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इलाहाबाद HC के पूर्व जज एसएन शुक्ला पर CBI ने दर्ज किया केस, 5 साल में 165% बढ़ गई थी आय

सीबीआई ने बुधवार को नई दिल्ली में इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज कर लिया. उन पर इलाहाबाद और लखनऊ बेंच में कार्यरत रहते हुए जमकर अकूत संपत्ति बनाने का आरोप है. सीबीआई ने जांच में आय से अधिक संपत्ति का मामला पाया था, जिसके बाद तीन लोगों पर केस दर्ज कर लिया गया.

रिटायर्ड जस्टिस पर 2014 से 2019 तक करोड़ों की संपत्ति बनाने का है आरोप (फाइल फोटो) रिटायर्ड जस्टिस पर 2014 से 2019 तक करोड़ों की संपत्ति बनाने का है आरोप (फाइल फोटो)
संतोष शर्मा
  • लखनऊ,
  • 22 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:53 PM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एसएन शुक्ला पर आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कर लिया गया है. सीबीआई ने दिल्ली में यह मुकदमा दर्ज किया है, जिसमें रिटायर्ड जस्टिस के अलावा उनकी पत्नी सुचिता तिवारी और साला साइदीन तिवारी भी नामजद हैं.

आरोप है कि रिटायर्ड जस्टिस ने अप्रैल 2014 से दिसंबर 2019 तक इलाहाबाद और लखनऊ बेंच में जस्टिस रहते हुए करोड़ों की संपत्ति बनाई है. इसके अलावा आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी सुचिता तिवारी के नाम पर करोड़ों के फ्लैट और खेती खरीदी और साले के नाम पर लखनऊ की सुशांत गोल्फ सिटी में विला खरीदा है.

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इसके बाद जब सीबीआई ने उनकी संपत्ति व बैंक खातों की जांच की तो उनके पास 165 फीसदी आय से अधिक संपत्ति निकाली. इसके बाद सभी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया. एसएन शुक्ला इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जुलाई 2020 में सेवानिवृत्त हुए थे.

सीजेआई के आदेश पर 2019 में दर्ज हुआ था केस

सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के बाद सीबीआई ने 4 दिसंबर, 2019 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश एसएन शुक्ला पर भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया गया था. एसएन शुक्‍ला पर एमबीबीएस कोर्स में दाखिले के लिए एक निजी मेडिकल कॉलेज को कथित रूप से फायदा पहुंचाने का आरोप था. आरोप था कि उन्होंने एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में नामांकन की तारीख बढ़ा कर कॉलेज की मदद की.

साल 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार के एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह ने जस्टिस शुक्ला के आदेश पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी. तब सीजेआई दीपक मिश्रा ने मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी, सिक्किम हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एस के अग्निहोत्री और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी के जायसवाल की इनहाउस कमेटी से इन आरोपों की जांच कराई थी.

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कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा था कि जस्टिस शुक्ला के खिलाफ साफ और पर्याप्त सबूत हैं, इसलिए उन्हें अविलंब हटाया जाय. डेढ़ साल पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बने इनहाउस पैनल ने जस्टिस शुक्ला को बदनीयती से अपने अधिकारों के दुरुपयोग का दोषी मानते हुए इनको पद से हटाए जाने की सिफारिश की थी. जस्टिस शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर एक निजी मेडिकल कॉलेज को दाखिले की समयसीमा बढ़ाने की छूट दी थी.

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