
उत्तराखंड के एक ताकतवर बीजेपी नेता और पूर्व राज्यमंत्री का बेटा ऋषिकेश में जंगलों के अंदर चार साल पहले एक रिजॉर्ट खोलता है. इस रिजॉर्ट को चलाने के लिए वो यहां दुनिया के सबसे पराने धंधे को शुरू करना चाहता है. धंधा जिस्मफरोशी का. इसी बीच महीने भर पहले उसी रिजार्ट में उत्तराखंड की ही 19 साल की एक लड़की अंकिता भंडारी नौकरी करने आती है. मगर रिजॉर्ट का मालिक उससे कुछ और करवाना चाहता था. और बस यहीं से अंकिता के अंत की कहानी शुरू होती है.
6 दिनों तक पानी में थी लाश
ऋषिकेश के करीब मौजूद है चीला बैराज. जिसे आप बांध भी कह सकते हैं. ज़रूरत के हिसाब से इस बैराज या बांध से पानी छोड़ा और रोका जाता है. वो 18 सितंबर की रात थी, जब ठीक इसी जगह से 19 साल की अंकिता भंडारी को पानी में फेंका गया था. बैराज के पानी में अंकिता या यूं कहें कि उसकी लाश पूरे छह दिनों तक तैरती फंसती रही. फिर आखिरकार छठे दिन इस बैराज से करीब 8 किलोमीटर दूर चीला पावर हाउस के करीब अंकिता की लाश बरामद हो जाती है.
सच उजागर करना चाहती थी अंकिता
अब सवाल ये है कि छह दिनों में अंकिता की लाश सिर्फ 8 किलोमीटर दूर तक ही क्यों पहुंची? तो जवाब ये है कि अगर बैराज के पानी को कम ना किया जाता, तो शायद अंकिता की लाश कभी मिलती ही नहीं और यही कातिल चाहते थे. मगर शुक्र है कि ना सिर्फ अंकिता की लाश मिली, बल्कि इसके साथ ही ये खुलासा भी हो गया कि अंकिता को मारा गया है. मारा गया है क्योंकि वो एक ऐसा सच उजागर करने जा रही थी, जो कातिलों को कतई बर्दाश्त नहीं था.
अंकिता ने किया था होटल मैनेजमेंट का कोर्स
उत्तराखंड के पौड़ी इलाके में एक गांव है श्रीकोट. उसी गांव में अंकिता पैदा हुई थी. अंकिता का परिवार वहीं रहता है. 12वीं पास करने के बाद अंकिता ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया था. इस दौरान उत्तराखंड के लोग भी कोरोना की चपेट में थे. अंकिता और उसके परिवार पर भी इसका असर पड़ा. अब जब कोरोना का कहर थोड़ा कम होने लगा, तो उत्तराखंड में भी सैलानी वापस आने लगे थे. लिहाजा होटल मैनेजमेंट का कोर्स पूरा करने के बाद पिछले महीने ही 18 अगस्त को अंकिता ने हरिद्वार से करीब 8 किलोमीटर दूर वनंतरा रिजॉर्ट में अपनी पहली नौकरी बतौर रिसेप्शनिस्ट ज्वाइन की.
रिजॉर्ट से अचानक गायब हो गई थी अंकिता
उस रिजॉर्ट से अंकिता के घर और गांव की दूरी करीब डेढ़ सौ किलोमीटर है. लिहाजा रोज़ आना जाना मुमकिन नहीं था. ऐसे में अंकिता इसी रिजॉर्ट में एक कमरे में रहने लगी. अंकिता को रिजॉर्ट में नौकरी करते हुए पूरा एक महीना एक हो चुका था और ठीक एक महीने बाद 18 सितंबर की रात अंकिता अचानक गायब हो जाती है. पूरी रात बीत जाती है. अंकिता की गुमशुदगी की किसी को भनक तक नहीं लगती.
पुलिस थाने में भटकते रहे अंकिता के परिजन
अगले रोज यानी 19 सितंबर की सुबह रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य लोकल पुलिस स्टेशन जाता है और अंकिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाता है. इसके बाद वो अंकिता के घरवालों को भी फोन कर उसकी गुमशुदगी की जानकारी देता है. अंकिता का मोबाइल बंद था. खबर सुनते ही अंकिता का परिवार बदहवास ऋषिकेश की तरफ भागता है. अंकिता के मां-बाप 3-4 घंटे तक पुलिस स्टेशन में भटकते रहते हैं. पर उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती. जबकि वो बाकायदा पुलकित का नाम ले रहे थे. हालांकि इस दौरान पुलकित के पूर्व मंत्री पिता विनोद आर्य की उसी थाने में बाकायदा आवभगत हो रही थी.
डीएम से लगाई थी मदद की गुहार
उत्तराखंड पुलिस की बेरुखी को देख कर अब अंकिता का परिवार डीएम के पास पहुंचता है. डीएम पुलिस को आदेश देते हैं. इसी के बाद 22 सितंबर को पहली बार पुलिस एफआईआर लिखती है. इधर, कहानी में नया ट्विस्ट तब आता है, जब अचानक जम्मू में रहने वाला अंकिता का दोस्त अंकिता के पिता को अंकिता से हुई आखिरी बातचीत का ऑडियो और कुछ चैट भेजता है. ये अंकिता का अपने दोस्त को किया आखिरी कॉल और वो चैट था.
सोशल मीडिया से बढ़ा दबाव
वो ऑडियो कॉल और चैट चीख-चीख कर बता रहे थे कि अंकिता की गुमशुदगी के पीछे कौन और क्यों है? अब तक ये बातें सोशल मीडिया पर भी आ चुकी थी. जिसकी वजह से पुलिस प्रशासन की किरकिरी होने लगी. उत्तराखंड के पूर्व राज्य मंत्री विनोद आर्य और उनके साहबजादे पर अब दबाव बढ़ने लगा था. लिहाजा देहरादून से हुक्म हुआ और 23 सितंबर को पूर्व मंत्री जी के बेटे पुलकित आर्य, रिजॉर्ट का मैनेजर सौरभ भास्कर और एक और स्टाफ अंकित गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया.
पुलकित ने उगला सच
पर सवाल अब भी अपनी जगह कायम था कि अंकिता कहां है? जवाब पुलकित और उसका स्टाफ ही दे सकता था. शाम होते-होते पुलकित ने मुंह खोल ही दिया. फिर उसने अंकिता का पूरा सच बताया. पुलकित उसके मैनेजर और स्टाफ ने जो कहानी सुनाई, वो कुछ यूं थी.
18 सितंबर 2022
शाम पुलकित और अंकिता के बीच झगड़ा हुआ. अंकिता का गुस्सा शांत करने के लिए पुलकित उसे अपने साथ ऋषिकेश ले गया. चारों एक स्कूटी और बाइक पर गए थे. रिसॉर्ट से करीब 8 किमी दूर चीला बैराज के करीब चारों रुके. वहां पुलकित और उसके स्टाफ ने शराब पी. कुछ देर रुकने के बाद चारों वापस लौटने लगे लेकिन तभी अंकिता फिर भड़क उठी. एक बार फिर पुलकित के साथ उसका झगड़ा हुआ. तब ये लोग बैराज के किनारे खडे थे. नीचे बैराज का पानी बह रहा था. झगड़े के दौरान अचानक पुलकित ने अंकिता को धक्का दिया, जिससे वो बैराज में जा गिरी.
सीसीटीवी कैमरे में कैद तीनों आरोपी
मगर इसके बावजूद तीनों उसे बचाने की बजाय स्कूटी और बाइक पर वापस रिसॉर्ट की तरफ चल पड़ते हैं. इत्तेफाक से रास्ते में एक जगह सीसीटीवी कैमरा लगा है. इस कैमरे की तस्वीरें पुलिस के कब्जे में हैं. कैमरे की फुटेज में साफ दिख रहा है कि चीला बैराज जाते वक्त स्कूटी और बाइक पर चार लोग थे. मगर लौटते वक्त सिर्फ तीन. अंकिता गायब थी. पूरी रात गुजारने के बाद पुलकित ने खुद ही पुलिस स्टेशन जाकर अंकिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा दी. ताकि कोई उस पर शक ना करे.
अंकिता के दोस्त ने दिया बड़ा सुराग
अब अंकिता को धक्का देकर मारने की बात तो पुलकित और उसके स्टाफ कबूल कर चुके थे. मगर 18 सितंबर की शाम से रात तक अंकिता के साथ पुलकित का झगड़ा क्यों हो रहा था, बैराज के पास अंकिता ने पुलकित को ऐसा क्या कहा कि उसने उसे धक्का दिया, ये सच अब भी पुलकित छुपा रहा था. मगर तब तक पुलिस के हाथ अंकिता के जम्मू वाले उस दोस्त का ऑडियो और चैट लग चुका था. कहानी थोड़ी थोड़ी साफ हो रही थी. ऑडियो और मैसेज वो वजह भी बता रहे थे, जिस वजह से अंकिता की जान ली गई.
पिता की ऊंची पहुंच के चलते खोला था रिजॉर्ट
दरअसल, अंकिता की मौत के पीछे रिजॉर्ट में खेला जा रहा एक गंदा खेल था. पुलकित के पिता विनोद आर्य उत्तराखंड के पुराने बीजेपी नेता हैं. वो भी कद्दावर नेता. एक वक्त वो उत्तराखंड के दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री भी रह चुके हैं. इलाके में उनका अच्छा खासा दबदबा है. बाप की ऊंची पहुंच का फायदा पुलकित ने उठाया. अपराधी किस्म का पुलकित बाप के रसूख से हरिद्वार से करीब 8 किमी दूर जंगल के अंदर करीब पांच साल पहले एक रिसॉर्ट बनाता है. 2018 में बाकायदा रिसॉर्ट सैलानियों के खोल दिया जाता है. जंगलों की खामोशी और तन्हाइयों के शौकीन सैलानियों के लिए ये रिसॉर्ट एक बेहद खूबसूरत जगह थी. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से रिसॉर्ट के बिजनेस पर थोड़ा असर पड़ रहा था.
रिजॉर्ट चलाने के लिए गंदा खेल
जंगल के बिल्कुल अंदर रिजॉर्ट होने की वजह से भी इसके बारे में सैलानियों को कम ही जानकारी थी. ऐसे में रिसॉर्ट चलाने के लिए पुलकित ने इसी रिसॉर्ट में दुनिया के सबसे पुराने धंधे को भी चलाने का फैसला किया. इत्तेफाक से महीना भर पहले अंकिता यहां बतौर रिसेप्शनिस्ट नौकरी करने आई. पुलकित ने अंकिता को अपना रिसॉर्ट चलाने के लिए उसी धंधे में धकेलने के लिए मजबूर किया. वो उससे सैलानियों के कमरे में जाने को कहता था. अंकिता इसके लिए तैयार नहीं थी और उसके साथ जो कुछ हो रहा था. वो अपने मां बाप को भी नहीं बता सकती थी. लेकिन उसका एक दोस्त जम्मू में था. उसने सारी बातें, उससे शेयर की, जो अब सबूत के तौर पर पुलिस के पास हैं.
रिजॉर्ट के नाम पर जिस्मफरोशी का अड्डा
यानी उत्तराखंड पुलिस की शुरुआती रिपोर्ट और अंकिता के चैट से ये साफ है कि पुलकित रिजॉर्ट के नाम पर जिस्मफरोशी का अड्डा चला रहा था. हालांकि पूरा सच सामने आने और लोगों के गुस्से को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने उस रिसॉर्ट पर अब बुलडोजर चलवा दिया है. ये तर्क देते हुए कि ये रिसॉर्ट गैर कानूनी ढंग से बना था.
इस मामले में उठ रहे हैं कई सवाल
सवाल ये है कि पांच साल पहले बना इतना बड़ा रिसॉर्ट पांच साल तक गैर कानूनी ढंग से चलता रहा और पुलिस प्रशासन को भनक तक नहीं लगी! सवाल ये भी है कि अगर इस रिसॉर्ट में जिस्मफरोशी का धंधा हुआ करता था और ये रिसॉर्ट अंकिता की मौत के कई सबूत अपने अंदर समेटे है. ऐसे में बहुत से सवाल उठ रहे हैं, मसलन-
- मौका-ए-वारदात पर बुलडोजर क्यों चलवा दिया गया?
- कहीं ये गैर कानूनी ढांचा गिराना अंकिता की मौत से जुडे सबूतों को मिटाने की साजिश तो नहीं?
- बिना क्राइम सीन की पूरी जांच के उसे यूं मटियामेट क्यों किया गया?
- जांच के लिए फोरेंसिक टीम और वीडियोग्राफी टीम एक साथ क्यों नहीं गए?
- अभी तक आरोपियों की स्कूटी और बाइक जब्त क्यों नहीं गई?
- अगर आरोपियों ने कार का इस्तेमाल किया तो वो कार कहां हैं?
- पुलकित ने शराब पीने की बात कही है, तो ड्राइ एरिया में शराब कैसे आई?
- वारदात से जुड़ी जिन सीसीटीवी फुटेज का जिक्र पुलिस कर रही है, वो कहां हैं?
- सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व फोरेस्ट एरिया के आस-पास किसी भी निर्माण रोक लगा रखी है, तो वहां रिजॉर्ट क्यों और कैसे बन रहे हैं?
- पुलिस-प्रशासन अंकिता भंडारी की लाश का अंतिम संस्कार कराने की जल्दबाजी में क्यों था?
पुलिस ने दी सफाई, कहा- जुटा लिए थे सबूत
हालांकि पुलिस-प्रशासन का कहना है कि रिजॉर्ट का केवल बाहरी हिस्सा गिराया गया है. इसके बाद पुलिस की तरफ से ये सफाई भी दी गई थी कि बुलडोजर चलने से पहले ही मौका-ए-वारदात से फोरेंसिक सबूत जुटा लिए गए थे. पौड़ी के एएसपी शेखर सुयाल का कहना है "कई मीडिया रिपोर्ट और पोर्टल में चल रहा है कि साक्ष्य मिटाए गए हैं. मैं बताना चाहता हूं कि हम खुद 22 को रिसोर्ट गए थे, जहां हमने वीडियोग्राफी की थी और 23 की सुबह फोरेंसिक टीम ने जांच की थी और साक्ष्यों को सुरक्षित किया था."
चैट्स और कॉल डिटेल की फोरेंसिक जांच
फिलहाल, पुलकित समेत तीनों आरोपी पुलिस के कब्जे में हैं. अंकिता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तो जांच के दायरे में है ही, साथ ही अंकिता के दोस्त और उसके मोबाइल से मिले तमाम चैट्स और कॉल डिटेल की फॉरेंसिक जांच भी की जा रही है. किरकिरी हो जाने के बाद पुलिस अब इस मामले में हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है.
आरोपी के पिता और भाई को बीजेपी ने किया बाहर
पुलकित के पिता और उसके भाई को बीजेपी ने पार्टी से बाहर निकाल दिया है. मुख्यमंत्री ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई का वादा किया है. मगर इन दावों और वादों पर मत जाइए. इंतजार कीजिए पुलिस की आखिरी जांच रिपोर्ट और चार्जशीट की. क्योंकि यहां केस और कहानी पलटते देर नहीं लगती.
बात अंकिता भंडारी को इंसाफ दिलाने की है, तो याद रखिएगा. जब तक सोशल मीडिया में मुहिम नहीं शुरू हुई थी तब तक उत्तराखंड पुलिस अंकिता केस से अपनी आंखें मूंदे हुई थी. यहां तक कि अंकिता के घरवालों की एफआईआर भी तब दर्ज हुई जब डीएम ने पुलिस को हुक्म दिया. ऐसे में उत्तराखंड पुलिस पर सबकी नजर है. देखना ये है कि जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ वो किस किस्म का केस तैयार करती है?