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Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं में कई प्रकार के अपराध (Offence) और उनकी सजा (Punishment) को लेकर प्रावधान (Provisions) किए गए हैं. ऐसे ही आईपीसी की धारा 143 के तहत ऐसे लोगों की सजा का प्रावधान किया गया है, जो गैर कानूनी (Unlawful) तौर पर किसी स्थान पर सामूहिक रूप से जमा होते हैं, चलिए जान लेते हैं कि आईपीसी की धारा 143 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 143 (Indian Penal Code Section 143)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 143 (Section 143) के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर (Intentionally) किसी ऐसे गैरकानूनी सभा (Unlawful assembly) में शामिल होता है या बना रहता है, साथ ही उसे पता है, कि इससे समाज की शांति भंग (Disturb the peace of society) होती है, और ऐसे जो व्यक्ति शांति भंग करने के आशय से विधिविरुद्ध जमाव (Unlawful assembly) करते है, तो वह इसी धारा के अंतर्गत दंड के भागीदार (partner of punishment) होंगे. यानी वो इस काम के लिए अपराधी (Offender) माना जाएंगे.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसे मामले में दोषी पाए गए शख्स को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि छह माह तक की हो सकेगी. या उस आर्थिक जुर्माना (Monetary penalty) लगाया जाएगा. या फिर उसे दोनों ही प्रकार से दंडित किया जाएगा.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.