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CrPC Section 115: व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की शक्ति का प्रावधान है धारा 115

दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 115 (Section 115) में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने की शक्ति का प्रावधान किया गया है. आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी की धारा 115 इस बारे में क्या बताती है?

 व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने की शक्ति से जुड़ी है ये धारा व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने की शक्ति से जुड़ी है ये धारा
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली ,
  • 01 जून 2022,
  • अपडेटेड 6:24 AM IST
  • व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने की शक्ति से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: जब कोई मामला अदालत (Court) में विचाराधीन हो और उसमें किसी तारीख पर सुनवाई तय हो मगर ऐसे में आरोपी किसी भी कारणवश अदालत में पेश होने की स्थिति में ना हो तो वह अपने वकील के माध्यम से अदालत में पेशी से छूट मांग सकता है. दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 115 (Section 115) में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने की शक्ति का प्रावधान किया गया है. आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी की धारा 115 इस बारे में क्या बताती है?

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सीआरपीसी की धारा 115 (CrPC Section 115)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 115 (Section 115) अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने की शक्ति का प्रावधान मिलता है. CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 115 के अनुसार, यदि मजिस्ट्रेट (Magistrate) को पर्याप्त कारण दिखाई देता है तो वह ऐसे किसी व्यक्ति को, जिससे इस बात का कारण दर्शित करने की अपेक्षा की गई है कि उसे परिशांति (Calmness) कायम रखने या सदाचार (Virtue) के लिए बंधपत्र निष्पादित (Bond executed) करने के लिए आदेश क्यों न दिया जाए, वैयक्तिक हाजिरी (Personal attendance) से अभिमुक्ति (Discharge) दे सकता है और प्लीडर द्वारा हाजिर होने की अनुज्ञा (Permission to attend) दे सकता है.

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क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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