तो सीआईए टू की टीम को उस गाड़ी का पता चला, जिसका नंबर मृतक पुलिसकर्मी ने हथेली पर लिख रखा था. इसके बाद पुलिस टीम गाड़ी मालिक तक पहुंची. गाड़ी मालिक ने बताया कि वह गाड़ी संदीप नाम के एक शख्स को भेज रखी है. इसके बाद संदीप के घर पर टीम पहुंची तो संदीप के घर में मौजूद संदीप और अमित ने पुलिस टीम पर भी हमला किया जिसमें सीआईए टू इंचार्ज अनिल, साइबर सेल इंचार्ज प्रशांत, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर मंदीप, हेड कांस्टेबल राजेश को चाकू लगे. पुलिस टीम ने बचाव में कार्रवाई करते हुए अमित को मौके पर ही मार गिराया. विकास नाम का एक साथी भागने में कामयाब हो गया लेकिन संदीप को पकड़ लिया. रविंदर और कप्तान सिंह के हत्या में छह आरोपी शामिल थे, अन्य चार आरोपी बचे हैं.(प्रतीकात्मक फोटो)