Advertisement

CrPC Section 41: जानिए, क्या है सीआरपीसी की धारा 41?

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 41 (Section 41) में बिना वारंट (without warrant) गिरफ्तारी (arresting) की प्रक्रिया (Procedure) के बारे में बताया गया है. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 41 (Section 41) इस विषय पर क्या कहती है?

CrPC की धारा 41 में बिना वारंट गिरफ्तारी की परिभाषा मिलती है CrPC की धारा 41 में बिना वारंट गिरफ्तारी की परिभाषा मिलती है
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 30 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 6:15 PM IST
  • बिना वारंट गिरफ्तारी से संबंधित है CrPC की धारा 41
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) में कोर्ट (Court) और पुलिस (Police) से जुड़ी प्रक्रियाएं (Procedure) और प्रावधानों (Provisions) के विषय में जानकारी मिलती है. इसी प्रकार सीआरपीसी (CrPC) की धारा 41 (Section 41) में बिना वारंट (without warrant) गिरफ्तारी (arresting) की प्रक्रिया (Procedure) के बारे में बताया गया है. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 41 (Section 41) इस विषय पर क्या कहती है?

Advertisement

सीआरपीसी की धारा 41 (CrPC Section 41)

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 41 (Section 41) के मुताबिक (1) कोई पुलिस अधिकारी (Police Officer) मजिस्ट्रेट के आदेश (Magistrate's order) के बिना और वारंट के बिना (without warrant) किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार (arrest) कर सकता है-

(क) जो पुलिस अधिकारी (Police Officer) की उपस्थिति (Presence) में संज्ञेय अपराध (Cognizable offense) करता है,  

(ख) जिसके विरुद्ध युक्तियुक्त परिवाद (reasonable complaint) किया जा चुका है या विश्वासनीय जानकारी (Reliable information) प्राप्त हो चुकी है या उचित संदेह (Reasonable doubt) विद्यमान है कि उसने कारावास (Imprisonment) से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, चाहे वह जुर्माने सहित हो अथवा जुर्माने के बिना, दण्डनीय संज्ञेय अपराध किया है, यदि निम्नलिखित शर्तें पूरी कर दी जाती है अर्थात-

(1) पुलिस अधिकारी (Police Officer) के पास ऐसे परिवाद, इतिला या संदेह (information or doubt) के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि उस व्यक्ति ने उक्त अपराध (Offence) किया है,

Advertisement

(2) पुलिस अधिकारी (Police Officer) का यह समाधान (Solution) हो गया है कि ऐसी गिरफ्तारी (arresting) निम्नलिखित के लिए आवश्यक है –

(क) ऐसे व्यक्ति को कोई और अपराध (Offence) करने से निवारित (Prevent) करने के लिए या

(ख) अपराध के समूचित अन्वेषण (thorough investigation) के लिए या

(ग) ऐसे व्यक्ति को ऐसे अपराध के साक्ष्य (evidence of crime) को गायब करने या ऐसे साक्ष्य के साथ किसी भी रीति में छेड़छाड़ करने (to tamper with) से निवारित करने के लिए या.

(घ) उस व्यक्ति को, किसी ऐसे व्यक्ति को जो मामले के तथ्यों से परिचित है, उत्प्रेरित करने (induce) उसे धमकी देने (threaten) या उससे वायदा करने से, जिससे उसे न्यायालय (Court) या पुलिस अधिकारी (Police officer) को ऐसे तथ्यों को प्रकट न करने के लिए मनाया जा सके, निवारित करने के लिए या

(ङ) जब तक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार (arrest) नहीं कर लिया जाता न्यायालय (court) में उसकी उपस्थिति, जब भी अपेक्षित हो, सुनिश्चित नहीं की जा सकती,

- पुलिस अधिकारी ऐसी गिरफ्तारी करते समय अपने कारणों को लेखबद्ध करेगा. परन्तु यह कि पुलिस अधिकारी ऐसे सभी मामलों में जहां व्यक्ति की गिरफ्तारी, इस उपधारा के प्रावधानों के अधीन अपेक्षित न हो, गिरफ्तारी न करने के कारणों को लिखित में अभिलिखित करेगा.

Advertisement

(क, ख) जिसके विरुद्ध विश्वसनीय इतिला (Reliable information) प्राप्त हो चुकी है कि उसने कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष से अधिक की हो सकेगी, चाहे वह जुर्माने सहित हो अथवा संज्ञेय अपराध (Cognizable offense) किया है और पुलिस अधिकारी (Police officer) के पास उस इतिला के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि उस व्यक्ति ने उक्त अपराध किया है.

(ग) जो या जो इस संहिता के अधीन या राज्य सरकार (State government) के आदेश (order) द्वारा अपराधी उद्घाषित (criminal revealed) किया जा चुका है अथवा

(घ) जिसके कब्जे में कोई ऐसी चीज पाई जाती है जिसके चुराई हुई सम्पति (Stolen property) होने का उचित रूप से संदेह किया जा सकता है और जिस पर ऐसी चीज के बारे में अपराध (crime) करने का उचित रूप से संदेह (Doubt) किया जा सकता है अथवा
 
(ङ) जो पुलिस अधिकारी (Police officer) को उस समय बाधा (Obstacle) पहुंचाता है 

(ज) वह अपना कर्तव्य (Duty)  कर रहा है या जो विधिपूर्ण अभिरक्षा (lawful custody) से निकल भागा है या निकल भागने का प्रयत्न करता है अथवा

(च) जिस पर संघ (Union) के सशस्त्र बलों (armed forces) में से किसी से अभित्याजक (Deserter) होने का उचित संदेह है अथवा

(छ) जो भारत से बाहर किसी स्थान में किसी ऐसे कार्य (Act) किए जाने से, जो यदि भारत (India) में किया गया होता तो अपराध (offense) के रूप में दण्डनीय (punishable) होता, और जिसके लिए वह प्रत्यर्पण संबंधी (extraditional) किसी विधि के अधीन या अन्यथा भारत में पकड़े जाने का या अभिरक्षा में निरुद्ध (Detained in custody) किए जाने का भागी है, संबद्ध रह चुका है या जिसके विरुद्ध इस बारे में उचित परिवाद (fair complaint) किया जा युका है या विश्वसनीय इतिला प्राप्त हो चुकी है या उचित संदेह विद्यमान है कि वह ऐसे संबंध रह चुका है अथवा

Advertisement

(ज) जो छोड़ा गया सिद्धदोष (conviction) होते हुए धारा 356 की उपधारा (5) के अधीन बनाए गए किसी नियम को भंग करता है अथवा

(झ) जिसकी गिरफ्तारी (Arresting) के लिए किसी अन्य पुलिस अधिकारी (Police officer) से लिखित (written) या मौखिक अध्यपेक्षा (oral requisition) प्राप्त हो चुकी है, परन्तु यह तब जब कि अध्यपेक्षा में उस व्यक्ति का, जिसे गिरफ्तार किया जाना है, और उस अपराध का या अन्य कारण का, जिसके लिए गिरफ्तारी की जानी है, विनिर्देश (Specification) है और उससे यह दर्शित होता है कि अध्यपेक्षा जारी करने वाले अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना (without warrant) वह व्यक्ति विधिपुर्वक गिरफ्तार (lawfully arrest) किया जा सकता था.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 40: जानिए, क्या है सीआरपीसी की धारा 40? 

क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)

सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

Advertisement

1974 में लागू हुई थी CrPC

सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement