Advertisement

CrPC Section 30: जानिए, क्या है सीआरपीसी की धारा 30?

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 30 (Section 30) जुर्माना और दंडादेश (Sentence) के बारे में बताती है. तो जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 30 (Section 30) क्या कहती है?

सीआरपीसी की धारा 30 जुर्माने के बारे में बताती है सीआरपीसी की धारा 30 जुर्माने के बारे में बताती है
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 16 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 6:56 PM IST
  • जुर्माना और व्यतिक्रम से संबंधित है धारा 30
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी

Code of Criminal Procedure यानी दंड प्रक्रिया संहिता में कोर्ट (Court) के आदेश (Order) और फैसलों (Verdict) से जुड़ी प्रक्रिया (Procedure) और उनसे जुड़े प्रावधान (Provision) मिलते हैं. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 30 (Section 30) जुर्माना और दंडादेश (Sentence) के बारे में बताती है. तो जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 30 (Section 30) क्या कहती है?

सीआरपीसी की धारा 30 (CrPC Section 30)

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 30 (Section 30) 'जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास का दंडादेश' (Sentences of imprisonment in default of fine) से संबंधित है. इसमें कई प्रावधान (Provision) बताये गए हैं.

Advertisement

(1) किसी मजिस्ट्रेट का न्यायालय (Court of a Magistrate) जुर्माना (Fine) देने में व्यतिक्रम (Default) होने पर इतनी अवधि (Period) का कारावास (Imprisonment) अधिनिर्णीत (Awarded) कर सकता है जो विधि (Law) द्वारा प्राधिकृत (Authorized) है: परंतु वह अवधि (क) धारा 29 के अधीन मजिस्ट्रेट की शक्ति (Power of magistrate) से अधिक नहीं होगी; (ख) जहां कारावास मुख्य दंडादेश के भाग के रूप में अधिनिर्णीत किया गया है, वहां वह उस कारावास की अवधि के चौथाई से अधिक न होगी. जिसको मजिस्ट्रेट उस अपराध (Crime) के लिए, न कि जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर दंड के तौर पर, देने के लिए सक्षम (competent) है.

(2) इस धारा के अधीन अधिनिर्णीत (Awarded) कारावास (Imprisonment) उस मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा धारा 29 (Section 29) के अधीन अधिनिर्णीत की जा सकने वाली अधिकतम अवधि (Maximum term) के कारावास के मुख्य दंडादेश (Main sentence) के अतिरिक्त हो सकता है.

Advertisement

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 29: जानिए, क्या होती है सीआरपीसी की धारा 29? 

क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)

सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC

सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन भी किए गए है.

ये भी पढ़ेंः

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement