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फेक क्रिप्टोकरेंसी, मोटा मुनाफा और लालच... ऐसे धोखाधड़ी का शिकार हो गए 1000 से ज्यादा पुलिसवाले

हैरान कर देने वाला ये मामला है हिमाचल प्रदेश का. जहां एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी जालसाजों के जाल में फंसकर नकली क्रिप्टोकरेंसी गैंग का शिकार हो गए. इस महाठगी का खुलासा होने पर सूबे के पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. इस महाठगी के जांच के लिए एसआईटी (SIT) का गठन किया गया है.

हिमाचल पुलिस विभाग में इस खुलासे से हड़कंप मच गया (फाइल फोटो) हिमाचल पुलिस विभाग में इस खुलासे से हड़कंप मच गया (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 9:14 PM IST

जब आपके साथ कोई अपराध होता है. या आप किसी धोखाधड़ी या ठगी का शिकार होते हैं. तो आप क्या करते हैं. जाहिर है आप सीधे पुलिस के पास जाते हैं और अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं. लेकिन अगर पुलिस के साथ ही ठगी हो जाए तो आप क्या कहेंगे? जी हां, आपने बिल्कुल ठीक सुना पुलिस के साथ ठगी और वो भी एक नहीं दो नहीं बल्कि एक हजार से ज्यादा पुलिस वाले करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी का शिकार हो गए. ये कोई विदेश की खबर नहीं. ये सब हुआ है हिमाचल प्रदेश में. आइए आपको बताते हैं ठगी का शिकार बने पुलिसवालों की कहानी. 

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पुलिसवालों से महाठगी
हैरान कर देने वाला ये मामला है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का. जहां एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी जालसाजों के जाल में फंसकर नकली क्रिप्टोकरेंसी गैंग का शिकार हो गए. इस महाठगी का खुलासा होने पर सूबे के पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. इस महाठगी के जांच के लिए विशेष जांच दल यानी एसआईटी (SIT) का गठन किया गया है. 

कुछ पुलिसवालों ने छोड़ी नौकरी
जांच अधिकारियों का कहना है कि नकली क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले अधिकांश पुलिस कर्मियों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया, लेकिन उनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने भारी लाभ कमाया और वे अपनी नौकरी छोड़कर इसी योजना के साथ जुड़ गए. यही नहीं उन्होंने इसके लिए और अधिक निवेशकों को अपने साथ जोड़ लिया था.

फेक क्रिप्टोकरेंसी की फर्जी वेबसाइट
हिमाचल पुलिस के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी में जालसाजों ने कम से कम एक लाख लोगों को धोखा दिया है. पुलिस ने 2.5 लाख आईडी बरामद किए हैं, जो एक ही शख्स के हैं. निवेशकों को आकर्षित करने के लिए घोटालेबाजों ने दो क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च कीं. एक थी 'कोरवियो कॉइन' (या केआरओ) और दूसरी 'डीजीटी कॉइन,'  इन डिजिटल मुद्राओं की कीमतों में हेरफेर करके नकली वेबसाइटें बनाईं गईं. 

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मोटे रिटर्न का वादा
ठगों ने शुरुआती निवेशकों को कम समय में उच्च रिटर्न का वादा करके लुभाया. उन्होंने निवेशकों का एक नेटवर्क भी बनाया. फिर अपने-अपने दायरे में श्रृंखला का और विस्तार किया. जल्दी अच्छा रिटर्न पाने के चक्कर में पुलिसकर्मी, शिक्षक और अन्य लोग इस योजना में शामिल होते गये. हालांकि इसमें शामिल अधिकांश पुलिसकर्मियों को नुकसान उठाना पड़ा. 

VRS लेकर प्रमोटर बने कुछ पुलिसवाले
लेकिन उन पुलिसवालों ने योजना का जो प्रचार किया, उसने दूसरे निवेशकों के बीच विश्वास पैदा किया. निवेश योजना को विश्वसनीयता प्रदान की. एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर गुरुवार को समाचार एजेंसी PTI को बताया कि क्रिप्टोकरेंसी योजना में शामिल कुछ पुलिसकर्मियों ने इस काम के चक्कर में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) तक ले लिया था और वे इस योजना के प्रमोटर बन गए थे.

आरोपियों से सख्ती से निपटेगा कानून
हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू ने बताया “हम सभी गलत काम करने वालों को पकड़ लेंगे. जांच व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है.” उन्होंने कहा कि घोटाले में शामिल सभी लोगों से कानून के मुताबिक सख्ती से निपटा जाएगा.

क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे ब्लॉकचेन-आधारित कंप्यूटर नेटवर्क और विनिमय के माध्यम से काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. और यह काम करने के लिए सरकार या बैंक जैसे किसी केंद्रीय प्राधिकरण पर निर्भर नहीं है.

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साल 2018 में शुरू हुआ था ये घोटाला 
हिमाचल पुलिस के मुताबिक, यह घोटाला 2018 में शुरू हुआ. जिसमें अधिकांश पीड़ित मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा जिलों के थे. कुछ मामलों में एक अकेले व्यक्ति ने 1,000 लोगों को इस योजना में शामिल किया था. पुलिस ने पहले कहा था कि आरोपियों ने अपनी योजना पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए गलत सूचना, धोखे और धमकियों का इस्तेमाल किया और क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में हेरफेर करके निवेशकों से पैसा निकालते रहे. जिसकी वजह से पीड़ितों को भारी नुकसान हुआ.

3 से 4 तरह की क्रिप्टोकरेंसी
घोटालेबाजों ने स्थानीय रूप से निर्मित क्रिप्टोकरेंसी 'कोरवियो कॉइन' या केआरओ कॉइन से संबंधित निवेश योजना के साथ लोगों से संपर्क किया और उनके खातों को सक्रिय करने के लिए प्रारंभिक सक्रियण शुल्क लिया. इस योजना में तीन से चार तरह की क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल किया गया.

लॉन्च किया था नया सिक्का
घोटालेबाजों ने अपने सिक्कों को लिस्टेड करने के लिए नकली वेबसाइटें बनाईं और उनकी कीमतों में हेरफेर किया. बाद में उन्होंने 'डीजीटी कॉइन' नाम से एक नया सिक्का लॉन्च किया. जब पर्याप्त लोगों ने इन सिक्कों को ऊंची कीमत पर खरीद लिया, तो जानबूझकर इसकी कीमत कम कर दी गई. जिससे निवेशकों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ.

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फर्जी जमा योजनाएं 
पुलिस ने कहा कि जांच से यह भी पता चला है कि क्रिप्टोकरेंसी के अलावा आरोपियों ने अन्य जमा योजनाएं भी चलाईं, जैसे 90,000 रुपये की जमा राशि पर 10 प्रतिशत मासिक रिटर्न दिया जा रहा था. अब पुलिस ने आम जनता को आगाह किया है कि यदि कोई योजना 12 प्रतिशत से अधिक वार्षिक रिटर्न का वादा करती है, तो सावधान रहें.

दो आरोपी गिरफ्तार
इसी महीने की शुरुआत में पुलिस ने दो मुख्य आरोपियों सुखदेव और हेमराज को गुजरात से गिरफ्तार किया था. उन दोनों ने लंबी पूछताछ के दौरान कुबूल किया कि उन पर 400 करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया हैं. पुलिस का कहना है कि इस पूरे घोटाले का सरगना सुभाष अभी भी फरार है. उसकी तलाश की जा रही है.

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