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हाथरस में 123 मौत, SIT जांच और चश्मदीदों का खुलासा... भोले बाबा के इस ऐलान से मची थी जानलेवा भगदड़!

आखिर 2 जुलाई को हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ की शुरुआत हुई कैसे? कौन सी ऐसी चीज थी, जिसकी वजह से घंटों शांति से बैठे भक्त अचानक बैचेन हो गए. सत्संग खत्म होते ही ऐसा क्या हुआ कि पूरी भीड़ एक ही दिशा में भागने लगी, तो इन सुलगते सवालों के शुरुआती जवाब सामने आ गए हैं.

हाथरस कांड में यूपी सरकार ने 3 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है. हाथरस कांड में यूपी सरकार ने 3 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 10 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 12:26 PM IST

इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है कि आखिर 2 जुलाई को हाथरस में हवलदार से भोले बाबा बने सूरज पाल सिंह जाटव उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग में भगदड़ की शुरुआत हुई कैसे? कौन सी ऐसी चीज थी, जिसकी वजह से घंटों शांति से बैठे भक्त अचानक बैचेन हो गए. सत्संग खत्म होते ही ऐसा क्या हुआ कि पूरी भीड़ एक ही दिशा में भागने लगी, तो इन सुलगते सवालों के शुरुआती जवाब सामने आ गए हैं. 

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भगदड़ और इसमें हुई 123 मौतों की जांच के लिए यूपी सरकार ने तीन सदस्यीय जिस जांच कमेटी का गठन किया है, उसकी शुरुआती जांच में ही कुछ सनसनीखेज खुलासा हुआ है. इस खुलासे के मुताबिक, इस भगदड़ की वजह कोई और नहीं, बल्कि खुद भोले बाबा और उसका एक ऐलान था. 2 जुलाई के दोपहर 1.30 बजे तक सब कुछ शांत था. 2 लाख से ज्यादा की भीड़ अपनी-अपनी जगह पर बैठी पूरी शांति और भक्ति भाव के साथ भोले बाबा का प्रवचन सुन रही थी. अमूमन बाबा सत्संग के दौरान डेढ़ दो घंटे तक प्रवचन देते हैं.

लेकिन दो जुलाई की दोपहर उमस भरी बहुत तेज गर्मी थी. ऊपर से सत्संग स्थल पर जितने लोगों की क्षमता थी उससे तीन गुना ज्यादा भक्त इकट्ठा हो चुके थे. इन्ही दो वजहों से भोले बाबा ने अपना प्रवचन छोटा कर दिया. दोपहर 12.30 बजे उन्होंने अपना प्रवचन शुरु किया था और ठीक 1.30 बजे यानि एक घंटे में ही प्रवचन समाप्त भी कर दिया. अब भी सब कुछ ठीक और शांत था. भक्त अपनी अपनी जगह पर ही बैठे थे. लेकिन प्रवचन समाप्त करने से ऐन पहले भोले बाबा भक्तों को ऐलानिया आदेश देते हैं कि अब वो उनके चरणों की धूल ले सकते हैं.

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भोले बाबा का बस इतना कहना था कि दो 2.5 लाख का हुजूम अचानक खड़ा हो गया. अब हर चरण बाबा के चरणों की धूल की तरफ लपकने लगा और बस यहीं से शुरुआत होती है हाल के वक्त की सबसे ख़ूनी भगदड़ की. इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जांच कर रही तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी जांच की शुरुआत उन चश्मदीदों के बयान से की है, जो भगदड़ के वक्त सत्संग में मौजूद थे. इस कमेटी में बृजेश कुमार श्रीवास्तव के अलावा रिटायर्ड आईएएस अफसर हेमंत राव और भावेश कुमार भी शामिल हैं.

इस न्यायिक कमेटी को दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. ये कमेटी अब तक 34 चश्मदीदों के बयान दर्ज कर चुकी हैं. इसी कमेटी के सामने हाथरस के एक चश्मदीद ने अपना बयान दर्ज कराते हुए कहा कि सत्संग खत्म होते ही चरणों की धूल लेने के भोले बाबा के आदेश ने ही सुबह से शांत बैठे भक्तों में भगदड़ मचा दी. इस चश्मदीद के मुताबिक, बाबा की रवानगी से पहले ही भक्तों में भगदड़ मच चुकी थी और बाबा ये सब कुछ देख रहे थे, क्योंकि चरणों की धूल लेने के लिए भक्त भोले बाबा के ही करीब जाने की कोशिश कर रहे थे.

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इस चश्मदीद का दावा था कि यदि भोले बाबा उसी वक्त माइक पर भक्तों से एक अपील कर देते तो भक्त शांत होकर अपनी-अपनी जगह पर लौट जाते, लेकिन भोले बाबा ने ऐसा नहीं किया. उलटे वो वहां से गाड़ियों के अपने काफिले के साथ निकल गए. उन्हें निकलता देखने के बावजूद भक्त नहीं रुके. वो अब उस कार के पहिये से उड़ने वाली धूल को मुट्ठी में कैद करने के लिए अब पीछे-पीछे भागने लगे, जो धूल उठाने के लिए झुके, उन्हें पीछे से आती भीड़ गिराती चली गई. फिर किसी को वहां से कभी उठने का मौका ही नहीं मिला.

एक दूसरे चश्मदीद के मुताबिक, सत्संग वाली जगह पर सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था, न पुलिस प्रशासन की तरफ से और न ही भोले बाबा के सेवादारों की तरफ से. इस चश्मदीद ने कमेटी के सामने कहा कि भीड़ को बाबा के सेवादारों ने जिस तरह कंट्रोल करने की कोशिश की और जैसे ही उन्हें धक्का दिया गया, उसकी वजह से भी अफरातफरी फैल गई. भोले बाबा के काफिले को रास्ता देने के चक्कर में भी बहुत सारे भक्त सड़क से फिसल कर खेतों में गिरने लगे. चश्मदीद का कहना था कि अगर सेवादार, सुरक्षा कर्मी या पुलिस प्रशासन ने रूट समेत सुरक्षा के सही इंतजाम किए होते तो बहुत से भक्तों की जान बच सकती थी. लेकिन वहां ऐसी कोई व्यवस्ता नहीं थी, जिससे कि जान बचाई जा सके.

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न्यायिक कमेटी हर चश्मदीद का बयान दर्ज करने से पहले, उसकी पहचान, सत्संग पर उसकी मौजूदगी के सबूत, किसी तरह के उसके पॉलिटिकल लिंक या बाबा के साथ उसके अच्छे या बुरे रिश्ते की भी पड़ताल कर रही है. चश्मदीदों के बयान के अलावा भगदड़ से पहले और भगदड़ के बाद पुलिस प्रशासन की तैयारियों और नाकामियों की भी जांच करेगी. फ़्म्क्स साथ ही वो हाथरस जिले के उन तमाम अस्पतालों पर भी अपनी रिपोर्ट देगी, जहां भगदड़ के बाद घायलों या मुर्दों को ले जाया गया था. कमेटी ये पता करने की कोशिश करेगी कि क्या अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टर या जरूरी सुविधाएं थी या नहीं? 

रिटायर्ड जज बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि कमेटी सत्संग स्थल का मुआयना कर चुकी है. वहां इस बात की भी जांच कर चुकी है कि इस जगह पर कितने लोग इकट्ठे हो सकते थे. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान हमें जब भी लगेगा, हम पूछताछ के लिए किसी को भी बुला सकते हैं. कमेटी के सामने पेश हुए इन चश्मदीदों के बयान के उलट अपने वकील के जरिए भोले बाबा ने ये दावा किया है कि ये भगदड़ एक सोची समझी साजिश थी. बाबा के वकील ने एक प्रेस कांफ्रेस कर भगदड़ मचने की वजह को लेकर एक डेमो भी दिया है. 

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वकील ने एक स्प्रे दिखा कर ये बताने की कोशिश की है कि इसी तरह के जहरीले स्प्रे को भक्तों पर छिड़क कर उनके बीच अफरा-तफरी का माहौल बनाया गया. उनका दावा था कि जो स्प्रे भक्तों पर छिड़का गया वो जहरीला था. उस स्प्रे की वजह से भक्तों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी. वो इधर-उधर भागने लगे. और इसी वजह से भगदड़ मची. हालांकि वो ये नहीं बता पा रहे कि इस साजिश के पीछे किसका हाथ है. भोले बाबा के कौन-कौन दुश्मन है और भक्तों में भगदड़ मचा कर वो क्या हासिल करना चाहते थे?

हाथरस में हुए भगदड़ को आज पूरा एक हफ्ता हो चुका है. लेकिन जिस भोले बाबा के सत्संग में इस भगदड़ की वजह से 123 लोगों की जानें गईं. वो अब तक सामने नहीं आया है. ना ही पुलिस या मामले की जांच कर रही न्यायिक कमेटी ने अब तक उसे पूछताछ के लिए बुलाया है. अलबत्ता अपनी सफाई देने के लिए बाबा ने 2 मिनट का अपना एक बयान जरूर जारी किया था. बाबा तमाम बड़ी-बड़ी बातें अपने बयान में कर रहे हैं. भक्तों को दिलासा भी दे रहे हैं. लेकिन सात दिन बीत गए अब तक वो अपने खुफिया ठिकाने से बाहर नहीं निकले हैं.

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