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CrPC Section 44: कैसे मजिस्ट्रेट कर सकता है गिरफ्तारी, जानें सीआरपीसी की धारा 44 में?

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 44 (Section 44) मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा गिरफ्तारी (Arresting) के बारे में बताती है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 44 (Section 44) इस बारे में क्या कहती है?

CrPC की धारा 44 मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी किए जाने से संबंधित है CrPC की धारा 44 मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी किए जाने से संबंधित है
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 6:28 AM IST
  • मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी से संबंधित है धारा 44
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) पुलिस और न्यायिक अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र और उनकी शक्तियों के बारे में भी बात करती है. साथ ही इसमें अदालत (Court) और कानून (Law) से जुड़ी प्रक्रियाएं (Procedure) और प्रावधानों (Provisions) की परिभाषाएं भी दी गई हैं. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 44 (Section 44) मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा गिरफ्तारी (Arresting) के बारे में बताती है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 44 (Section 44) इस बारे में क्या कहती है?

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सीआरपीसी की धारा 44 (CrPC Section 44)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 44 (Section 44) में मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा गिरफ्तारी (Arresting) किए जाने के बारे में जानकारी (Information) तो मिलती ही है. साथ ही उसके प्रावधान (Provisions) भी पता चलते हैं-

(1) जब कार्यपालक (executive) या न्यायिक मजिस्ट्रेट (judicial magistrate) की उपस्थिति (Presence) में उसकी स्थानीय अधिकारिता (Local jurisdiction) के अंदर कोई अपराध (offence) किया जाता है, तब वह अपराधी (offender) को स्वयं गिरफ्तार (Arrest) कर सकता है या गिरफ्तार करने के लिए किसी व्यक्ति (any person) को आदेश (Order) दे सकता है और तब जमानत (Bail) के बारे में इसमें अंतर्विष्ट उपबंधों (contained provisions) के अधीन रहते हुए, अपराधी को अभिरक्षा (custody) के लिए सुपुर्द (handed over) कर सकता है. 

(2) कोई कार्यपालक (executive) या न्यायिक मजिस्ट्रेट (judicial magistrate) किसी भी समय अपनी स्थानीय अधिकारिता (Local jurisdiction) के भीतर किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार (Arrest) कर सकता है. या अपनी उपस्थिति में उसकी गिरफ्तारी का निदेश (order of arrest) दे सकता है, जिसकी गिरफ्तारी के लिए वह उस समय और उन परिस्थितियों (circumstances) में वारंट (warrant) जारी करने के लिए सक्षम (competent) है.

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क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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