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IPC Section 128: किसी युद्धबंदी को भगाने वाले लोक सेवक पर लागू होती है ये धारा

आईपीसी की धारा 128 भी ऐसे ही लोक सेवक के बारे में बताती है, जो किसी युद्धबंदी को खुद जान बूझकर भाग निकलने में मदद करता है. आइए जानते हैं कि IPC की धारा 128 इस तरह के अधिकारियों के बारे में क्या प्रावधान करती है?

लोक सेवक की कार्य प्रणाली से संबंधित है ये धारा लोक सेवक की कार्य प्रणाली से संबंधित है ये धारा
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 08 जून 2022,
  • अपडेटेड 6:37 AM IST
  • लोक सेवक की कार्य प्रणाली से संबंधित है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में ऐसे अधिकारियों के बारे में भी प्रावधान मिलते हैं, जो किसी ना किसी तरह से अपराध के भागीदार बन जाते हैं, या खुद अपराध की साजिश रचते हैं. आईपीसी की धारा 128 भी ऐसे ही लोक सेवक के बारे में बताती है, जो किसी युद्धबंदी को खुद जान बूझकर भाग निकलने में मदद करता है. आइए जानते हैं कि IPC की धारा 128 इस तरह के अधिकारियों के बारे में क्या प्रावधान करती है?

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आईपीसी की धारा 128 (Indian Penal Code Section 128)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 128 (Section 128) के अनुसार, अगर कोई लोक सेवक (Public Servant) होते हुए अपनी अभिरक्षा (Custody) में रखे हुए किसी राजकैदी या युद्धकैदी (Prisoner of war) को ऐसे स्थान से जिसमें ऐसा कैदी परिरुद्ध है, अपनी इच्छा (Own wish) से निकल भागने देगा तो ऐसे लोक सेवक पर धारा 128 लागू होगी. जिसके अनुसार उसे दण्डित किया जाएगा.

सजा का प्रावधान
इस तरह के मामले में वो लोक सेवक दोषी (Guilty) पाया जाता है तो इस धारा के अनुसार उसे आजीवन कारावास (Life imprisonment) या 10 वर्ष के कारावास की सजा (Sentence of imprisonment) होगी. साथ ही उस पर आर्थिक जुर्माना (Monetary penalty) लगा कर दंडित किया जा सकता है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.

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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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