
Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता यानी CrPC में न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) और न्यायिक पदों (judicial positions) के बारे में जानकारियां देती है. ऐसे ही सीआरपीसी की धारा 15 न्यायिक मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate) से संबंधित है. आइए जानते हैं कि CrPC की धारा 15 (Section 15) क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 15 (CrPC Section 15)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 15 (Section 15) में न्यायिक मजिस्ट्रेट का अधीनस्थ होना बताया गया है. मसलन (1) हर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate), सेशन न्यायाधीश (Session Judge) के अधीनस्थ होगा और प्रत्येक अन्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate), सेशन न्यायाधीश के साधारण नियंत्रण के अधीन रहते हुए. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के अधीनस्थ होगा।
(2) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM), अपने अधीनस्थ न्यायिक मजिस्ट्रेटों (Judicial Magistrates) में कार्य के वितरण के बारे में, समय-समय पर, इस संहिता से संगत नियम बना सकता है या विशेष आदेश (Special Order) दे सकता है.
इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 14: जानें, क्या होती है सीआरपीसी की धारा 14?
क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. दंड प्रिक्रिया संहिता यानी CrPC में 37 अध्याय हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं आती हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन भी किए गए है.