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कैसे हुआ ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड, जिसके दोषी संजीव जीवा का लखनऊ कोर्ट में हुआ कत्ल

लखनऊ की सिविल कोर्ट बुधवार शाम गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठी. इस गोलीबारी में संजीव जीवा की मौत हो गई. ये वही संजीव जीवा था, जिसका नाम चर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड मे भी सामने आया था. इसके अलावा फर्रुखाबाद के ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में भी संजीव जीवा का नाम सामने आया था.

ब्रह्मदत्त द्विवेदी (l) और संजीव जीवा (R) ब्रह्मदत्त द्विवेदी (l) और संजीव जीवा (R)
सत्यम बघेल
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2023,
  • अपडेटेड 5:52 PM IST

लखनऊ की सिविल कोर्ट में बुधवार शाम गोलीबारी हुई. इस गोलीबारी में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की मौत हो गई. ये वही संजीव जीवा था जो कि मुख्तार अंसारी का शूटर रहा था. ये वही संजीव जीवा था, जिसका नाम चर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड मे भी सामने आया था. इसके अलावा फर्रुखाबाद के ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में भी संजीव जीवा का नाम सामने आया था.

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ब्रह्मदत्त द्विवेदी यूपी की सियासत में बड़ा नाम थे. ब्रह्मदत्त द्विवेदी वो नेता थे जिन्हें कि मायावती का जीवनरक्षक माना जाता था. साल 1995 में जब मायावती पर हमला हुआ था तो ब्रह्मदत्त द्विवेदी वो नेता थे जिन्हें कि मायावती ने पहला कॉल मिलाया था. मायावती पर हुए इस हमले को गेस्ट हाउस कांड के नाम से जाना जाता है.

मायावती को भी था पूरा भरोसा

वैसे तो ब्रह्मदत्त द्विवेदी भाजपा नेता थे, लेकिन बसपा प्रमुख भी उन पर बहुत भरोसा करती थीं. ऐसे में साल 1997 में द्विवेदी बीजेपी की तरफ से बीएसपी के साथ गठबंधन की कोशिश में जुटे थे. समझौते की शर्तें करीब-करीब तय हो चुकी थीं, कभी भी बीजेपी-बीएसपी गठबंधन बहुमत का दावा ठोंक सकता था, लेकिन तभी ब्रह्मदत्त द्विवेदी की ही हत्या कर दी गई. 

शादी की दावत से लौटते समय हुई ताबड़तोड़ फायरिंग

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10 फरवरी 1997 की रात को ब्रह्मदत्त द्विवेदी अपने शहर फर्रुखाबाद में एक शादी की दावत में शामिल होने के बाद वापस घर लौट रहे थे. द्विवेदी अपनी कार में बैठे ही थे कि वहां पर कुछ हथियारबंद बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की. इस फायरिंग में ब्रह्मदत्त द्विवेदी की मौत हो गई थी. चश्मदीदों के बयान के आधार पर द्विवेदी के परिवार के लोगों ने कुल चार लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट लिखवाई. 

FIR में संजीव जीवा का नाम

इस एफआईआर में फर्रुखाबाद के ही एक स्थानीय विधायक और दबंग नेता विजय सिंह और तीन अज्ञात लोगों का नाम लिखवाया गया. विजय सिंह को पकड़ने के लिए पुलिस की छापेमारी की गई और आखिरकार विजय सिंह को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया था. विजय सिंह से पूछताछ के बाद एफआईआर में लिखाए गए तीनों अज्ञात नाम सामने आए. ये थे कुख्यात शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा, बलविंदर सिंह और रमेश ठाकुर.

राजनैतिक फायदे के लिए कराई गई ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या

मामला CBI तक पहुंचा और मामला कई सालों तक अदालत में चला. अदालत में सीबीआई ने आरोप लगाया कि विजय सिंह की ब्रह्मदत्त द्विवेदी से राजनैतिक रंजिश थी और वारदात के कुछ दिन पहले ही दोनों में लड़ाई भी हुई थी. सीबीआई ने ये भी कहा कि राजनैतिक फायदे के चलते भाड़े के हत्यारों से ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या कराई गई. 

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2003 में अदालत ने जीवा को सुनाई उम्रकैद की सजा

कई साल मुकदमा चलने के बाद आखिरकार 17 जुलाई 2003 को अदालत का फैसला आया. कोर्ट ने अपने फैसले में विजय सिंह और संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. 

मुख्तार अंसारी से बढ़ी करीबियां

इस हत्याकांड में नाम आने के बाद जीवा ने जुर्म की दुनिया में अपने पैर और ज्यादा जमाने शुरू कर दिए थे. ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड के बाद संजीव जीवा मुन्ना बजरंगी गैंग में शामिल हो गया था. ऐसे ही संजीव जीवा की मुलाकात मुख्तार अंसारी से भी हुई.

कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क था. इसी कारण उसे अंसारी का संरक्षण मिला और फिर संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया. हालांकि, कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था.

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