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CrPC Section 161: पुलिस को गवाहों के परीक्षण का अधिकार देती है धारा 161

सीआरपीसी की धारा 161 में गवाहों के परीक्षण को जो अधिकार पुलिस को दिया गया है, उसे परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 161 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

गवाहों के परीक्षण से संबंधित सीआरपीसी की ये धारा गवाहों के परीक्षण से संबंधित सीआरपीसी की ये धारा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2022,
  • अपडेटेड 11:49 PM IST
  • गवाहों के परीक्षण से संबंधित सीआरपीसी की ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में पुलिस (Police) और कोर्ट (Court) की कार्य प्रणाली से संबंधित प्रावधान मौजूद हैं. जिनका प्रयोग ज़रूरत पड़ने पर किया होता है. इसी प्रकास से सीआरपीसी की धारा 161 में गवाहों के परीक्षण को जो अधिकार पुलिस को दिया गया है, उसे परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 161 इस बारे में क्या जानकारी देती है? 

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सीआरपीसी की धारा 161 (CrPC Section 161)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 161 में पुलिस को हासिल गवाहों के परीक्षण के अधिकार को परिभाषित किया गया है. CrPC की धारा 161 के मुताबिक-

(1) कोई पुलिस अधिकारी, जो इस अध्याय के अधीन अन्वेषण कर रहा है या ऐसे अधिकारी की अपेक्षा पर कार्य करने वाला पुलिस अधिकारी, जो ऐसी पंक्ति से निम्नतर पंक्ति का नहीं है जिसे राज्य सरकार साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त विहित करे, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से परिचित समझे जाने वाले किसी व्यक्ति की मौखिक परीक्षा कर सकता है.

(2) ऐसा व्यक्ति उन प्रश्नों के सिवाय, जिनके उत्तरों की प्रवृत्ति उसे आपराधिक आरोप या शास्ति या समपहरण की आशंका में डालने की है, ऐसे मामले से संबंधित उन सब प्रश्नों का सही-सही उत्तर देने के लिए आबद्ध होगा जो ऐसा अधिकारी उससे पूछता है.

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(3) पुलिस अधिकारी इस धारा के अधीन परीक्षा के दौरान उसके समक्ष किए गए किसी भी कथन को लेखबद्ध कर सकता है और यदि वह ऐसा करता है, तो वह प्रत्येक ऐसे व्यक्ति के कथन का पृथक् और सही अभिलेख बनाएगा, जिसका कथन वह अभिलिखित करता है.

परंतु इस उपधारा के अधीन किया गया कथन श्रव्य-दृश्य इलैक्ट्रानिक साधनों द्वारा भी अभिलिखित किया जा सकेगा.

परंतु यह और कि किसी ऐसी स्त्री का कथन, जिसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 354, धारा 354क, धारा 354ख, धारा 354ग, धारा 354च, धारा 376, धारा 376क, धारा 376, धारा 376ग धारा 376घ, धारा 376ङ या धारा 509, के अधीन किसी अपराध के किए जाने या किए जाने का प्रयत्न किए जाने का अधिकथन किया गया है, किसी महिला पुलिस अधिकारी या किसी महिला अधिकारी द्वारा अभिलिखित किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 160: गवाहों को बुलाने के लिए पुलिस अफसर की शक्ति बताती है धारा 160 

क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. 

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CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.

 

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