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पुलिस एंड इंटेलिजेंस

17 साल बाद जब खत्म हुआ केस तो भावुक होकर रोने लगा यूपी का यह पूर्व पुलिस अधिकारी

aajtak.in
  • लखनऊ ,
  • 31 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 1:14 PM IST
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उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपीएसटीएफ के पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह पर दर्ज मुकदमे को वापस ले लिया है. वाराणसी की सीजेएम कोर्ट ने योगी सरकार के फैसले को मंजूरी दे दी है. केस वापस लिए जाने के बाद शैलेंद्र सिंह ने योगी सरकार का शुक्रिया अदा किया है. आइए जानते हैं क्या था वो वह मामला ज‍िसको बयान करते समय सख्त पुल‍िस अफसर की आंखों में भी आंसू आ गए. आजतक के साथ उन्होंने उस पूरे मामले को साझा क‍िया. (लखनऊ से कुमार अभि‍षेक की र‍िपोर्ट)   

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पूर्व डीएसपी ने बताया क‍ि मुझपर केस वापस करने का बड़ा दबाव बनाया गया. लोगों ने मुझसे कहा कि आप मुख्तार का नाम नहीं लेंगे. अब मुख्तार अंसारी केस का मैं वादी बनकर अपने बयान से कैसे पलट सकता हूं, यह संभव नहीं है.इसके बाद बहुत तरीके से मुझे फिर प्रताड़ित किया गया. अधिकारी भी मुझसे कहने लगे मुख्यमंत्री मुलायम सिंह आपसे काफी नाराज हैं तो मैंने कहा कि मैं मुलायम सिंह जी से मिलकर अपनी बातें साफ करना चाहता हूं. आखिर में जब बात बहुत ही खराब हो गई तो मैंने पहला रेजिग्नेशन भेजा और मैंने अपने उस त्याग पत्र में लिखा था कि अब अपराधी यह तय कर रहे हैं कि मुझे क्या करना है. पहला रेजिग्नेशन स्वीकार नहीं हुआ तब मैंने दूसरा रेजिग्नेशन भेजा क्योंकि मुलायम सिंह कहने लगे कि एक पॉलि‍टि‍कल रेजिग्नेशन है. बाद में मैंने दूसरा रेजिग्नेशन भेजा. मैंने साफ कर दिया क‍ि मैं आपके साथ काम नहीं कर सकता.
 

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पूर्व डीएसपी ने आगे क‍हा क‍ि तब आपको याद होगा 2003 में कैंट थाने में मुख्तार और कृष्णानंद राय के बीच क्रॉस फायरिंग हुई थी. तब हमें टास्क दिया गया था कि इन दोनों को वॉच करिए नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता है. सेना का भगोड़ा बाबूलाल यादव मुख्तार अंसारी से बात कर रहा था और वह हर हाल में किसी कीमत पर वह एलएमजी खरीदना चाहता था क्योंकि वह इस एलएमजी से कृष्णानंद राय को मारना चाहता था. यह सब कुछ रिकॉर्ड पर है. मैंने पोटा लगाया था लेकिन मुलायम सिंह सरकार ने उस पर मंजूरी नहीं दी. साधारण आर्म्स एक्ट लगाया जिससे मुख्तार बच गए.

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पूर्व डीएसपी शैलेंद्र ने कहा क‍ि आप इस बात का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि रातोरात आईजी बनारस, डीआईजी बनारस, एसएसपी बनारस सभी लोगों को हटा दिया गया था. इन लोगों ने किसी भी कीमत पर यह केस खत्म करने का मन बनाया था. मुझे बाद में दूसरे केस में जेल भेजा गया. यहां तक कि मेरे इंस्पेक्टर अजय चतुर्वेदी पर जांच बिठाई गई और अभी तक उस पर जांच चलती रही और जब वह रिटायर हो गया तब उस पर एफआइआर कराई गई है. यानी कि इस इस सरकार में भी ऐसे अधिकारी बैठे हैं जो आज भी बदले की कार्रवाई कर रहे हैं. मेरे इंस्पेक्टर अजय चतुर्वेदी पर उस वक्त भी कार्रवाई कराई गई और 17 साल के बाद इस सरकार में भी एफआईआर कराई गई जबकि जांच में कई बार आया कि दोषी नहीं लेकिन कई अधिकारी ऐसे हैं जो आज भी सिस्टम का फायदा उठा रहे हैं.

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डीएसपी ने स‍िस्टम की पोल खोलते हुए कहा क‍ि सिस्टम से एक अकेला अधिकारी नहीं लड़ सकता. मेरे सूत्रों ने मुझे बताया था कि इतनी प्लानिंग कर रखी है कि यह लोग ऐसी जगह ट्रांसफर करेंगे क‍ि‍ आपके गनर ही आपको मारेंगे. इन लोगों ने इस लेवल तक की प्लानिंग कर रखी थी. उस वक्त मैंने अपने त्याग पत्र में लिखा था कि अपराधी डिसीजन ले रहे हैं और नेता उस पर मोहर लगा रहे हैं.

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पूर्व डीएसपी ने केस के बारे में बात करते हुए कहा क‍ि मैंने लिखा था कि किस तरीके से जान पर खेलकर मैंने लाइट मशीन गन की रिकवरी की थी. कोई अधिकारी जाने को तैयार नहीं था. मैं और मेरी टीम ने जान पर खेलकर रिकवर किया और उसके बाद यह हुआ कि आप लोग केस वापस करो नहीं तो आप को जेल में डाल दिया जाएगा. ऐसे कैसे काम होगा? इसी वजह से फिर हम लोगों ने नौकरी छोड़ी. मैंने अपने त्यागपत्र में लिखा क‍ि किस तरीके से चुने हुए नेता आपके लिए काम करते हैं.

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यह सब कहते-कहते शैलेन्द्र की आंखों में आंसू आ गए. इन सब बातों से भावुक होना लाजमी है. 17 कीमती साल मेरे बर्बाद हुए. नौकरी छोड़ने का दर्द नहीं लेकिन कैसे जिंदगी जी है यह मैं जानता हूं. कैसे परिवार को बचाकर लेकर चला हूं, यह मैं जानता हूं. डर की बात नहीं है. जिस राह पर चला हूं, खौफ नहीं है लेकिन परिवार को तकलीफ होती है तो परेशान होता हूं. 

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उसी वक्त योगी आदित्यनाथ ने मेरी सुध ली थी जब मैं जेल में था और उन्होंने मदद का वादा किया था. मैं सरकार से अनुरोध करूंगा कि किसी के साथ ऐसा ना हो और मैं इस सरकार से अपील करता हूं कि मेरी उस वक्त की टीम के साथ आज भी जो बुरा हो रहा है उसे यह सरकार जरूर देखें. न तो मेरा आर्म्स लाइसेंस बन पाया ना मेरा पासपोर्ट बन पाया. किस परिस्थिति में इतने बड़े-बड़े पंगे लेकर आप अकेले घूम रहे हैं कोई सुरक्षा नहीं. कोई भी अच्छी नौकरी में आता है तो समझता है कि काम करें लेकिन यह दर्द रहता है, 

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पूर्व डीएसपी ने पीएम और सीएम के बारे में बात करते हुए कहा क‍ि योगी आदित्यनाथ और तब मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने भी मेरा हाल पूछा था और जब मेरी परेशानी देखी तो उन्होंने मुझे अपने साथ काम करने के लिए कहा तब से मैं इन लोगों के साथ काम कर रहा हूं. केस हटाया गया तो अब बहुत राहत है. अब मैं कहीं भी जा सकता हूं.

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मुझे अधिकारी कहते थे कि शैलेंद्र, कहां पंगा ले रहे हो, तुम्हारी जान चली जाएगी. परिवार की जान चली जाएगी. मुझे कहते थे हट जाओ लेक‍िन मैं कैसे हट सकता था. मैंने खुद एफआईआर की थी तो मैं वह खुद कैसे फाड़ सकता था. यह नहीं हो सकता था. यह बताइए कि जब रातों-रात आईजी, डीआईजी, एसएसपी सारे बदल दिए जाएं तो किस में हिम्मत थी कि वह मुलायम सिंह से लड़ जाए. बीच में किसी सरकार ने मदद नहीं की, चाहे अखिलेश यादव की सरकार रही हो या फिर मायावती की रही हो लेकिन सरकार बनने के बाद योगी जी ने मुझे बुलाया और जो पहले 22 केस वापस लिए है उसमें मेरा भी केस है.

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