
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धाराएं अदालत (Court) या पुलिस (Police) की कार्यप्रणाली के दौरान इस्तेमाल होने वाली कानूनी प्रक्रिया को बताती हैं. इसी प्रकार (CrPC) की धारा 117 (Section 117) में प्रतिभूति देने का आदेश परिभाषित किया गया है. आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी की धारा 117 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 117 (CrPC Section 117)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced 1973) की धारा 117 (Section 117) में प्रतिभूति देने के आदेश का प्रावधान मिलता है. CrPC की धारा 117 के अनुसार, यदि ऐसी जांच से यह साबित हो जाता है कि, यथास्थिति, परिशांति कायम रखने के लिए या सदाचार बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि वह व्यक्ति, जिसके बारे में वह जांच की गई है, प्रतिभुओं सहित या रहित, बंधपत्र निष्पादित करे तो मजिस्ट्रेट तद्नुसार आदेश देगा, परंतु-
(क) किसी व्यक्ति को उस प्रकार से भिन्न प्रकार की या उस रकम से अधिक रकम की या उस अवधि से दीर्घतर अवधि के लिए प्रतिभूति देने के लिए आदिष्ट न किया जाएगा, जो धारा 111 के अधीन दिए गए आदेश में विनिर्दिष्ट है;
(ख) प्रत्येक बंधपत्र की रकम मामले की परिस्थितियों का सम्यक ध्यान रख कर नियत की जाएगी और अत्यधिक न होगी:
(ग) जब वह व्यक्ति, जिसके बारे में जांच की जाती है, अवयस्क है, तब बंधपत्र केवल उसके प्रतिभुओं द्वारा निष्पादित किया जाएगा.
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क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.