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खूनी इश्कः बीवी और मां-बाप के कत्ल की एक खौफनाक दास्तान

एक पुरानी कहावत है कि इश्क अंधा होता है. और नया सच यह कि इश्क में लोग भी अंधे हो जाते हैं. अगर यह सच नहीं होता तो एक शख्स को उसकी बीवी और मां-बाप ज़रूर दिखाई देते. पर अंधे इश्क में वह शख्स ऐसा अंधा हुआ कि उसे अपनी माशूका के अलावा कोई और रिश्ता नज़र ही नहीं आया. जाहिर है ऐसे हालत में अंजाम भयानक ही होना था. और दिल्ली में ऐसा ही हुआ.

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परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

एक पुरानी कहावत है कि इश्क अंधा होता है. और नया सच यह कि इश्क में लोग भी अंधे हो जाते हैं. अगर यह सच नहीं होता तो एक शख्स को उसकी बीवी और मां-बाप जरूर दिखाई देते. पर अंधे इश्क में वह शख्स ऐसा अंधा हुआ कि उसे अपनी माशूका के अलावा कोई और रिश्ता नजर ही नहीं आया. जाहिर है ऐसे हालत में अंजाम भयानक ही होना था. और वही हुआ भी.

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खूनी इश्क, प्यासा खंजर
एक ऐसा आशिक जो अपनी माशूक के पास पहुंचने से सिर्फ घंटा भर पहले एक घर में था. और घर के अंदर थे तीन और लोग. हाथ में खंजर लिए ये आशिक सबसे पहले उस कमरे में पहुंचा जहां 24 साल की एक महिला अकेली थी. कमरे मे दाखिल होने के बाद पलक झपकते ही उसने खंजर औरत के जिस्म में उतार दिया. और ये था उसका पहला शिकार. अब उसके क़दम दूसरे कमरे की तरफ बढे. वहां एक उम्रदराज़ शख्स मौजूद था. खंजर एक बार फिर हवा में लहराया और सीधे उस शख्स के सीने में जाकर धंस गया. ये था उसका दूसरा शिकार. चीख़-पुकार सुन कर जब एक औरत कमरे में दाखिल हुई तो खून के प्यासे उस खंजर मिल गया अपना तीसरा शिकार. और खंजर फिर उस औरत के जिस्म के आर पार हो गया.

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खुद भी घायल हुआ था कातिल
एक ही रात, एक ही घर, एक ही कातिल, एक घंटे से भी कम का वक्त और तीन लाशें. कत्ल के बाद कातिल सीधे घर से बाहर गया. थोड़ा बदहवास थोड़ा घबराया हुआ. उसने मोटरसाइकिल उठाई और वहां से चल पड़ा. इससे पहले कि वह मौका-ए-वारदात से बहुत दूर निकल पाता, अचानक बाइक का बैलेंस बिगड़ा. और खुद कातिल अब जमीन पर पड़ा था. वह चोट से कराह रहा था. और फिर इसी आलम में उसने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और किसी को कॉल किया. कुछ सेकेंड बातचीत करने के बाद उसने फोन काट दिया. अचानक उसके चेहरे पर एक खूंखार हंसी तैरने लगी.

खुद खत्म किया अपना परिवार
अपने हाथों से तीन-तीन कत्ल करने वाले उस शख्स का नाम था नितिन वर्मा. दिल्ली के द्वारका इलाके में रहने वाले नितिन ने जिन लोगों का कत्ल किया था, उसमें पहला शिकार कोई और नहीं बल्कि उसकी अपनी बीवी पूजा थी. जिस दूसरे इंसान को उसने मारा वो खुद उसका अपना बाप था. और तीसरी बार जिसके कलेजे में उसने खंजर उतारा था वो कोई और नहीं नितिन की मां थी. बस यही नितिन का छोटा सा परिवार था. जिसे खुद नितिन ने अपने हाथों से खत्म कर दिया था.

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इश्क ने नितिन को बना दिया शैतान
अपने ही मां-बाप और बीवी का कत्ल करने के बाद नितिन इतना खुश क्यों था? इसका जवाब था उसकी मुहब्बत रागिनी. जी हां, मुहब्बत. वो मुहब्बत जिसके रास्ते में नितिन का परिवार आ खड़ा हुआ था. और उनके जीते जी नितिन को उसकी मंज़िल मिलना मुश्किल था. इसलिए उसने अपने पूरे परिवार को ही खत्म कर दिया. दरअसल पूजा नितिन का पहला प्यार थी. जिसे उसने घरवालों की रज़ामंदी के बाद रिश्ते का नाम दिया. लेकिन शादी के चंद महीने ही गुज़रे थे कि नितिन की मुलाकात पड़ोस में रहने वाली रागिनी से हो गई. और यहीं से शुरू हुई थी वो दास्तान जिसका खात्मा तीन लोगों की मौत से हुआ.

इश्क में अंधा हो चुका था नितिन
रागिनी पूजा के मुकाबले न सिर्फ ज़्यादा खूबसूरत थी, बल्कि वह पहली ही नज़र में नितिन को अपना दिल भी दे बैठी थी. धीरे-धीरे दोनों में नज़दीकियां बढ़ती गईं और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई. इधर रागिनी लगातार नितिन के नज़दीक आ रही थी. और उधर पूजा उससे दूर होती जा रही थी. नितिन और रागिनी का प्यार हर गुजरते दिन के साथ यूं ही परवान चढ़ता जा रहा था. छिप-छिपकर मिलने से शुरू हुआ मुहब्बत का ये सिलसिलसा अब खुल्लम-खुल्ला होने लगा था. और एक दिन नितिन के इस प्यार की पूरी कहानी उसकी बीवी पूजा को पता चल गई.

सच जानकर हैरान थी पूजा
सच जानकर पूजा के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई. इसके बाद दोनों के बीच कई बार तकरार हुई. पूजा नितिन को कई बार समझाने की कोशिश करती रही. लेकिन हर कोशिश बेकार साबित हुई. परेशान पूजा ने तंग आकर एक दिन उसके मां-बाप को नितिन और रागिनी के प्यार का पूरा किस्सा सुना दिया. मां-बाप भी उसे समझाने लगे थे. लेकिन बीवी और मां-बाप की लगातार टोका-टोकी धीरे-धीरे नितिन को खलने लगी. उसे रागिनी के खिलाफ बोलने वाला हर शख्स अपना दुश्मन नजर आने लगा. लिहाजा रागिनी से दूर होने की बजाए उसने रागिनी से शादी करने का फैसला कर लिया.

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अकेले ही रची थी खूनी साजिश
नितिन को मालूम था कि बीवी और मां-बाप के रहते उसका सपना सच होना मुमकिन नहीं था. लिहाजा उसने एक साजिश रची. एक ऐसी साजिश जिसे सुन कर बड़े से बड़ा शातिर दिमाग़ शैतान भी शर्मा जाए. 19 अप्रैल, 2008 को हाथ में ख़ंजर लिए नितिन अपने घर में चुपके से दाखिल हुआ पहले वह सीधे अपने कमरे में गया और अपनी बीवी पूजा के जिस्म में खंजर उतार दिया. उसके बाद उसने अपने पिता विनोद शर्मा को मौत की नींद सुला दिया. और जैसे ही नितिन की मां पुष्पा कमरे में दाखिल हुई उसने अपनी मां के सीने में भी वहीं खंज़र उतार दिया.

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साजिश का हिस्सा था एक्सीडेंट
साजिश का पहला चरण अब पूरा हो चुका था. मगर असली प्लानिंग को अंजाम देना अभी बाकी था. अपनी बीवी और मां-बाप के ख़ून के छींटे उसके दामन पर ना लगें इसके लिए उसने एक चाल चली. उसने मोटरसाइकिल से अपने एक्सिडेंट का नाटक किया. खुद अपने चाचा को फोन कर एक्सिडेंट की ख़बर दी. उसने चाचा से कहा कि लगातार घर फोन करने के बावजूद घर में कोई फोन नहीं उठा रहा है, लिहाज़ा वो घर जाकर खुद एक्सिडेंट की ख़बर दे दें. उसकी चाल काम कर गई. जब उसके चाचा घर पहुंचे तो वहां तीन लाशें देख कर उनके होश उड़ गए. उधर एक्सीडेंट का नाटक कर नितिन पास के एक नर्सिंग होम में कुछ देर के लिए भर्ती हो गया.

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शक के घेरे में आ गया था नितिन
पुलिस ने जांच शुरू की. घर में लूटपाट की कोशिश के कोई निशान नहीं मिले. तीनों क़त्ल एक ही तरीके से किए गए थे. लिहाजा पुलिस का चौंकना भी लाज़िमी था. लेकिन जिसके पूरे के पूरे परिवार का ख़ून बहाया जा चुका था. वह ख़ुद सीन से ग़ायब था. और इसी बात ने अनजाने में पुलिस की तफ्तीश को नई दिशा दे दी. जांच आगे बढ़ाने के लिए पुलिस को उम्मीद की एक ही किरन नजर आ रही थी और वो था खुद नितिन. पुलिस को कत्ल के वक्त उसके एक्सीडेंट की बात कहीं ना कहीं खटक रही थी. लिहाजा अंधेरे मे तीर मारते हुए पुलिस ने नितिन पर अपनी आंखें गड़ा दीं.

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पुलिस की सख्ती से खुला था राज
24 अप्रैल, 2008 को पुलिस ने नितिन से पूछताछ की. कत्ल के रोज नितिन कब कहां क्या कर रहा था, पुलिस ने उसकी पूरी छानबीन की. यह भी खंगाला गया कि क़त्ल से कितनी देर पहले आखिरी बार उसने घरवालों से बात की थी? शुरुआत में नितिन ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की. लेकिन उसके हर जवाब में झूठ झलक रहा था. लिहाजा, जब पुलिस ने अब अपने तरीके से सच उगलवाना शुरू किया तो राज खुल गया. थोड़ी सी सख्ती के आगे नितिन का फ़रेब हार गया. इकबाल-ए-जुर्म करते ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. क़त्ल की इस साज़िश से रागिनी का कोई लेना-देना नहीं था, लिहाज़ा क़ानूनी कार्रवाई के दायरे के साथ-साथ अब रागिनी नितिन की ज़िंदगी से दूर हो गई. अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी. बाद में उसकी सजा उम्रकैद में बदल दी गई.

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