
बिहार में 67वीं बीपीएससी पेपर लीक कांड में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) लगातार जांच को आगे बढ़ा रही है. ईओयू के रडार पर अब 12 ऐसे आरोपी हैं, जिनका पेपर लीक से सीधा कनेक्शन जांच टीम को मिला है. इन सभी संदिग्धों पर परीक्षा के दौरान फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाने की साजिश रचने का आरोप है.
जांच टीम के मुताबिक इस कांड में गिरफ्तार डीएसपी रंजीत कुमार रजक के रिश्तेदारों के अलावा बिहार लोक सेवा आयोग के कर्मी भी शामिल हैं. जांच टीम के सूत्रों के मुताबिक डीएसपी रंजीत समेत उसके भाई और बिहार लोक सेवा आयोग के दर्जन भर कर्मचारियों से पूछताछ होगी. पेपर लीक मामले में इनकी भूमिका संदिग्ध रही है.
आयोग के अधिकारियों से मांगी सूचना
बीपीएसपी में अधिकारी बने डीएसपी के भाईयों पर भी जांच टीम की नजर है. गिरफ्तार रंजीत कुमार अपने रिश्तेदारों और भाइयों के बीपीएसपी में सिलेक्शन की बात कहकर लोगों को परीक्षा पास करने का दावा करते थे.
ईओयू को जांच के दौरान ऐसी शिकायत मिली है, जिसके बाद ईओयू ने बीपीएसपी के वरीय अधिकारियों को नोटिस भेजकर पूरे मामले की विस्तार से जानकारी मांगी है.
परीक्षा से 46 मिनट पहले हुआ था लीक
जानकारी के मुताबिक 8 मई को प्रारंम्भिक परीक्षा दोपहर 12 बजे शुरू होनी थी, लेकिन इस मामले में पकड़े गए शातिरों से पता चला है कि उनके पास परीक्षा शुरू होने से 46 मिनट पहले यानी 11 बजकर 14 मिनट पर प्रश्न पत्र पहुंच चुका था.
पेपर लीक कांड में अब तक 16 लोग जेल की हवा खा रहे हैं, जिसमें सभी सरकारी पदाधिकारी बताए जा रहे हैं. ईओयू के सूत्र बताते हैं कि परीक्षा के दौरान डीएसपी की अभ्यर्थियों से बातचीत के सबूत मिले हैं.
8-10 लाख रुपये में बेचा गया था पेपर
आर्थिक अपराध इकाई की विशेष टीम ने जांच में यह भी पाया था कि आरोपियों के मोबाइल में सी सेट का वायरल प्रश्न पत्र कई छात्रों के व्हाट्सएप पर भेजा गया था, जिसके बदले गिरोह को आठ से दस लाख रुपये मिले थे.