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दिल्ली दंगों का एक सालः जिंदगी पटरी पर लाने की कवायद जारी, संस्थाएं भी बनी मददगार

जमीयत उलेमा-ए हिंद से जुड़े मौलाना गयूर कासमी ने आजतक को बताया कि उनकी जमात की तरफ से इलाके में 163 स्कूलों की मरम्मत कराई गई. 227 दुकानें ठीक कराई गईं और 37 लाख रुपये उन लोगों में बांटे गए, जो इलाके में छोटी-मोटी दुकानें लगाकर जीवन यापन कर रहे थे. किसी को ऑटो तो किसी को छोटा हाथी भी दिया गया है.

दिल्ली में पिछले साल दंगा हुआ था (फोटो-PTI) दिल्ली में पिछले साल दंगा हुआ था (फोटो-PTI)
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:04 PM IST
  • उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में भड़की थी हिंसा
  • दंगे में मारे गए थे 53 लोग, घायल हुए थे 500 से ज्यादा
  • कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण पर HC ने लगाई थी फटकार

एक साल पहले दंगे की आग में झुलसी नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के प्रभावित इलाकों में जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आई है. इस काम में लोगों की मदद के लिए सरकार के साथ-साथ कुछ सामाजिक संस्थाओं ने भी अहम योगदान दिया है. इन्हीं में से एक है जमीयत उलेमा-ए हिंद. इस संस्था ने इलाके में हर धर्म और हर वर्ग के दंगा प्रभावित लोगों की मदद की है. इसके अलावा कुछ हिंदू संगठनों ने भी जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए लोगों की मदद की है.

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जमीयत उलेमा-ए हिंद से जुड़े मौलाना गयूर कासमी ने आजतक को बताया कि उनकी जमात की तरफ से इलाके में 163 स्कूलों की मरम्मत कराई गई. 227 दुकानें ठीक कराई गईं और 37 लाख रुपये उन लोगों में बांटे गए, जो इलाके में छोटी-मोटी दुकानें लगाकर जीवन यापन कर रहे थे. किसी को ऑटो तो किसी को छोटा हाथी भी दिया गया है.

गयूर कासमी ने खास तौर पर बताया कि उनकी संस्था ने लोगों की मदद धर्म के आधार पर नहीं बल्कि इंसानियत के आधार पर की है. कासमी बताते हैं कि शिव विहार में मदीना मस्जिद के बगल में नरेश चंद्र बघेल का घर था. दंगाइयों ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया था. फिर नरेश की मदद के लिए जमीयत उलेमा-ए हिंद आगे आई और उनकी हर संभव मदद की. 

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मौलाना कासमी आगे बताते हैं कि उनकी ओर से 7 वकीलों का एक पैनल भी बनाया गया है, जो लोगों की मदद कर रहा है. अब तक पुलिस की कार्रवाई पर हालांकि उन्होंने सवाल खड़े नहीं किए लेकिन उनका कहना है कि कई पीड़ित ऐसे भी हैं, जो आरोपियों को पहचानते हैं. लेकिन डर की वजह से वो किसी का नाम नहीं ले रहे हैं. ऐसे में पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि वो ऐसे लोगों को सुरक्षा का भरोसा दे और मामलों की सही जांच करे. 

कासमी के मुताबिक उनकी कोशिश है कि लोग एक दूसरे पर विश्वास करें और साथ रहें. शिव विहार इलाका जो कि पिछले साल 25 फरवरी को पूरी तरह सुनसान नजर आ रहा था. हर तरफ से सिर्फ आग और धुआं ही दिख रहा था. आज वहां माहौल बदला-बदला था. कई लोग तो उस दिन को याद भी नहीं करना चाहते और दंगों की बात ही नहीं करते.

दंगे के दिन इलाके में मौजूद रहे हाजी हाशिम अली तो 43 दिन जेल में बिताकर आए हैं. उनका कहना है कि वो लोगों की मदद कर रहे थे और मदरसे में फंसे बच्चों को निकालने आए थे. लेकिन बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उस दिन को याद करते हुए हाशिम अली कहते हैं कि उस दिन गोलियों की आवाज आ रही थी. कहीं से धुआं निकल रहा था तो कहीं पर डरावना शोर था. इस बीच लाइट भी चली गई थी.
 
अब शिव विहार के लोग इस कोशिश में हैं कि जीवन पहले जैसा हो जाए और लोग फरवरी 2020 के दंगो को पूरी तरह से भूल जाएं. इस इलाके में लोगों ने दंगों में बहुत कुछ खोया है. किसी ने घर, किसी ने रोजगार तो किसी ने अपनों को खोया है. दिल्ली पुलिस ने दंगों को लेकर कुल 755 एफआईआर दर्ज की हैं और दावा किया है कि 400 मामले सॉल्व भी कर लिए गए हैं. अब तक पुलिस ने 349 चार्जशीट फाइल की है और 102 सप्लिमेंट्री चार्जशीट भी दायर की हैं.

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