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BJP नेता तेजिंदर बग्गा के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज है FIR, दोषी पाए जाने पर हो सकती है ये सजा

हरियाणा पुलिस ने बग्गा को पंजाब पुलिस की हिरासत से निकालकर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया. बीजेपी नेता तेजिंदर बग्गा के खिलाफ पंजाब में किन संगीन धाराओं में मामला दर्ज है और उन धाराओं में दोषी साबित होने पर आरोपी को कितनी सजा मिल सकती है.

तेजिंदर बग्गा को पंजाब पुलिस ने शुक्रवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया था तेजिंदर बग्गा को पंजाब पुलिस ने शुक्रवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया था
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2022,
  • अपडेटेड 6:42 PM IST
  • मोहाली में दर्ज है तेजिंदर बग्गा के खिलाफ FIR
  • दोेषी पाए जाने पर हो सकती है सजा

बीजेपी नेता तेजिंदर बग्गा (Tajinder Bagga) की गिरफ्तारी का मामला पूरे दिन सुर्खियों में रहा. इस मामले में पंजाब पुलिस के साथ-साथ हरियाणा और  दिल्ली पुलिस भी शामिल हो गई. तेजिंदर की गिरफ्तारी को लेकर करीब 7 घंटे तक हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा. आखिरकार हरियाणा पुलिस ने बग्गा को पंजाब पुलिस की हिरासत से निकालकर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया. आइए हम आपको बताते हैं कि बीजेपी नेता तेजिंदर बग्गा के खिलाफ किन संगीन धाराओं में मामला दर्ज है और उन धाराओं में दोषी साबित होने पर आरोपी को कितनी सजा मिल सकती है.  

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पंजाब पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी के प्रवक्ता तेजिंदर बग्गा के खिलाफ मोहाली में आईपीसी की धारा 153-ए, 505 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया था. उसी के आधार पर पंजाब पुलिस ने शुक्रवार की सुबह तेजिंदर की गिरफ्तारी की थी.

क्या है आईपीसी की धारा 153 ए (What is section 153A of IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 153ए के अनुसार, जो भी कोई शख्स अवैध बातें करके किसी व्यक्ति को द्वेषभाव या बेहूदगी से निशाना बनाता है और ऐसे भाषण या बयान से परिणामस्वरूप उपद्रव हो सकता है. तो वे मामले इसी धारा के तहत आते हैं. अगर उपरोक्त भाषण या बयान की वजह से उपद्रव होता है, तो दोषी व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है. साथ ही दोषी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. या फिर सजा के तौर पर दोनों ही लागू हो सकते हैं. 

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लेकिन अगर उपरोक्त आपत्तिजनक भाषण या बयान से उपद्रव नहीं होता तो भी दोषी को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है और उस सजा को 6 माह तक बढ़ाया जा सकता है. या जुर्माना और कैद दोनों हो सकते हैं. ऐसे अपराध में लिप्त दोषी को उपद्रव हो जाने पर एक वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों हो सकते हैं. हालांकि यह एक जमानती और संज्ञेय अपराध है. जो किसी भी मेजिस्ट्रेट की अदालत में विचारणीय हो सकता है. 

अगर उपरोक्त मामले में उपद्रव नहीं होता है तो दोषी को 6 महीने कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों हो सकते हैं. यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है. जिसे प्रथम श्रेणी के मेजिस्ट्रेट सुन सकते हैं. इस तरह के मामले में समझौता नहीं हो सकता.

आईपीसी की धारा 505 (Section 505 of IPC)
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 505 के अनुसार, अगर भारत की सेना, नौसेना या वायुसेना का कोई अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक विद्रोह करे या वह अपने कर्तव्य की अवहेलना करे या उसके पालन में असफल रहे. या सामान्य जन या जनता के किसी भाग को ऐसा डर हो, जिससे कोई व्यक्ति राज्य के विरुद्ध या सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने के लिए उत्प्रेरित हो. या किसी वर्ग या समुदाय को किसी दूसरे वर्ग या समुदाय के विरुद्ध अपराध करने के लिए उकसाया जाए. या इस तरह के बयानों या आपत्तिजनक भाषणों की रचना, प्रकाशित और प्रसार करे. 

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तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 ए के तहत मुकदमा होता है. दोषी पाए जाने पर उस शख्स को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है.

आईपीसी की धारा 506 (Section 506 of IPC)
जब कोई भी व्यक्ति आपराधिक धमकी का अपराध करता है, तो दोषी पाए जाने पर उसे किसी एक वर्ष की अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है या फिर उस पर आर्थिक जुर्माना भी हो सकता है. या फिर उसे दोनों ही प्रकार से दंडित किया जा सकता है.

 

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