
आए दिन हमारे सामने कत्ल की कई बेहद संगीन और अलग अलग तरह की वारदातें सामने आती हैं. जिन्हें देखकर, सुनकर किसी भी आम इंसान का कलेजा बैठ सकता है. लेकिन कभी-कभी जुर्म की दुनिया से ऐसी खबरें सामने आती हैं, जो आपको हैरान करने के साथ-साथ ये सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि अपराधी का दिमाग कितना शातिर हो सकता है. ऐसा जुर्म जिसके हर पहलू में साजिश का असर दिखाई देता है. ऐसे ही एक मामले का खुलासा गुजरात में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने किया है. वो भी 17 साल बाद.
जी हां, आपने बिल्कुल ठीक सुना. 17 साल बाद एक मुर्दा इंसान जिंदा हो गया. वो शख्स जो एक कार में जलकर मर चुका था. वो अचानक जिंदा हो गया और वो भी पूरी तरह से सही सलामत हालत में पुलिस को मिल गया. दरअसल, अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने उस शख्स को अब जाकर गिरफ्तार किया है. साथ ही एक ऐसे कत्ल के मामले का खुलासा हुआ है, जिसने पुलिस को भी घुमा कर रख दिया.
दरअसल, कई साल पहले एक शख्स का कत्ल किया गया था. और उसके लाइफ इंश्योरेंस की रकम भी हासिल कर ली गई थी. वो रकम कोई छोटी रकम नहीं थी, बल्कि पूरे 80 लाख रुपए थे. इस पूरे खेल की साजिश रचने वाला शख्स जब पुलिस के हत्थे चढ़ा तो पुलिस भी उसकी हकीकत जानकर दंग रह गई. आरोपी को पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया गया. जहां से अदालत ने उसे जेल भेज दिया है.
आइए अब आपको ये कहानी सिलसिलेवार बताते हैं, दरअसल, 17 साल पहले यानी 31 जुलाई 2006 को उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक रोड एक्सीडेंट हुआ था. जिसमें एक शख्स की मौत हो गई थी. मरने वाले के नाम 80 लाख रुपये का जीवन बीमा था. जिसे उसकी मौत के बाद क्लेम कर 80 लाख रुपये हासिल कर लिए गए थे. मगर हकीकत ये है कि जिस शख्स के नाम पर बीमा था, जिसकी मौत उस कार एक्सीडेंट में जलकर हुई थी. वो शख्स मरा नहीं जिंदा है. उसका नाम है अनिल सिंह. जो इस पूरी साजिश का मास्टरमाइंड है.
अनिल सिंह ने साल 2004 में अपने परिवार के साथ मिलकर LIC से इंश्योरेंस का पैसा लेने के लिए एक साजिश रची. अनिल ने अपना 80 लाख रुपये का जीवान बीमा कराया था. फिर उसने साल 2006 में खुद को मृत दिखाने के लिए आगरा में एक भिखारी को कार में जलाकर मार डाला था. उसकी हत्या कर दी थी. इसके बाद उसने इंश्योरेंस के 80 लाख रुपये हासिल कर लिए थे. शातिर अनिल उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले का रहने वाला है.
मगर बीमा की रकम हासिल करने के बाद अनिल सिंह ने अपना नाम और पता बदल लिया. अब वो राजकुमार चौधरी बनकर गुजरात के अहमदाबाद शहर में रहने लगा था. उसने अपने पिता का नाम भी विजयपाल की जगह विजयकुमार कर लिया था. इंश्योरेंस की रकम हासिल करने के लिए साल 2006 में अनिल सिंह अपने पिता विजयपाल सिंह और भाई अभयसिंह, रिश्तेदार महिपाल गडरिया और राकेश खटीक को लेकर आगरा पहुंचा था.
उसने आगरा टोलटैक्स के पास से खाना खिलाने का बहाने एक भिखारी को अपनी कार में बैठा लिया. फिर उसे खाने में नींद की गोली दे दी. जब वो भिखारी बेहोश हो गया तो अनिल और उसके परिजनों ने उस भिखारी को कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा दिया और कार में आग लगा दी. इस तरह आरोपियों ने उस भिखारी की हत्या की और अनिल सिंह को एक्सीडेंट में मृत दिखा दिया था.
पता चला है कि इंश्योरेंस की रकम हड़पने का प्लान अनिल सिंह के साथ उसके पिता और भाई ने मिलकर बनाया था. पुलिस ने बताया कि आरोपी अपना गुनाह कुबूल कर लिया है. अनिल सिंह ने अहमदाबाद में हर किसी को अपना नाम राजकुमार बताया. यहां नकली नाम से सारे ज़रूरी डॉक्यूमेंट भी बनवा लिए थे. जिसमें ड्राइविंग लाइसेंस, आधारकार्ड और पैनकार्ड शामिल है. पुलिस ने नकली डॉक्यूमेंट का केस दर्ज कर आगरा पुलिस से संपर्क किया है. अब आगरा पुलिस उस भिखारी की हत्या का केस दर्ज करेगी.