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अर्पिता मुखर्जी के पास थीं 31 LIC पॉलिसी, सभी में नॉमिनी निकले पार्थ चटर्जी

अर्पिता मुखर्जी और पार्थ चटर्जी की मिलीभगत के ईडी को कई सबूत मिल रहे हैं. ऐसा ही एक सबूत वो 31 LIC पॉलिसी हैं जिनमें नॉमिनी पार्थ चटर्जी को बनाया गया है. ईडी इस पहलू की जांच में लग गई है.

अर्पिता मुखर्जी अर्पिता मुखर्जी
सूर्याग्नि रॉय
  • कोलकाता,
  • 04 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 7:51 PM IST

शिक्षा घोटाले में ईडी जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. उस बढ़ते दायरे के साथ रोज नए खुलासे भी हो रहे हैं. ऐसा ही एक खुलासा अर्पिता मुखर्जी को लेकर हुआ है. उनके पास LIC की कुल 31 पॉलिसी थीं. बड़ी बात ये रहीं कि इन सभी पॉलिसी में नॉमिनी पार्थ चटर्जी निकले. अब अर्पिता की पॉलिसी में पार्थ का नॉमिनी बनना ही जांच एजेंसी के मन में कई सवाल पैदा कर गया है. कहा जा रहा है कि बड़े स्तर पर दोनों ने मिलीभगत के जरिए ही खेल किए हैं.

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ये तमाम जानकारी ईडी की रिमांड कॉपी से मिली है जिसमें ये भी खुलासा कर दिया गया दोनों पार्थ और अर्पिता एपीए यूटीलिटी कंपनी में साझेदार थे. अर्पिता ने तो कैश देकर कुछ फ्लैट तक खरीदे थे. अब वो किसका पैसा था, कहां से अर्पिता ने उसका इंतजाम किया, ईडी इसकी जांच कर रही है. अभी अर्पिता मुखर्जी और पार्थ चटर्जी पांच अगस्त तक ईडी कस्टडी में हैं. जांच के दौरान दोनों के खिलाफ एजेंसी को पर्याप्त सबूत मिले हैं.

अर्पिता के खिलाफ तो ईडी ने कई मौकों पर कार्रवाई की है. उनकी तीन से चार प्रॉपर्टी पर रेड मारी जा चुकी है. 27 जुलाई को भी ईडी ने अर्पिता की एक और प्रॉपर्टी पर कार्रवाई की थी. उस कार्रवाई में 27 करोड़ कैश और 4.31 करोड़ का सोना जब्त किया गया था. बड़ी बात ये रही कि ईडी ने जांच के दौरान 4 हार, 18 इयरिंग्स भी अपने कब्जे में ली हैं. पिछली छापेमारी में भी विदेशी करेंसी से लेकर फर्जी कंपनियों के दस्तावेजों तक, ईडी ने काफी कुछ जब्त किया था. अब सबूत तो तमाम मिल रहे हैं, लेकिन पार्थ चटर्जी जांच एजेंसी का सहयोग नहीं कर रहे हैं. अर्पिता जो कैश पार्थ चटर्जी का बता रही हैं, पूर्व मंत्री उन दावों को बस नकार रहे हैं.

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वैसे अभी के लिए पार्थ चटर्जी को तो टीएमसी ने भी अलग-थलग कर दिया है. मंत्रिमंडल से तो उनका पत्ता कई दिन पहले ही साफ कर दिया गया. अब तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी नई टीम का गठन भी कर लिया है जिसमें तमाम समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नए चेहरों को मौका दिया गया है. लेकिन ममता की इस रणनीति ने पार्टी के अंदर जारी सियासी तूफान को तो कुछ हद तक शांत किया, लेकिन बीजेपी अभी भी इसे बड़ा मुद्दा बना रही है. भ्रष्टाचार की पिच पर ममता को लगातार घेरा जा रहा है.

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