
जून में अग्निपथ योजना को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए. सबसे हिंसक प्रदर्शन बिहार में हुए. कई जगह तोड़-फोड़ किए गए और आगजनी की घटना भी सामने आई. बिहार में कई रेलवे स्टेशनों पर भारी उत्पात मचाया गया और कई ट्रेन और स्टेशन में आग लगा दी गई. इंडिया टुडे के स्टिंग में सामने आया है कि इतनी बड़ी घटना के पीछे का कारण यह रहा कि खुफिया जानकारी को अनुसना किया गया और विरोध प्रद्रष्ण को बहुत हल्के में लिया गया था.
दानापुर में हिंसक प्रदर्शन हुए
जून के मध्य में नई सैन्य भर्ती योजना को लेकर पटना के पास दानापुर में हिंसक प्रदर्शन हुए. जिसका खामियाजा रेलवे को भुगतना पड़ा. 16 और 17 जून को शहर में हुई घटनाओं की इंडिया टुडे के स्टिंग से पता चला कि संभावित हिंसा और जमीनी सुरक्षा योजना के बारे में खुफिया जानकारी के बाद भी स्पष्ट अंतर रहा. खुफिया इनपुट की ओर ध्यान नहीं दिया गया और बहुत ज्यादा ढिलाई बरती गई.
खुफिया इनपुट को अनसुना किया गया
इंडिया टुडे की जांच में दानापुर के सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) के एसएचओ रणधीर कुमार ने जोर देकर कहा कि उच्च अधिकारियों ने कोई एहतियाती कदम नहीं उठाया और विरोध प्रदर्शनों के बारे में खबर होने के बाद भी इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
उन्होंने कहा, हमें 16 जून के विरोध के संदर्भ में पूर्व सूचना मिली थी कि दानापुर में कुछ लोग (17 तारीख को रेलवे स्टेशन पर जाएंगे) योजना बना रहे थे. उन्होंने इंडिया टुडे के खोजी रिपोर्टर को बताया, हमने सभी विभागों को लिखा कि हमें अतिरिक्त बलों की जरूरत है. हमें पहले से जानकारी थी. आईबी के लोगों ने अपने इनपुट (हमारे साथ) साझा किए थे.
भीड़ को हल्के ढंग से लिया गया
कुमार के अनुसार, सभी खुफिया चेतावनियों को औपचारिक रूप से मुख्य पुलिस नियंत्रण, एसपी, रेलवे को सूचित कर दिया गया था. उन सभी से अपेक्षा की जाती थी कि वे अपने वरिष्ठों के साथ हमारी जानकारी साझा करें कि कुछ लोग पटरियों पर विरोध करने की योजना बना रहे हैं. हमने इसकी जानकारी एसपी, कंट्रोल रूम और रेलवे को दी.
कुमार ने कहा कि 17 जून को सुबह करीब 7 बजे रेलवे स्टेशन से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर भीड़ जमा होना शुरू हो गई थी. घटना यहां (रेलवे स्टेशन पर) सुबह करीब 10.40 बजे हुई. सैनिक चौक (क्रॉसिंग) सात-आठ किमी दूर है. उस समय स्थानीय प्रशासन क्या कर रहा था? भीड़ को बीच में ही रोका जा सकता था. रास्ते में कई पुलिस स्टेशन हैं. क्यों नहीं रोका गया?
उन्होंने दावा किया कि उनकी टीम को रेलवे स्टेशन की ओर जा रही भीड़ के संख्या के बारे में क्षेत्र पुलिस से कोई वास्तविक समय की जानकारी नहीं मिली. हमें पता था कि भीड़ जा रही है, लेकिन हम इसकी संख्या का आकलन करने के लिए अपनी पोस्ट नहीं छोड़ सकते थे. मुख्य नियंत्रण और स्थानीय पुलिस को हमें सूचित करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि भीड़ प्लास्टिक की थैलियों में पेट्रोल लेकर आई.
आरा में रेलवे स्टेशन में तोड़फोड़, आगजनी
16 जून को, हिंसक भीड़ ने आरा में एक रेलवे स्टेशन में तोड़फोड़ की और एक दिन बाद वहां एक ट्रेन में आग लगा दी. रेलवे के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने स्वीकार किया कि उनकी टीम को लगा कि विरोध के पहले दिन सब कुछ खत्म हो गया. आरा में जीआरपी के एसएचओ पंकज कुमार दास ने कहा कि अगले दिन आने वाली बड़ी भीड़ की किसी को उम्मीद नहीं थी.
कैमरे पर अधिकारियों ने बताया कि 17 जून को किस तरह से घटना को अंजाम दिया गया.
मो. हिजबुल्लाह की रिपोर्ट