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Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में अदालत (Court) और पुलिस (Police) से संबंधित कई तरह के कानूनी प्रावधान (Legal provision) किए गए हैं. इसी के अधीन सीआरपीसी की धारा 177 में किसी भी अपराध की जांच और ट्रायल के अधिकारिता क्षेत्र को लेकर परिभाषा दी गई है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 177 इस बारे में क्या प्रावधान करती है?
सीआरपीसी की धारा 177 (CrPC Section 177)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 177 में किसी भी अपराध के अधिकारिता क्षेत्र के अनुसार जांच और विचारण को परिभाषित किया गया है. CrPC की धारा 177 के अनुसार, प्रत्येक अपराध (Every offence) की जांच और विचारण (inquiry and trial) मामूली तौर पर ऐसे न्यायालय (Court) द्वारा किया जाएगा जिसकी स्थानीय अधिकारिता (Local jurisdiction) के अंदर वह अपराध (Offence) किया गया है.
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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है.
CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.