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CrPC Section 45: सशस्त्र बलों के जवानों को गिरफ्तारी से बचाती है सीआरपीसी की धारा 45, जानें कैसे

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 45 (Section 45) में सशस्त्र बल (Armed Forces) के सदस्यों का गिरफ्तारी (Arresting) से संरक्षण (Protection) के बारे में जानकारी देती है. आइए जानते हैं इस धारा के प्रावधान.

सशस्त्र बलों के जवानों को गिरफ्तारी से बचाती है धारा 45 सशस्त्र बलों के जवानों को गिरफ्तारी से बचाती है धारा 45
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 7:06 AM IST
  • सशस्त्र बलों से संबंधित है CrPC की धारा 45
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure यानी दंड प्रक्रिया संहिता में अदालत (Court) और पुलिस (Police) के साथ-साथ सशस्त्र बलों (Armed Forces) से जुड़े प्रावधानों (Provisions) के बारे में भी बताती है. इसी प्रकार से सीआरपीसी (CrPC) की धारा 45 (Section 45) में सशस्त्र बल (Armed Forces) के सदस्यों का गिरफ्तारी (Arresting) से संरक्षण (Protection) के बारे में जानकारी देती है. आइए जानते हैं इस धारा के प्रावधान.

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सीआरपीसी की धारा 45 (CrPC Section 45)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 45 (Section 45) में 'सशस्त्र बलों के सदस्यों का गिरफ्तारी से संरक्षण' (Protection of members of the Armed Forces from arrest) के बारे में विस्तार से बताया गया है. CrPC की धारा 45 के अनुसार-

(1) धारा 41 से 44 तक की धाराओं में (दोनों सहित) किसी बात के होते हुए भी संघ के सशस्त्र बलों (Armed Forces of the Union) का कोई भी सदस्य (Member) अपने पदीय कर्तव्यों का निर्वहन (discharge of official duties) करने में अपने द्वारा की गई या की जाने के लिए तात्पर्यित (purported) किसी बात के लिए तब तक गिरफ्तार (Arrest) नहीं किया जाएगा, जब तक केंद्रीय सरकार की सहमति (approval of the central government) नहीं ले ली जाती.

(2) राज्य सरकार अधिसूचना (State Government Notification) द्वारा निदेश (Order) दे सकती है कि उसमें यथाविनिर्दिष्ट बल (force as specified) के ऐसे वर्ग या प्रवर्ग के सदस्यों को, जिन्हें लोक व्यवस्था (public order) बनाए रखने का कार्यभार (Assignments) सौंपा गया है, जहां कहीं वे सेवा (Service) कर रहे हों, उपधारा (1) के उपबंध लागू होंगे और तब उस उपधारा (sub section) के उपबंध इस प्रकार लागू (Applicable) होंगे मानो उसमें आने वाले केंद्रीय सरकार (central government) पद के स्थान पर राज्य सरकार (state government) पद रख दिया गया हो.

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इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 44: कैसे मजिस्ट्रेट कर सकता है गिरफ्तारी, जानें सीआरपीसी की धारा 44 में? 

क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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