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CrPC Section 110: आदतन अपराधियों से अच्छे व्यवहार के लिए सुरक्षा से जुड़ी है ये धारा

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 110 (Section 110) में आदतन अपराधियों से अच्छे व्यवहार के लिए सुरक्षा के बारे में जानकारी दी गई है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 110 इस बारे में क्या प्रावधान करती है?

 आदतन अपराधियों से जुड़ी है सीआरपीसी की ये धारा आदतन अपराधियों से जुड़ी है सीआरपीसी की ये धारा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2022,
  • अपडेटेड 6:25 AM IST
  • आदतन अपराधियों से जुड़ी है सीआरपीसी की ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) में कानूनी प्रक्रियाओं (Legal procedures) के बारे में ऐसी विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है, जिनका इस्तेमाल पुलिस (Police) और अदालत (Court) के काम की प्रक्रिया के दौरान होता है. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 110 (Section 110) में आदतन अपराधियों से अच्छे व्यवहार के लिए सुरक्षा के बारे में जानकारी दी गई है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 110 इस बारे में क्या प्रावधान करती है?

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सीआरपीसी की धारा 110 (CrPC Section 110)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced 1973) की धारा 110 (Section 110) में आभ्यासिक अपराधियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति यानी आदतन अपराधियों से अच्छे व्यवहार के लिए सुरक्षा का प्रावधान किया गया है. CrPC की धारा 110 के अनुसार, जब किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट को यह इत्तिला मिलती है कि उसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर कोई ऐसा व्यक्ति है, जो-

(क) अभ्यासतः लुटेरा, गृहभेदक, चोर या कूटरचयिता है; अथवा
 
(ख) चुराई हुई संपत्ति का, उसे चुराई हुई जानते हुए, अभ्यासतः प्रापक है; अथवा

(ग) अभ्यासतः चोरों की संरक्षा करता है या चोरों को संश्रय देता है या चुराई हुई संपत्ति को छिपाने या उसके व्ययन में सहायता देता है; अथवा

(घ) व्यपहरण, अपहरण, उद्दापन, छल या रिष्टि का अपराध या भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के अध्याय 12 के अधीन या उस संहिता की धारा 489क, धारा 489ख, धारा 489ग या धारा 489घ के अधीन दंडनीय कोई अपराध अभ्यासत: करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुप्रेरण करता है; अथवा

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(ङ) ऐसे अपराध अभ्यासतः करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुष्प्रेरण करता है, जिनमें परिशांति भंग समाहित है; अथवा

(च) कोई ऐसा अपराध अभ्यासतः करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुष्प्रेरण करता है जो..

(i) निम्नलिखित अधिनियमों में से एक या अधिक के अधीन कोई अपराध है, अर्थात्-

(क) औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 (1940 का 23);

(ख) विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (1973 का 46);

(ग) कर्मचारी भविष्य-निधि (और कुटुंब पेंशन निधि) अधिनियम, 1952 (1952 का 19);

(घ) खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 (1954 का 37);

(ङ) आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (1955 का 10);

(च) अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (1955 का 22);

(छ) सीमाशुल्क अधिनियम, 1962 (1962 का 52),

(ज) विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946 (1946 का 31); या

(ii) जमाखोरी या मुनाफाखोरी अथवा खाद्य या औषधि के अपमिश्रण या भ्रष्टाचार के निवारण के लिए उपबंध करने वाली किसी अन्य विधि के अधीन दंडनीय कोई अपराध है; या

(झ) ऐसा दुसाहसिक और भयंकर है कि उसका प्रतिभूति के बिना स्वच्छन्द रहना समाज के लिए परिसंकटमय है,

तब ऐसा मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति से इसमें इसके पश्चात् उपबंधित रीति से अपेक्षा कर सकता है कि वह कारण दर्शित करे कि तीन वर्ष से अनधिक की इतनी अवधि के लिए, जितनी वह मजिस्ट्रेट ठीक समझता है. उसे अपने सदाचार के लिए प्रतिभुओं सहित बंधपत्र निष्पादित करने का आदेश क्यों न दिया जाए.

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इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 109: संदिग्ध व्यक्तियों से अच्छे व्यवहार के लिए सुरक्षा का प्रावधान करती है ये धारा 

क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.
 

 

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