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Delhi के पॉश इलाके में कैसे चल रहा था किडनी रैकेट? पीड़ित की जुबानी-पूरी कहानी

Delhi Kidney racket busted: रैकेट में शामिल डॉक्टर और दलाल 30 लाख तक में किडनी का सौदा करते थे. एजेंट्स को 30 हजार मिलते थे, डॉक्टर को 3 लाख, लैब टेक्नीशियन को 40 हजार. जबकि डोनर यानी किडनी देने वाले को महज 2 से 4 लाख रुपए ही मिल पाते थे.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Getty image) प्रतीकात्मक तस्वीर (Getty image)
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2022,
  • अपडेटेड 2:28 PM IST
  • Delhi में एक बड़े किडनी रैकेट का भंडाफोड़
  • अब तक 10 लोग गिरफ्तार, डॉक्टर भी शामिल
  • सोशल मीडिया के जरिये क्लाइंट तलाशते थे आरोपी

गुजरात के रहने वाले रघु की माली हालत ठीक नहीं थी. रोजगार की तलाश में कुछ महीने पहले वह देश की राजधानी दिल्ली पहुंचा. रघु के मुताबिक, उसे रोजगार मिलता इसके पहले ही किसी ने उसका पर्स और कीमती सामान चोरी कर लिया. इसके बाद बेबस और लाचार युवक नई दिल्ली के गुरुद्वारा पहुंच गया. वहां पर वह काम करने लगा और 4 दिनों तक वहीं पर रहा. इसी दौरान उसकी मुलाकात राजू नाम के एक शख्स से हुई. राजू जल्द समझ गया कि रघु के पास बिल्कुल भी पैसे नहीं हैं. 

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इसके बाद राजू रघु के पीछे पड़ गया कि वह अगर एक किडनी दे देता है, तो उसकी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी और उसे इतने पैसे मिलेंगे कि उसके सारे काम बन सकते हैं, रघु के मुताबिक, उसने शुरुआत में तो मना कर दिया, लेकिन राजू ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. रघु से हर दिन यह कहता कि वह किडनी दे दे. एक बढ़िया काम है. किसी एक शख्स की जान भी बचेगी और पैसे भी मिलेंगे. शरीर पर कोई फर्क भी नहीं पड़ेगा. लगातार दबाव के बीच रघु राजू की बात मान गया.

इसके बाद रघु को लेकर राजू सीधे विपिन नाम के शख्स के पास पहुंचा. विपिन दलाल था. विपिन, रघु को लेकर पश्चिम बिहार के किराए के फ्लैट पर पहुंचा. अगले 10 दिनों तक रघु के सारे टेस्ट करवाए गए. इसके बाद मुझे उस शख्स से मिलवाया गया जिसे किडनी चाहिए थी. 13 मई को रघु को पश्चिम विहार फ्लैट पर ले जाया गया. वहां एक और डोनर था और एक दलाल मौजूद था. इसके बाद रघु को सोनीपत गोहाना के उस नर्सिंग होम में ले जाया गया जहां पर ट्रांसप्लांटेशन को अंजाम देना था.

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पुलिस की गिरफ्त में आरोपी.

रघु के मुताबिक, शनिवार शाम को उसे नर्सिंग होम ले जाया गया और रविवार के दिन में उसका ऑपरेशन कर दिया गया. डॉक्टर शनिवार की रात वहां पर पहुंचे थे. रघु के मुताबिक, ट्रांसप्लांटेशन के बाद उसके पेट में बहुत दर्द हो रहा था और 3 दिनों बाद उसे वापस दिल्ली शिफ्ट किया गया. वहां पर उसे 2 लाख दिए गए और कहा गया कि बाकी की रकम टांके कटने के बाद मिलेगी.

रघु के मुताबिक, जब टांके कटे तो उसे एक लाख 20 हजार और दिए गए फिर टैक्सी करके उसे हौजरानी पहुंचा दिया गया. उनके पहुंचने की थोड़ी देर बाद ही पुलिस आ गई और रघु ने पुलिस के सामने सारी बात कह दी.

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एक डॉक्टर समेत कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया. पुलिस के मुताबिक, गैंग का सरगना कुलदीप था. सूत्रों की मानें तो ओटी टेक्नीशियन कुलदीप डॉक्टर्स के साथ ट्रांसप्लांट में साथ रहता था. पूछताछ में कुलदीप ने पुलिस को बताया कि वह अकेले भी पूरे ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि पूरा ऑपरेशन कौन करता था?

दिल्लीः पैसे का लालच देकर निकाल लेते थे किडनी, डॉक्टर समेत 10 गिरफ्तार

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पुलिस के मुताबिक, ये लोग 30 लाख तक में किडनी का सौदा करते थे. एजेंट्स को 30 हजार मिलते, डॉक्टर को 3 लाख, लैब टेक्नीशियन को 40 हजार मिलते. कुछ पैसे ये पीड़ित को रखने और टेस्ट में खर्च करते, जबकि बाकी कुलदीप और सोनू रखते. जबकि डोनर को महज 2 से 4 लाख रुपए ही मिलते थे. 

पुलिस का कहना है कि यह रैकेट सोशल मीडिया के माध्यम से चलाया जा रहा था. शैलेश ने पेज बना रखा था, जिस पेज पर वो लोग जुड़ते थे, जिन्हें किडनी की जरूरत होती थी. शैलेश बेहद गरीब लोगों की पहचान करता, फिर उन्हें बहाने से दिल्ली लाया जाता और फिर लालच दिया जाता और फिर किडनी निकाल ली जाती. 

गिरफ्तार डॉक्टर और दलाल.

जानकारी के मुताबिक, 26 मई को अवैध रूप से चल रहे इस रैकेट की जानकारी हौज खास थाने की पुलिस को चली थी. दरअसल, यहां के एक लैब में ट्रांसप्लांट से पहले पीड़ित के सारे टेस्ट किये जाते थे. यहीं पर पुलिस को पिंटू मिला, जिसका टेस्ट करने के लिए दलाल लाये थे. पिंटू की मदद से पुलिस पहले हौज रानी के दलालों के ठिकाने पहुंची, फिर पश्चिम विहार और उसके बाद गोहाना के नर्सिंग होम. 

साउथ दिल्ली की डीसीपी बेनिता मैरी जयकर ने बताया, 29 मई को दिल्ली पुलिस की टीम ने गोहाना पुलिस टीम, एफएसएल, डीएनए एक्सपर्ट, बायोलॉजी एक्सपर्ट की टीम, सायबर एक्सपर्ट की टीम और फोटोग्राफर की टीम के साथ रेड कर दी. दिन भर चली रेड में पुलिस ने गोहाना के हॉस्पिटल के सारे सुराग जब्त कर लिए.  

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पकड़ में आए ये आरोपी

सरबजीत और शैलेष: नए पीड़ितों को जाल में फंसाने का काम करते थे.

मोहम्मद लतीफ (24 साल): ये एक लैब में फील्ड बॉय का काम करता था और ट्रांसप्लांट के पहले टेस्ट करवाता था.

विकास (24 साल): इसने पश्चिम विहार में डोनर को रखने किराए का घर ले रखा था. यही आगे रंजीत की मदद से डोनर को गोहाना भेजता था.

रंजीत (43 साल): ये डोनर का पश्चिम विहार के फ्लैट में ध्यान रखता था और डोनर को साथ लेकर गोहाना जाता था.

डॉक्टर सोनू रोहिल्ला (38 साल): खुद को डॉक्टर बताने वाले इस शख्स ने गोहाना के सेटअप को लगाया था.

डॉक्टर सौरभ मित्तल (37 साल): एंड्रोलॉजिस्ट डॉक्टर मित्तल ट्रांसप्लांट में मदद करता था.

कुलदीप विश्वकर्मा (46 साल):  ऑपरेशन थियेटर टेक्निशियन था. ये भी अवैध ट्रांसप्लांट में साथ रहता था.

ओम प्रकाश (48 साल):   ये भी अवैध ट्रांसप्लांट के दौरान मौजूद रहता था.

मनोज तिवारी (36 साल): ये भी अवैध ट्रांसप्लांट के दौरान ऑपरेशन थिएटर में रहता था.

 

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