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CrPC Section 7: जानें, क्या होती है सीआरपीसी की धारा 7?

सीआरपीसी की धारा 7 में चार अहम बिंदु हैं. जिसका पहला बिंदु राज्य को सेशन में विभाजित करता है. और सेशन खंड को एक जिला माना जाता है. साथ ही हर महानगरीय इलाके को एक अलग सेशन और जिला माना गया है

सीआरपीसी की धारा 7 के चार अहम बिंदु हैं सीआरपीसी की धारा 7 के चार अहम बिंदु हैं
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:42 AM IST
  • सेशन और जिले से संबंधित है CrPC की धारा 7
  • जिलों और खंडों को परिभाषित करती है ये धारा
  • 1974 में लागू हुई थी सीआरपीसी

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) यानी CrPC पुलिस की कार्य प्रणाली से जुड़ी प्रक्रिया के संबंध में दिशा निर्देश तो देती ही है, साथ ही न्यायिक प्रक्रिया से भी अवगत कराती है. ऐसी ही है सीआरपीसी (CrPC) की धारा 7. आइए जानते हैं कि CrPC की धारा 7 (Section 7) क्या है और इसमें क्या प्रावधान मिलते हैं?

सीआरपीसी की धारा 7 (CrPC Section 7)
दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 7 के अनुसार (1) प्रत्येक राज्य एक सेशन खंड होगा या उसमें सेशन खंड होंगे और इस संहिता के प्रयोजनों के लिए प्रत्येक सेशन खंड एक जिला होगा या उसमें जिले होंगे, परंतु प्रत्येक महानगर क्षेत्र, उक्त प्रयोजनों के लिए, एक पृथक् सेशन खंड और जिला होगा. (2) राज्य सरकार उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात्, ऐसे खंडों और जिलों की सीमाओं या संख्या में परिवर्तन कर सकती है. (3) राज्य सरकार उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात्, किसी जिले को उपखंडों में विभाजित कर सकती है और ऐसे उपखंडों की सीमाओं या संख्या में परिवर्तन कर सकती है. (4) किसी राज्य में इस संहिता के प्रारंभ के समय विद्यमान सेशन खंड, जिले और उपखंड इस धारा के अधीन बनाए गए समझे जाएंगे.

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साधारण शब्दों में कहें तो सीआरपीसी की धारा 7 में चार अहम बिंदु हैं. जिसका पहला बिंदु राज्य को सेशन में विभाजित करता है. और सेशन खंड को एक जिला माना जाता है. साथ ही हर महानगरीय इलाके को एक अलग सेशन और जिला माना गया है. दूसरे बिंदु में बताया गया कि कोई भी राज्य सरकार हाई कोर्ट से सलाह लेकर ऐसे खंडों और जिलों की सीमा या संख्या को बदल सकती है. तीसरे बिंदु में कहा गया कि राज्य सरकार हाई कोर्ट की सलाह से किसी भी जिले को उपखंडों में बांट सकती है, और उन उपखंडों की सीमा और संख्या को बदल सकती है. चौथे बिंदु के मुताबिक किसी भी राज्य में पहले से स्थापित सेशन, जिले और उपखंड इसी धारा 7 के अधीन स्थापित समझे और माने जाएंगे.

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इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 6: जानिए, क्या है सीआरपीसी की धारा 6? 

क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. दंड प्रिक्रिया संहिता यानी CrPC में 37 अध्याय हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं आती हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

70 के दशक में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन भी किए गए है.

 

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