
Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में अदालत (Court) की कार्यप्रणाली से जुड़े प्रावधान भी परिभाषित (Define) किए गए हैं. जिनका इस्तेमाल सुनवाई के लिए किया जाता है. इसी तरह से सीआरपीसी की धारा 186 में बताया गया है कि सन्देह की दशा में उच्च न्यायालय का वह जिला विनिश्चित करना, जिसमें जांच या विचारण होगा. चलिए जान लेते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 186 इस बारे में क्या जानकारी देती है?
सीआरपीसी की धारा 186 (CrPC Section 186)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 186 में शक के हालात होने पर उच्च न्यायालय (High Court) का वह जिला सुनिश्चित (Decide) करने की प्रक्रिया बताई गई है, जिसमें जांच या विचारण (inquiry or trial) होगा. CrPC की धारा 186 के मुताबिक, जहां दो या अधिक न्यायालय (Court) एक ही अपराध का संज्ञान (Cognizance of offense) कर लेते हैं और यह प्रश्न उठता है कि उनमें से किसे उस अपराध की जांच या विचारण करना चाहिए, वहां वह प्रश्न-
(क) यदि वे न्यायालय एक ही उच्च न्यायालय (High Court) के अधीनस्थ हैं तो उस उच्च न्यायालय द्वारा;
(ख) यदि वे न्यायालय एक ही उच्च न्यायालय (High Court) के अधीनस्थ नहीं हैं, तो उस उच्च न्यायालय द्वारा जिसकी अपील दांडिक अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अन्दर कार्यवाही पहले प्रारम्भ की गई है,
विनिश्चित किया जाएगा, और तब उस अपराध के सम्बन्ध में अन्य सब कार्यवाहियां बन्द कर दी जाएंगी.
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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है.
CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.