
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धाराओं (Sections) में न्यायलय (Court) और पुलिस (Police) के काम करने की प्रक्रिया (Process) के बारे में जानकारी मिलती हैं. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 65 (Section 65) में परिभाषित किया गया है कि जब पूर्व उपबंधित प्रकार से तामील न की जा सके, तब किस प्रक्रिया को अपनाया जाए. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 65 क्या प्रावधान बताती है?
सीआरपीसी की धारा 65 (CrPC Section 65)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 65 (Section 65) में बताया गया है कि जब पूर्व उपबंधित (pre-provided) प्रकार से तामील (service) न की जा सके, तब किस प्रक्रिया (Process) को अपनाया जाए. CrPC की धारा 65 के अनुसार, यदि धारा 62, धारा 63 या धारा 64 में उपबंधित रूप से तामील सम्यक् तत्परता (due diligence) बरतने पर भी न की जा सके तो तामील करने वाला अधिकारी (serving officer) समन की दो प्रतियों में से एक को उस गृह या वासस्थान (that home or abode) के, जिसमें समन किया गया व्यक्ति मामूली तौर पर निवास (modest residence) करता है, किसी सह्जदृश्य भाग (visible part) में लगाएगा; और तब न्यायालय (Court) ऐसी जांच करने के पश्चात् (after checking) जैसी वह ठीक समझे या तो यह घोषित (declared) कर सकता है कि समन की सम्यक् तामील (due service of summons) हो गई है या वह ऐसीरीति (such manner) से नई तामील का आदेश (service order) दे सकता है, जिसे वह उचित समझे.
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क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.