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CrPC Section 165: पुलिस अधिकारी के तलाशी लेने की प्रक्रिया बताती है धारा 165

सीआरपीसी की धारा 165 में पुलिस अधिकारी (Police Officer) के तलाशी लिए जाने की प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 165 इस बारे में क्या बताती है?

पुलिस अफसर के तलाशी लेने से संबंधित है ये धारा पुलिस अफसर के तलाशी लेने से संबंधित है ये धारा
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:05 PM IST
  • तलाशी लिए जाने से संबंधित है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में कोर्ट (Court) और पुलिस (Police) की उस कार्य प्रणाली से संबंधित प्रावधान दर्ज किए गए हैं, जिनका इस्तेमाल ज़रुरत पड़ने पर किया जाता है. इसी तरह से सीआरपीसी की धारा 165 में पुलिस अधिकारी (Police Officer) के तलाशी लिए जाने की प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 165 इस बारे में क्या बताती है? 

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सीआरपीसी की धारा 165 (CrPC Section 165)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 165 में पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी लिए जाने की कानूनी प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है. CrPC की धारा 165 के मुताबिक-

(1) जब कभी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी या अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी के पास यह विश्वास करने के उचित आधार हैं कि किसी ऐसे अपराध के अन्वेषण के प्रयोजनों के लिए, जिसका अन्वेषण करने के लिए वह प्राधिकृत है, आवश्यक कोई चीज उस पुलिस थाने की, जिसका वह भारसाधक है या जिससे वह संलग्न है, सीमाओं के अन्दर किसी स्थान में पाई जा सकती है और उसकी राय में ऐसी चीज अनुचित विलम्ब के बिना तलाशी से अन्यथा अभिप्राप्त नहीं की जा सकती, तब ऐसा अधिकारी अपने विश्वास के आधारों को लेखबद्ध करने, और यथासंभव उस चीज को, जिसके लिए तलाशी ली जानी है, ऐसे लेख में विनिर्दिष्ट करने के पश्चात् उस थाने की सीमाओं के अन्दर किसी स्थान में एसी चीज के लिए तलाशी ले सकता है या तलाशी लिवा सकता है.

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(2) उपधारा (1) के अधीन कार्यवाही करने वाला पुलिस अधिकारी, यदि साध्य है तो, तलाशी स्वयं लेगा.

(3) यदि वह तलाशी स्वयं लेने में असमर्थ है और कोई अन्य ऐसा व्यक्ति, जो तलाशी लेने के लिए सक्षम है, उस समय उपस्थित नहीं है तो वह, ऐसा करने के अपने कारणों को लेखबद्ध करने के पश्चात् अपने अधीनस्थ किसी अधिकारी से अपेक्षा कर सकता है कि वह तलाशी ले और ऐसे अधीनस्थ अधिकारी को ऐसा लिखित आदेश देगा जिसमें उस स्थान को जिसकी तलाशी ली जानी है, और यथासंभव उस चीज़ को, जिसके लिए तलाशी ली जानी है, विनिर्दिष्ट किया जाएगा और तब ऐसा अधीनस्थ अधिकारी उस चीज के लिए तलाशी उस स्थान में ले सकेगा.

(4) तलाशी-वारंटों के बारे में इस संहिता के उपबन्ध और तलाशियों के बारे में धारा 100 के साधारण उपबन्ध इस धारा के अधीन ली जाने वाली तलाशी को, जहां तक हो सके, लागू होंगे.

(5) उपधारा (1) या उपधारा (3) के अधीन बनाये गए किसी भी अभिलेख की प्रतियां तत्काल ऐसे निकटतम मजिस्ट्रेट के पास भेज दी जाएंगी जो उस अपराध का संज्ञान करने के लिए सशक्त है और जिस स्थान की तलाशी ली गई है, उसके स्वामी या अधिभोगी को, उसके आवेदन पर, उसकी एक प्रतिलिपि मजिस्ट्रेट द्वारा निःशुल्क दी जाएगी.

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इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 164: इकबालिया बयानों को दर्ज कराने की प्रक्रिया बताती है धारा 164 

क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. 

CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.

 

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