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मुंबईः 'पति की तरह ही पत्नी जीवन जीने की हकदार', कोर्ट ने 50 हजार हर महीने देने का दिया आदेश

मुंबई की एक अदालत ने जुहू इलाके में रहने वाले एक पति को अपनी पत्नी को हर महीने 50 हजार रुपये देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा, 'याचिकाकर्ता महिला के पति कारोबारी हैं. उनके घर में तीन मेड्स हैं. तीन नौकरों को नौकरी पर रखने से पति और उनके माता-पिता के जीवन स्तर का पता चलता है. आवेदक (पत्नी) भी उसी जीवन स्तर के साथ अपना जीवन जीने की हकदार है.'

पत्नी को हर महीने 50 हजार रुपये देने का कोर्ट ने दिया आदेश (सांकेतिक फोटो) पत्नी को हर महीने 50 हजार रुपये देने का कोर्ट ने दिया आदेश (सांकेतिक फोटो)
विद्या
  • मुंबई,
  • 22 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:18 PM IST
  • पति की पारिवारिक इनकम पर दिया आदेश
  • 'पत्नी, पति की तरह ही जीवन जीने की हकदार'
  • पत्नी को हर महीने 50 हजार देने का आदेश

मुंबई की एक अदालत ने जुहू इलाके में रहने वाले एक पति को अपनी पत्नी को हर महीने 50 हजार रुपये देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा, 'याचिकाकर्ता महिला के पति कारोबारी हैं. उनके घर में तीन मेड्स हैं. तीन नौकरों को नौकरी पर रखने से पति और उनके माता-पिता के जीवन स्तर का पता चलता है. आवेदक (पत्नी) भी उसी जीवन स्तर के साथ अपना जीवन जीने की हकदार है.'

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मुंबई में डिंडोशी सेशन कोर्ट के न्यायाधीश एस यू बाघले ने अदालत में दिए गए पुराने आयकर दस्तावेजों का भी अवलोकन किया. जबकि पति ने कोर्ट में कहा कि जीएसटी लागू होने के कारण उसे अपने व्यापार में भारी नुकसान हुआ है, हालांकि उसने अपना नवीनतम आय प्रमाण नहीं दिखाया. इस पर कोर्ट ने कहा, 'यदि यह मान भी लिया जाए कि पति को अपने कारोबार में बाद में नुकसान उठाना पड़ा, तो पत्नी को भूखे रहने या दोयम दर्जे जीवन जीने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है.'

असल में पत्नी ने कोर्ट में अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दायर किया था. पत्नी ने यह दावा किया था कि पति की पारिवारिक इनकम 25 करोड़ रुपये है. इसके मुताबिक उसे रखरखाव के लिए हर महीने दो लाख रुपये मिलने चाहिए. इस पर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने हर महीने 50 हजार रुपये अंतरिम रखरखाव की खातिर पत्नी को देने के लिए पति को आदेश दिया था. मजिस्ट्रेट कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ पति ने डिंडोशी सेशन कोर्ट अपील की थी. पति ने अदालत को बताया कि उनकी पत्नी के खिलाफ कोई घरेलू हिंसा नहीं हुई थी और वे पत्नी की जरूरत की सभी चीजें मुहैया करा रहे थे. 

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डिंडोशी सेशन कोर्ट ने कहा, "आय दिखाने का बोझ निश्चित रूप से पति पर था, जो निचली अदालत के समक्ष आवश्यक आय प्रमाण प्रस्तुत कर सकता था, लेकिन ऐसा लगता है कि इसमें वह विफल रहा. यह कोई अधिक विरोधाभास की बात नहीं है कि पत्नी अपने पति की तरह ही रहने की हकदार नहीं है. इसमें कोई विवाद में नहीं है कि पति और उनके माता-पिता संपत्तियों और कारों के मालिक हैं. पति किसी पर निर्भर नहीं हैं, सिर्फ पत्नी ही उन पर निर्भर है. सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने खरीदारी से संबंधित साक्ष्य भी कोर्ट में पेश किए.


 

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