विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद यूपी के अपराधियों में डर का माहौल है. आरोपियों में एनकाउंटर का डर सता रहा है. विकास दुबे का साथी 50 हजार रुपये के इनामी उमाकांत शुक्ल उर्फ गुड्डन ने चौबेपुर थाने पहुंच समर्पण कर दिया. वह गले में रहम की तख्ती लटका कर पत्नी-बेटी के साथ थाने पहुंचा. पुलिस अब उससे पूछताछ कर रही है.
(Photo Aajtak)
शनिवार सुबह गमछे से मुंह ढके उमाकांत पत्नी और अपनी बेटी के साथ चौबेपुर थाने पहुंचा. उसके गले पर एक तख्ती लटकती हुई थी. जिस पर लिखा था कि 'मेरा नाम उमाकांत शुक्ला उर्फ बउवन उर्फ गुड्डन निवासी बिकरू थाना चौबेपुर है. मैं बिकरू कांड में विकास दुबे के साथ शामिल था. मुझे पकडऩे के लिए पुलिस रोज तलाश कर रही थी, जिससे मैं बहुत डरा हुआ हूं. हम लोगों जिस घटना को अंजाम दिया, उसे लेकर बहुत आत्मग्लानि है. मैं खुद पुलिस के सामने हाजिर हो रहा हूं. मेरी जान की रक्षा की जाए. मुझ पर रहम किया जाए.'
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उमाकांत ने पुलिस को बताया कि उसने विकास दुबे के कहने पर अपनी लाइसेंसी राइफल से गोलियां चलाई थीं. घटना के बाद विकास ने कहा था कि सब लोग अलग-अलग हो जाओ. इसलिए वह शहर-शहर घूमता रहा. जब कोई बचने का रास्ता नहीं बचा तो उसने सरेंडर कर दिया.
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उमाकांत के सरेंडर करने के बाद पुलिस विभाग के आलाधिकारी उससे पूछताछ कर रहे हैं. बिकरु हत्याकांड से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां पुलिस मिली हैं. आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद असलहे कहां छिपाए थे. उमाकांत ने पुलिस को बताया कि दो जुलाई को पूरी प्लानिंग की गई थी. सिपाहियों को खोज-खोज कर मारा गया था. इस हत्याकांड के बाद पांच सिपाहियों के शव शौचालय में पहुंचाए गए थे. विकास दुबे ने इन्हें जलाने का काम किया था.
इसके अलावा उमाकांत ने बताया कि विकास दुबे का आतंक इतना था कि उसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता था. वो बहुत खतरनाक इंसान था. गांव के रहने वाले मुन्ना सक्सेना ने विकास के खिलाफ आवाज उठाई थी. तब विकास दुबे ने बीच गांव में उसकी जमकर पिटाई की थी. उससे जलील करने के लिए मुंह पर पेशाब कर दी थी.
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