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म्यांमार और पाकिस्तान का पंजाब बॉर्डर, गुजरात का समंदर रूट... भारत में ड्रग तस्करों के एंट्री गेट साबित हो रहे ये इलाके

अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट भारत में नशे की खेप लाने के लिए अलग-अलग रास्तों का फायदा उठा रहे हैं. गुजरात का मुंद्रा पोर्ट, पंजाब बॉर्डर, नेपाल और म्यामांर के रास्ते भारत में ड्रग्स लाई जा रही है. जिनमें समुद्री मार्गों के ज़रिए से तस्करी की जाने वाली अफगान हेरोइन भी शामिल है.

दिल्ली में अब तक 7000 करोड़ से ज्यादा की खेप पकड़ी जा चुकी है दिल्ली में अब तक 7000 करोड़ से ज्यादा की खेप पकड़ी जा चुकी है
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST

भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी का संकट बढ़ता जा रहा है, हाल ही में बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों की बरामदगी ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है. दिल्ली में पुलिस ने हाल ही में दो अलग-अलग जगहों से 7,200 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत वाली ड्रग्स की खेप पकड़ी है. ये बरामदगी ड्रग्स के बड़े और खतरनाक कारोबार की तरफ इशारा करती है. जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सिंडिकेट भारत में नशे की खेप लाने के लिए अलग-अलग रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं. 

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म्यांमार और पूर्वोत्तर सीमा मार्ग
म्यांमार, दक्षिण पूर्व एशिया में मेथामफेटामाइन जैसी सिंथेटिक दवाओं के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, जो भारत को प्रभावित करने वाली तस्करी गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और म्यांमार के बीच छिद्रपूर्ण सीमा इसे मादक पदार्थों के लिए एक प्रमुख प्रवेश बिंदु बनाती है. उग्रवाद, खराब सीमा सुरक्षा और जातीय संघर्ष, जैसे कि कुकी समुदाय से जुड़े संघर्ष, इस क्षेत्र के माध्यम से ड्रग्स की सप्लाई को कंट्रोल करने की कोशिशों को मुश्किल बनाते हैं. तस्कर अक्सर इन क्षेत्रों में शासन की कमी का फायदा उठाते हैं, और इन्हें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में और फिर दिल्ली सहित प्रमुख शहरों में ड्रग्स ले जाने के लिए एक सुरक्षित कॉरिडोर के रूप में इस्तेमाल करते हैं. हेरोइन और मेथमफेटामाइन जैसी ड्रग्स को इस रूट से ले जाया जाता है, तस्कर ऊबड़-खाबड़ इलाकों और अपर्याप्त सीमा निगरानी का फायदा उठाते हैं.

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पंजाब में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर
पाकिस्तान के साथ पंजाब की सीमा लंबे समय से तस्करी की गतिविधियों का केंद्र रही है. दुनिया के सबसे बड़े हेरोइन उत्पादकों में से एक अफगानिस्तान से पंजाब की निकटता के कारण, इस क्षेत्र में ड्रग तस्करी में नाटकीय वृद्धि देखी गई है. तस्कर सीमा पार नशीले पदार्थों को ले जाने के लिए भूमिगत सुरंगों, ड्रोन और पारंपरिक मानव कूरियर का उपयोग करते हैं. अफगानिस्तान से निकलने वाली हेरोइन अक्सर पाकिस्तान के रास्ते पंजाब में आती है और वहां से इसे दिल्ली सहित भारत के अन्य हिस्सों में वितरित किया जाता है. अफगानिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता, विशेष रूप से तालिबान के कब्जे के बाद, ने इस मुद्दे को और बढ़ा दिया है, क्योंकि इस क्षेत्र में ड्रग उत्पादन विभिन्न आतंकवादी समूहों के लिए धन का प्राथमिक स्रोत बना हुआ है.

पंजाब ड्रग कॉरिडोर नारकोटिक्स सप्लाई चेन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक प्रमुख पारगमन बिंदु के रूप में कार्य करता है, और तस्कर अक्सर पंजाब में स्थानीय नेटवर्क के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि ड्रग्स अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंचें. इस मार्ग ने दिल्ली की ड्रग वितरण केंद्र के रूप में बढ़ती स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

गुजरात का समुद्री मार्ग
गुजरात तट खासकर मुंद्रा जैसे बंदरगाह के ज़रिए बड़ी मात्रा में ड्रग की खेप लाने के लिए एक खास एंट्री प्वाइंट के रूप में उभरा है. इस समुद्री मार्ग का इस्तेमाल अक्सर अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट करता है, जो अपने शिपमेंट को कानूनी आयात के रूप में छिपाते हैं. हाल के इतिहास में सबसे बड़ी ड्रग बरामदगी सितंबर 2021 में गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर हुई थी, जहां लगभग 3,000 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी. जिसकी कीमत 21,000 करोड़ रुपये से अधिक थी. ड्रग्स को अफगानिस्तान से टैल्क के रूप में लेबल किए गए कंटेनरों में छिपाया गया था. 

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गुजरात के इस समुद्री मार्ग का उपयोग इस क्षेत्र के व्यापक समुद्री व्यापार नेटवर्क के कारण पसंद किया जाता है, जो तस्करों को अवैध वस्तुओं को वैध आयात के साथ मिलाकर एक कवर प्रदान करता है. दुबई और अन्य खाड़ी देशों में स्थित माफियाओं के साथ मिलकर काम करने वाले अफ़गान ड्रग कार्टेल, भारत में नशीले पदार्थों को भेजने के लिए इस मार्ग का उपयोग करने के लिए जाने जाते हैं. एक बार जब ये ड्रग्स गुजरात में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें राज्यों में वितरित किया जाता है, जिसमें से महत्वपूर्ण मात्रा राष्ट्रीय राजधानी में पहुंचती है.

ड्रग हब बनती दिल्ली!
दिल्ली में हाल ही में बड़े पैमाने पर ड्रग बरामदगी ने नशे के कारोबार में इस शहर की बढ़ती भूमिका की तरफ एजेंसियों का ध्यान आकर्षित किया है. हाल ही में दिल्ली में 7,200 करोड़ रुपये से अधिक की ड्रग्स दो अलग अलग ठिकानों से जब्त की गई है. ये बरामदगी भारत के विभिन्न हिस्सों से आने वाले नशीले पदार्थों की सप्लाई केंद्र के रूप में राजधानी के महत्व को दिखाती है. दिल्ली से संचालित होने वाले अफ़गानी नागरिकों के रैकेट और अन्य विदेशी सिंडिकेट शहर में प्रमुख ड्रग नेटवर्क चलाने में शामिल रहे हैं. 

दिल्ली का रणनीतिक स्थान और व्यापक सड़क और रेल नेटवर्क इसे वितरण श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण नोड बनाते हैं. पंजाब, गुजरात या पूर्वोत्तर मार्गों से भारत में प्रवेश करने वाली ड्रग्स अक्सर छोटे शहरों और कस्बों में फैलने से पहले दिल्ली में समाप्त हो जाती हैं. इसने राजधानी को ड्रग तस्करी के खिलाफ देश की लड़ाई में एक केंद्र बिंदु बना दिया है.

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दुबई के ड्रग माफियाओं से कनेक्शन 
इन अवैध खेपों को छिपाने के लिए वाणिज्यिक मार्गों और वैध कार्गो का उपयोग तस्करी नेटवर्क की पहुंच को उजागर करता है. जांच में इस मामले के पीछे दुबई से संचालित ड्रग माफियाओं का कनेक्शन सामने आया था, जो भारतीय बाजार में हेरोइन की खपत बढ़ाने की कोशिश कर रहे और इस नेटवर्क को वैश्विक सिंडिकेट से जोड़ते हैं.

ड्रग्स के धंधे में तालिबान भी शामिल
हालात को देखकर ऐसा लगता है कि दिल्ली शहर, ड्रग व्यापार में तेजी से केंद्र बिंदु बन रहा है. दिल्ली में पकड़ी गई ड्रग्स का पता अफगानिस्तान से संचालित होने वाले सिंडिकेट से चला. खाड़ी देशों के माध्यम से तस्करी के रास्ते को आसान बनाया जाता है. हेरोइन के प्रमुख उत्पादक के रूप में अफगानिस्तान की प्रमुखता ने इस नेटवर्क में मजबूत बनाने का काम किया है, खासकर तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों की भागीदारी के साथ ये नेटवर्क तेजी से बढ़ता जा रहा है. पंजाब और गुजरात सहित कई रास्तों के ज़रिए ड्रग्स भारत में आती है, जिसमें मुंद्रा पोर्ट का रास्ता अहम माना जाता है.

अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क की भूमिका
हाल ही में देश की राजधानी में हुई बरामदगी दिल्ली को नशीले पदार्थों के प्रमुख वितरण केंद्र बनने के रूप में दर्शाता है. कई ऑपरेशन ऐसे हैं, जिनमें पुलिस और संबंधित एजेंसियों के अधिकारियों ने उत्तर भारत में बड़ी मात्रा में सप्लाई की जाने वाली हेरोइन और सिंथेटिक ड्रग्स का पता लगाया है. साथ ही अफगानिस्तान और खाड़ी देशों से लेकर दिल्ली तक फैले अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क से जुड़ी कई जानकारियां भी सामने आई हैं. सूत्रों के मुताबिक, कई तस्करों का दुबई में स्थित माफियाओं से सीधा संबंध है, जो भारत में ड्रग्स की तस्करी के लिए मुश्किल रास्तों और कानूनी आयात का उपयोग करते हैं.

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दिल्ली के रास्ते उत्तर भारत में सप्लाई
नशीले पदार्थों के लिए एक ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में दिल्ली की भूमिका इसकी भौगोलिक स्थिति और बुनियादी ढांचे से और भी साफ होती है, जो इसे पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों से आने वाली ड्रग्स के लिए एक अहम मुकाम बनाता है. एक बार जब खेप दिल्ली पहुंच जाती है, तो उन्हें अक्सर फिर से पैक किया जाता है और फिर पूरे देश में सप्लाई किया जाता है. इसके अलावा, दिल्ली में रहने वाले अफगान नागरिकों की भूमिका पर सवाल उठते हैं, घनी आबादी वाले इलाकों में हेरोइन की सप्लाई और तस्करी से इनके कनेक्शन की जांच भी हो रही है.

ड्रग्स नेटवर्क को तोड़ने में जुटी है NIA और DRI 
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) लगातार नशें के कारोबार और नेटवर्क से जुड़े सुरागों का पीछा कर रहे हैं साथ ही छापेमारी भी जारी है. दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट्स से जुड़ी ड्रग्स की बड़ी खेप बरामद होने के बाद सुरक्षा इंतजान कड़े किए जा रहे हैं. इन कोशिशों के बावजूद, जब्त की जा रही ड्रग्स की भारी मात्रा एक परेशान करने वाली है, जिससे यह चिंता बढ़ रही है कि दिल्ली कहीं ड्रग कैपिटल ना बन जाए. कुल मिलाकर ड्रग्स तस्करी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए निरंतर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की ज़रूरत भी होगी.

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कठोर कदम उठाने की ज़रूरत
भारत के ड्रग तस्करी संकट को अंतरराष्ट्रीय कार्टेल और क्षेत्रीय तस्करी नेटवर्क के संयोजन से बढ़ावा मिल रहा है, जो देश में नशीले पदार्थों को लाने के लिए कई मार्गों का फायदा उठा रहे हैं. म्यांमार सीमा, पंजाब-पाकिस्तान सीमा और गुजरात का समुद्री मार्ग सभी इन कार्यों के लिए एंट्री के महत्वपूर्ण बिंदु बन गए हैं. दिल्ली ड्रग सप्लाई के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रही है, ऐसे में सुरक्षा उपायों को बढ़ाने, बेहतर अंतरराष्ट्रीय सहयोग और मजबूत घरेलू कानून की जरूरत है.
 

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